Jharkhand Corruption News : आखिर क्यों है झारखंड सुर्खियों में ?
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Jharkhand Corruption News : आखिर क्यों है झारखंड सुर्खियों में ?

Jharkhand Corruption News : बीते कई दिनों से झारखंड सुर्खियों में है। सुर्खियों में रहने की वजह गर्व करने लायक नहीं है। ताजा प्रकरण, झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से परोक्ष रूप से जुड़ा है। उनके निजी सचिव के घरेलू नौकर के घर से 35 करोड़ रुपए से अधिक की ‘काली कमाई’ बरामद हुई है। आश्चर्य इस बात का है कि एक नौकर स्तर का व्यक्ति कितना भी भ्रष्टाचार करे, लेकिन उसके घर बैगों में भरे करोड़ों के नोट बरामद नहीं किए जा सकते। यकीनन इस संदर्भ में उसे ‘बलि का बकरा’ बनाया गया है। तो फिर सवाल है कि काली कमाई के नोट किसके हैं?

क्या नौकर का घर ‘कलेक्शन सेंटर’ बना था? ईडी के अफसरों को मंत्री के निजी सचिव पर तो शक था, लिहाजा नौकर का पीछा भी किया गया। अक्सर उसके हाथ में एक बैग होता था, लेकिन घर से बाहर आते हुए उसके हाथ खाली होते थे। अंततः ईडी ने छापेमारी की, तो नोटों से भरे बैग मिले और उसी के साथ भ्रष्टाचार का एक रहस्य खुला।

सवाल मंत्री के कारनामों पर भी है, क्योंकि ईडी ने जिन इंजीनियरों और अन्य कर्मचारियों की धरपकड़ की है, उनमें से कइयों ने मंत्री की संलिप्तता का भी खुलासा किया है। दलाली का एक खेल उस विभाग में खेला जा रहा था। ठेका देने के बदले 3 फीसदी की दलाली ली जाती थी। मंत्री और निजी सचिव की ‘कटमनी’ ज्यादा और अलग थी। अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर की बोलियां अलग से लगती थीं। यह जांच एजेंसियों का दुरुपयोग नहीं, बल्कि आम आदमी से भ्रष्ट जमात ने जो भी लूटा है, उसकी पाई-पाई वापस वसूली जानी चाहिए। याद कीजिए इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से दिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण। 77वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने 3 बुराइयों के खिलाफ लड़ाई का आह्वान किया था, जिनका देश सामना कर रहा है- भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण। साथ ही ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ द्वारा ‘भ्रष्टाचार बोध सूचकांक’ 2023 जारी किया गया। समग्र तौर पर यह सूचकांक दर्शाता है कि पिछले एक दशक में अधिकांश देशों में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की स्थिति या तो काफी हद तक स्थिर या खराब रही है। भारत ने भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2023 में 40 अंक प्राप्त किये।

असल में झारखंड देश का गजब प्रदेश है। कभी पॉलिटिशियन पर रिश्वतखोरी का आरोप लगता है तो कभी अफसर-दलालों का गठजोड़ भ्रष्टाचार में लिप्त दिखाई देता है। दो आईएएस और एक चीफ इंजीनियर करप्शन के आरोप में जेल जा चुके हैं। घोटाले भी गजब के, कभी कोयला घोटाला, कभी लौह अयस्क घोटाला, खनन-परिवहन घोटाला, मनरेगा घोटाला, नियुक्ति घोटाला तो अब जमीन घोटाला। झारखंड में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी व कर्मचारी इसमें फंसे हुए हैं। इसके बावजूद सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। आलम यह है कि राज्य के कई आईएएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन आज तक कार्रवाई के नाम पर बस फाइल इधर से उधर से होती रही।

झारखंड की बदकिस्मती है कि प्रकृति ने उसे खूब संसाधन दिए हैं, बेशकीमती खनिज दिए हैं, लेकिन फिर भी वह गरीब और भ्रष्ट है। दरअसल झारखंड का राजनीतिक नेतृत्व फितरत से ही भ्रष्ट रहा है। बेशक वह शिबू सोरेन हों, नरसिम्हा राव सरकार बचाने वाले सांसद हों, मुख्यमंत्री रहे मधु कौड़ा और कुछ माह पूर्व तक मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन हों, सभी दागदार और भ्रष्ट रहे हैं। जेल में भी रहे हैं। हेमंत सोरेन अब भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। कोई पर्यटन करने तो जेल में नहीं जाता। राजनेताओं के अलावा, आईएएस या अन्य शीर्ष अधिकारियों के घरों से भी करोड़ों की नकदी बरामद की गई है। उनके पास अकूत संपत्तियां भी मिली हैं, लिहाजा उन्हें जब्त किया गया है। कई ऐसे सफेदपोश चेहरे जेल की सलाखों के पीछे हैं।

