‘‘निर्दोषों का खून बहाकर, फिर मानवता हुई कलंकित,
विश्व युद्ध की आहट को सुन सबके सब देश सशंकित।
कहीं चल रही क्रूज मिसाइल, कहीं बरस रहे हैं बम के गोले,
देख तबाही का यह मंजर विस्मित मानव क्या कर बोले।
जय और विजय किसी की होगी, मानव की िनश्चित है हार,
लड़कर भला हुआ किसका, चाहें सभी अमन और प्यार।’’
युद्ध पर लिखी गई कविवर राजेश जोशी की पंक्तियां इस बात की ओर इशारा करती हैं कि युद्ध में कोई नहीं जीतता, पराजय केवल मानवता की होती है। लगभग 55 हजार से अधिक लोगों की मौत आैर लाखों लोगों के शरणार्थी बन जाने आैर गाजापट्टी में तबाही, चारों ओर बिखरी लाशें, विधवाओं का क्रंदन, आंसू बहाती माएं, रोता बचपन और घुटती सांसों के वीभत्स दृश्य देखे जाने के बाद बुधवार को अंततः इजराइल और हमास में युद्ध विराम आैर बंधकों की रिहाई का समझौता होने की खबरें आई थीं। उथल-पुथल से भरी दुनिया के लिए यह एक राहत भरी खबर रही कि 15 महीनों से जारी युद्ध अब खत्म हो जाएगा। इजराइल और हमास में युद्ध विराम पर सहमति अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। इस समझौते में अमेरिका और कतर तथा मिस्र की बड़ी भूमिका रही है लेकिन गुरुवार शाम होते-होते युद्ध विराम समझौते की खबर पर इजराइली प्रधानमंत्री बैंजामिन नेतन्याहू ने यह कहकर पानी फेर दिया कि हमास “दोनों पक्षों के बीच बनी कुछ सहमतियों से आखिरी समय में पीछे हट गया”, जिसके चलते गाजापट्टी में लंबे समय से जारी युद्ध को खत्म करने और सैकड़ों बंधकों की रिहाई का रास्ता खोलने वाला बहुप्रतीक्षित संघर्ष-विराम समझौता लटक गया है। नेतन्याहू के कार्यालय ने हमास पर अधिक रियायतें हासिल करने के लिए समझौते की कुछ शर्तों से मुकरने का आरोप लगाया। उसने स्पष्ट किया कि नेतन्याहू सरकार संघर्ष-विराम समझौते पर मुहर लगाने के लिए तब तक बैठक नहीं करेगी जब तक हमास अपना अड़ियल रुख नहीं छोड़ता। वहीं, हमास के एक वरिष्ठ पदाधिकारी इज्जत अल-रश्क ने कहा कि आतंकवादी समूह “मध्यस्थों द्वारा घोषित संघर्ष-विराम समझौते के लिए प्रतिबद्ध है।”
दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले इजराइली प्रधानमंत्री बैंजामिन नेतन्याहू ने इस समझौते की जानकारी अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन से पहले अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति पद सम्भालने वाले डोनाल्ड ट्रम्प को दी। बाद में उन्होंने बाइडेन को फोन किया। कहा जाता है कि समझौते में ट्रम्प के मिडिल ईस्ट राजदूत स्टीव विटकॉफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह जो बाइडेन के शीर्ष सलाहकार ब्रैट मैंकर्गक के साथ मिलकर काम कर रहे थे। हमास पर इतना जबरदस्त सैन्य दबाव था कि वह बातचीत को तैयार हुआ। कतर के शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान ने बेहतरीन ढंग से दोनों में बातचीत कराने के लिए सम्पर्क सेतु का काम किया। अब हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की वापसी शुरू होगी। बंधकों की वापसी के साथ-साथ गाजा से इजराइली सैनिकों की व्यवस्थित वापसी भी शुरू हो जाएगी। समझौते के तहत फिलस्तीनी नागरिकों को गाजा के उत्तरी हिस्से में लौटने की अनुमति मिलेगी, जहां के निवासी लम्बे समय से भुखमरी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।
हमास ने 7 अक्तूबर, 2023 को इजराइल पर हमला किया था। जिसमें 1200 इजराइली मारे गए थे और 250 अन्य को बंधक बना लिया गया था। इसके बाद इजराइल के हमलों में हजारों फिलस्तीनी मारे गए और गाजा की अनुमानित 90 प्रतिशत आबादी विस्थापित हो गई और बहुत बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया। नवम्बर 2023 में हुए एक सप्ताह के संघर्ष विराम के बाद हमास ने 100 बंधकों को रिहा भी कर दिया था। इजराइल पर हमास हमला एक आतंकवादी कृत्य था, जिसका समर्थन नहीं किया जा सकता। इजराइल ने भी जवाबी हमलों में युद्ध नियमों का जबरदस्त उल्लंघन किया और गाजा की नागरिक आबादी को निशाना बनाया। इजराइल गाजापट्टी से आतंकी संगठन हमास को पूरी तरह खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध था। युद्ध का विस्तार ईरान, लेबनान तक होने की आशंकाएं थी लेकिन अमेरिका, कतर की कूटनीति ने ऐसा नहीं होने दिया। लेबनान में हिज्बुलाह ने युद्ध में दखल देने की कोशिश की तो इजराइली हमले ने उसे कुचल दिया। यही वो वजह थी कि सीरिया में बशल अल असद के शासन का पतन हुआ। इजराइल और हमास के बीच गाजा में युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई को लेकर बनी सहमति पर लोगों ने खुशी जाहिर की थी।
अब सवाल यह है कि इजराइल-हमास सहमति लटक जाने के बावजूद क्या दोनों युद्ध विराम करने पर राजी होते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि दोनों पक्ष समझौते का पालन करें। फिलस्तीन के सामने गाजापट्टी में विध्वंस के बाद नवसृजन करना और विस्थापित हुए लोगों को फिर से बसाना और उनके भोजन की व्यवस्था करना बहुत बड़ी चुनौती है। मानवीय त्रासदी से उभरना आसान नहीं होता। सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि गाजा पर राज कौन करेगा। फिलस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफा का कहना है कि कायदे से गाजा पर शासन करने का अधिकार फिलस्तीनी प्राधिकरण का है। इजराइल नहीं चाहता कि हमास का गाजा पर शासन रहे। देखना होगा कि स्थितियां क्या मोड़ लेती हैं। 15 महीनों के इस युद्ध से स्पष्ट है कि आतंकवाद को अपनाने वाले देशों को अंततः नुक्सान ही झेलना पड़ता है। गाजापट्टी का विध्वंस इस बात का प्रमाण है। युद्ध विराम तो हो जाएगा लेकिन क्या दोनों पक्षों में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही कड़वाहट खत्म होगी, यह कहना मुश्किल है।