It’s My Life (17) - Punjab Kesari
Girl in a jacket

It’s My Life (17)

नाम के तो भीमसेन सच्चर ही मुख्यमंत्री थे लेकिन असल पंजाब सरकार चलाने वाले पूज्य लाला जगत नारायण

आखिरकार पंजाब में स्वतंत्र भारत की पहली कांग्रेस की सरकार बनी जिसके मुख्यमंत्री, जैसा कि मैं अपने पिछले लेख में बता चुका हूं पं. जवाहर लाल नेहरू की मर्जी से, श्री भीमसेन सच्चर को बनाया गया। पूज्य दादाजी के लिए सरदार पटेल और अबुल कलाम आजाद द्वारा किए गए जबरदस्त समर्थन के बावजूद पं. नेहरू नहीं माने लेकिन पं. नेहरू पंजाब में लालाजी के राजनीतिक प्रभाव और महत्व को देखकर उन्हें अनदेखा न कर सके और लालाजी को भारी भरकम शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य मंत्रालय देने पड़े। दूसरे प्रताप सिंह कैरों को प्रमुख मंत्रालयों से सुसज्जित किया गया। नाम के तो भीमसेन सच्चर ही मुख्यमंत्री थे लेकिन असल पंजाब सरकार चलाने वाले पूज्य लाला जगत नारायण जी और प्रताप सिंह कैरों ही थे।
पंजाब उस समय बहुत बड़ा था जो कि अमृतसर से लेकर पलवल और शिमला से लेकर राजधानी दिल्ली तक फैला हुआ था। वैसे भी काफी लम्बे समय तक लुटियन नई दिल्ली को छोड़कर पुरानी दिल्ली का काफी बड़ा हिस्सा पंजाब का ही था। आज भी राजधानी दिल्ली में जमीनों की खरीद-फरोख्त पर पंजाब एक्ट लागू होता है।
1952 में पंजाब की पहली राजधानी शिमला को बनाया गया। बाद में जब चण्डीगढ़ शहर बनकर तैयार हो गया तो पंजाब सरकार शिमला से चण्डीगढ़ ‘‘शिफ्ट’’ हो गई। चण्डीगढ़ के सैक्टर-2 में सुखना लेक की मुख्य सड़क पर मुख्यमंत्री और सीनियर मंत्रियों के बंगले बनाये गये थे। पूज्य दादाजी लाला जगत नारायण जी और प्रताप सिंह कैरों के बंगले साथ-साथ थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी और देखा जाये तो 1952 से 1956 तक पंजाब सरकार चलाने वाले दोनों दादाजी लाला जगत नारायण जी और प्रताप सिंह कैरों ही थे। 
यहां पर पूज्य लालाजी की ईमानदारी का एक उदाहरण पेश करता हूं। हमारे फूफा जी, पूज्य दादाजी लाला जगत नारायण जी की दूसरी बड़ी बेटी के पति, स्वर्गीय श्री तिलकराज जी सूरी, दादाजी के दामाद एक बहुत ही नेक, ईमानदार और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। यहां तक कि हमारे पूज्य चाचा विजय कुमार उर्फ बिल्लू का स्व. श्री सूरी साहब के सामने डर के मारे पजामा गीला हो जाता था। बहुत ही गुस्से वाले भी थे क्योंकि किसी की भी कोई गलत बात सहन नहीं करते थे। लालाजी के चुनाव के इंचार्ज भी स्व. श्री तिलक राज सूरी साहब ही थे।
जब पूज्य दादाजी ने मंत्री पद की शपथ ली और फिर अपने तीनों मंत्रालय सम्भाल लिए तो उसके बाद सूरी साहब के साथ अपनी कोठी में बैठे थे तो उन्होंने अचानक यह कहा कि ​तिलकराज क्योंकि तुम मेरे दामाद हो अब तुम मेरे इस सरकारी बंगले पर आना बन्द कर दो, वरना लोग कहेंगे कि लालाजी अपने दामाद के काम कराते हैं। मेरे ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लग जायेंगे। अति स्वाभिमानी श्री तिलकराज जी सूरी खड़े हुए और दादाजी की तरफ ऊंगली करके बोले ‘‘लालाजी, जब तक आप मंत्री हैं आपकी कोठी में आने की बात तो छोड़ो मैं आप के घर का पांच साल तक पानी भी नहीं पीऊंगा’’ और यह कहकर सूरी साहब बाहर निकल गये और फिर पांच साल उन्होंने दादाजी से मिलना तो दूर बातचीत तक बन्द कर दी।

‘‘कैसे-कैसे थे वो लोग!’’
पूज्य दादाजी ने पंजाब के शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य मंत्रालय संभालते ही स्वतंत्र भारत के इतिहास में कई ऐतिहासिक निर्णय लिये ​जिससे न  केवल पंजाब बल्कि राजधानी दिल्ली तक उनके फैसलों की गूंज उठने लगी।

सर्वप्रथम शिक्षा विभाग : अंग्रेजों से आजादी से पहले न तो ज्यादा सरकारी स्कूल थे और न ही कालेज। ले-देकर लाहौर में एक “Govt. College” था। दूसरे पंजाब की सभी किताबों का प्रकाशन करने वाले सभी निजी प्रकाशक अपनी मनमर्जी की किताबें छापते थे और प्राईवेट स्कूलों में मनमर्जी के मूल्यों पर इन किताबों को बेचा जाता था।
पंजाब के प्रथम शिक्षा मंत्री लाला जगत नारायण जी ने कहा अब हम स्वतंत्र देश हैं। हम अंग्रेजों की प्रदेश में लम्बे समय से चली आ रही शिक्षा प्रणाली का अनुसरण नहीं करेंगे। लालाजी ने पहले तो प्रदेश के हर जिले में सरकारी स्कूलों के उद्घाटन शुरू कर दिए और सबसे कड़ा निर्णय यह लिया कि उन्होंने स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबों का सरकारीकरण शुरू कर दिया यानी अब निजी प्रकाशन नहीं बल्कि पंजाब सरकार का शिक्षा विभाग स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबों का प्रकाशन और मूल्य निर्धारण करेगा। 
लालाजी के इन स्कूली किताबों के सरकारीकरण करने के पीछे दो कारण थे। पहला तो यह कि अब सरकारी प्रैस में छपने वाली सभी स्कूली किताबों का मूल्य आधे से भी कम हो गया। जिस वजह से गरीब से गरीब बच्चा भी अब इन पुस्तकों को खरीद सकता था। लालाजी ने कैसे शिक्षा विभाग को ठीक किया? कैसे स्वास्थ्य और परिवहन मंत्रालय में सुधार किए, इसका विवरण मैं अपने कल के लेख में दूंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nineteen + 19 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।