झारखंड में धीरज साहू जैसे कांग्रेसी और ओबीसी सांसद भी हैं, जिनके घर और अन्य ठिकानों से 350 करोड़ रुपए से अधिक के नकदी नोट बरामद किए गए। घर के कमरों में नोट ऐसे सजाए गए थे मानो नकदी का कोई शोरूम हो। काली कमाई के ये पहाड़ कैसे संजो लिए जाते हैं, आम आदमी के लिए यह आश्चर्य की मीनारें हैं। साहू जी आज भी सांसद हैं। ईडी ने क्या कार्रवाई की, सब कुछ रहस्य है, क्योंकि हमने ऐसे काले धन्नासेठ को जेल जाते हुए भी नहीं देखा। देश में काले, भ्रष्ट नकदी पहाड़ों के गोदाम भरे हुए हैं, प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन कड़वा सच लगता है। देश के कई हिस्सों में ऐसे गोदामों को दबोचा गया है, अदालत में भी केस हैं, लेकिन आम आदमी न्याय का मारा है।

हम मानते हैं कि ईडी मंत्री पर साक्ष्यों और गवाहों के बिना हाथ नहीं डालेगा, लेकिन यह भ्रष्टाचार देश के कोने-कोने में कब तक जारी रहेगा। घूस और दलाली तो व्यवहार बन गए हैं। प्रधानमंत्री प्रतिबद्ध दिखते हैं कि वह ऐसी एक भी पाई खाने नहीं देंगे। ऐसी चोरी बंद करके रहेंगे। भ्रष्ट लोगों की कमाई और लूट बंद करके रहेंगे, बेशक भ्रष्टाचारी उन्हें गालियां देते रहें। झारखंड पर 1.30 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। राज्य के नागरिक की औसत कमाई 7000 रुपए माहवार है। देश के राज्यों में विकास के मद्देनजर झारखंड का स्थान 30वां है। आलमगीर आलम कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं। गठबंधन सरकार में कांग्रेस नेतृत्व ने उनका नाम सबसे पहले संस्तुत किया था। वह राज्य विधानसभा के स्पीकर भी रहे हैं। सवाल है कि एक साईकिल चलाने वाले नौकर के पास 35 करोड़ रुपए से अधिक का धन कहां से आया?

इस देश के हर आम और खास आदमी को पता है कि देश में हो रहे अपराधों को रोकने के लिए सैकड़ों कानून हैं। पुलिस है, सीबीआई है, और नीचे से ऊपर तक न्यायिक तंत्र का जाल है, पर क्या इसके बावजूद समाज में अपराध घट रहे हैं? नहीं, फिर भी लोगों को लगातार बहकाया जा रहा है कि सख्त कानून से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। जबकि अपराध शास्त्र के शोध बताते हैं कि कानून से केवल पांच फीसदी अपराध कम होते हैं। बाकी 95 फीसदी अपराध कम करने के लिए अन्य प्रयासों की जरूरत होती है। भ्रष्टाचार भी चूंकि एक अपराध है, इसलिए इसे समाप्त करने से पहले हमें समझना होगा कि यह अपराध क्यों हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं। साल 2014 में केंद्र में आने के बाद से मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस का रवैया अपनाया है, जिसके चलते जांच एजेंसियों ने भी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर लाखों करोड़ों रुपये की संपत्ति अब तक जब्त की हैं। ईडी सहित अन्य एजेंसियों ने पिछले 9 वर्षों में टैक्स चोरी करने वालों पर जमकर एक्शन लिया है। ईडी का चाबुक केवल कारोबारियों पर ही नहीं बल्कि भ्रष्ट नेताओं पर भी चला है। लोकसभा चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने तीसरी बार सरकार बनने पर भ्रष्टाचार पर कड़े प्रहार का वादा देशवासियों से किया है। असल में अगर भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लग जाए तो देश विकास और समृद्धि के रास्ते पर और भी तेजी से दौड़ने लगेगा।

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