जय माता दी... - Punjab Kesari
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जय माता दी…

आजकल नवरात्रे चल रहे हैं। चारों तरफ मंदिर सजे हैं। वातावरण भक्तिमय और शुद्ध है। माता के जयकारे

आजकल नवरात्रे चल रहे हैं। चारों तरफ मंदिर सजे हैं। वातावरण भक्तिमय और शुद्ध है। माता के जयकारे हैं,  मंदिरों में भीड़ है, कइयों ने व्रत रखे हैं, हर कोई मंदिर में दर्शन करने जा रहा है। मुझे पिछले दिनों दतिया में पिताम्बरी माता और शारदा माता और फिर वृंदावन बांके बिहारी मंदिर, गीता मंदिर जाने का अवसर प्राप्त हुआ। हर मंदिर में आप बहुत ही आस्था, विश्वास और पूजा के साथ जाते हो। आज देश के सभी मंदिरों में सबकी बहुत आस्था है। लोग देश-विदेशों से बड़े भाव से आते हैं। मन की शांति और दर्शन के लिए। झंडे वाला मंदिर में बहुत सफाई और व्यवस्था है, जहां जाकर मन को शांति मिलती है। जिसका श्रेय वहां की मैनेजमेंट कमेटी को जाता है और खासकर आदरणीय कुलभूषण आहूजा जी को जाता है। छतरपुर मंदिर में भी सफाई और सिस्टम है, परन्तु जो बाबा नागपाल जी के समय थी वो भी अविसमरणीय है। माता वैष्णो देवी मंदिर में जाकर भी बहुत खुशी होती है। बहुत अच्छा सिस्टम है, बहुत सफाई है।  भारत के मंदिरों में अब सफाई और आस्था बहुत बढ़ी है।
परन्तु अभी भी कुछ मंदिरों में जाकर आपकी आस्था डगमगा जाती है, क्योंकि बहुत से मंदिरों में अभी भी सफाई नहीं। जब वहां बैठे पुरोहितों का लालच देखते हैं तो मन बहुत खराब होता है। इसलिए जैसे वैष्णो देवी माता का ट्रस्ट बना है, वैसे ही सभी मंदिर ट्रस्ट के अन्दर हो जाएं, ब्राह्मणों,  पंडितों को जो वहां कर्मकांड करते हैं बहुत अच्छी मासिक तन्ख्वाह मिले। पूजा करने का सिस्टम हो, वहां कैमरे लगे हों, मंदिरों की सफाई हो और जो भी चढ़ावा चढ़े उससे जनकल्याण का कार्य हो। ऐसे करने से सिस्टम तो सही होंगे ही, लोगों की आस्था और​ विश्वास को ठेस नहीं लगेगी। बहुत से ब्राह्मण युवकों को रोजगार आस्था के साथ मिलेगा। जो युवा ब्राह्मण कर्मकांड जानते हैं, उन्हें मंदिरों में नियुक्त करना चाहिए। मंदिरों के आसपास से मांगने वालों को हटाना चाहिए।
2 दिन पहले जब में वृंदावन गई तो हमें दर्शन बहुत अच्छे हुए, पूजा भी बहुत अच्छे से हुई परन्तु वहां की भीड़ और कोई लाइन नहीं देखकर मन विचलित हुआ कि कभी भी यहां कोई हादसा हो सकता है, इसलिए वहां की व्यवस्था करने वालों से प्रार्थना है कि हर आम आदमी के लिए व्यवस्था बनाई जाए। उसके बाद स्वामी गीतानंद जी के गीता आश्रम जाने का अवसर मिला, जहां आज अवशेष स्वामी जी मंदिर की व्यवस्था और गुरुकुल चला रहे हैं। वहां लंगर प्रसाद खाया। वहां की सफाई व्यवस्था और आस्था देखकर बहुत ही प्रसन्नता हुई। गीता महाराज जी के अनुयायी बहुत ही अच्छे हैं और साथ ही व्यवस्था वो ही बहुत अच्छे से देख रहे हैं। वृंदावन मंदिर के बाहर छोटे-छोटे बच्चे जो आपके माथे पर राधे-राधे लिखते  हैं वे बहुत प्यारे लगे क्योंकि वो मांग नहीं रहे, काम करके ले रहे हैं। बच्चों से काम कराना मना है, परन्तु जिस मासूमियत से वो काम कर रहे हैं वो निराली है। वहां पर स्थानीय हनुमान स्वरूपी बं​दरों का बोलबाला है, जो बहुत ही समझादार हैं। स्थानीय लोगों को कुछ नहीं कहते परन्तु बाहर से आए भक्तों के चश्मे,  फोन कुछ भी हाथ में हो बड़े प्यार से छीन लेते हैं। वापिस तभी देते हैं जब उन्हें फ्रूट के जूस का डिब्बा दिया जाए।  एक तरह से भगवान के रूप में जूस वालों का बिजनेस चला रहे हैं।
आजकल गुरु जी का बहुत बोलबाला है। मैंने जो अनुभव किया वहां सिस्टम है, सफाई है। शिव जी की पूजा होती है, गुरु जी तो हैं ही नहीं उनकी फोटो होती है। क्योंकि वहां खाने को मिलता है, किसी को खाने की मनाही नहीं, कोई कपड़ों की रोक-टोक नहीं। इसलिए हर तरह के लोग चाहे युवा, बुजुर्ग हो। अच्छे घरों की महिलाएं जुड़ रही हैं, क्योंकि नानक दुखिया सब संसार। सबको कुछ न कुछ दुख है और सबको ईश्वर की जरूरत है और ईश्वर किसी भी रूप में उनके सामने आ जाता है।
यही नहीं जब हम खुजराहों से वापिस आ रहे थे तो हमारे साथ योगेश्वर बाबा साथ आए। एक युवा बाबा जो लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है। हनुमान जी का भक्त है, उसकी एक बात तो बहुत अच्छी लगी कि वह कहते हैं कि हिन्दू राष्ट्र हो परन्तु रहेंगे सब मिलकर, अखंड भारत हो। सोच अच्छी है परन्तु आने वाला समय ही उनके बारे में बताएगा।
पिछले दिनों मैंने अपने बेटों की शादी आर्य समाज मंदिर में की थी, वहां भी सफाई है और कोई लालच नहीं तो अच्छा लगा, क्योंकि हमारा परिवार आर्य समाजी परिवार है और आज जब हर स्थान पर स्वामी दयानंद जी का 200वां साल मनाया जा रहा है तो हम सब आर्य समाजियों को भी ध्यान रखना है सफाई और कहीं कोई लालच न हो। अपने तरीकों को सरल बनाएं ताकि युवा फालो करें। स्वामी दयानंद जी ने जीवन जीने की पद्धति सिखाई है उसका पालन करना चाहिए। मेरा मायका सनातनी है इसलिए सनातन धर्म की इज्जत  और प्रसार करना मेरा धर्म है। बात तो घूम-फिरकर वहीं आ जाती है, हम सभी को ज्ञान, ईश्वर की तलाश है, चाहे वो किसी भी रूप में हो। जय माता दी।

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