यह सच है कि भारतीय लोकतंत्र में कई नेता ऐसे उभरे हैं जिनका जमीन से रिश्ता रहा है और आगे चलकर इन नेताओं ने एक जुझारू अंदाज में राष्ट्र को दिशा देते हुए अपना बहुत कुछ दिया है। ऐसे ही नेता सही मायनों में लोकप्रिय बनते हैं और देश के साथ-साथ विदेश में भी छा जाते हैं। देश के मानचित्र पर बिहार को भले ही एक निर्धन राज्य के रूप में जाना जाता रहा हो परन्तु यह सच है कि राजनीति की दुनिया में बिहार का वोट तंत्र पूरे देश को प्रभावित करता रहा है। आज बिहार में जो युवा नेता तेजी से उभर रहा है उसका नाम तेजस्वी यादव है। छोटी सी उम्र में तेजस्वी ने राष्ट्रीय राजनीति में बिहार के दम पर अपनी एक अलग छवि बनाई है। हम तो यही कहेंगे कि उनका फायर ब्रांड अगर पिता लालू यादव का राजनीतिक अक्स उभारता है तो वहीं उनकी कूल-कूल शैली राजनीति के उस बहाव को दर्शाती है जिसकी लोकतंत्र में सबसे ज्यादा जरूरत है। कहा जाता है कि राजनीति में नेता पुत्र विरासत लेकर आगे बढ़ते हैं परन्तु लालू यादव के इस छोटे बेटे ने राजनीतिक जमीन पर एक अलग वर्किंग स्टाइल से पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
दिल्ली जैसे महानगर में जब लोग 25-30 साल की उम्र में यूनिवर्सिटी स्तर पर या यूथ स्तर पर राजनीति से जुटे हों तब महज 27 साल की उम्र में तेजस्वी यादव राघोपुर से विधायक बन जाने के बाद डिप्टी सीएम बन चुके थे। उन्हें यह बड़ा पद दिलवाने में पिता का योगदान हो सकता है। उस समय राजनीतिक पंडितों ने भले ही उंगुलियां उठाई हों परन्तु यह सच है कि आज प्रमाणित हो चुका है कि यह फैसला सही था। पिता लालू यादव के घोटाले में फंसने के बाद लालू ने राजद सुप्रीमो पद बड़े बेटे की बजाये छोटे पुत्र तेजस्वी को सौंप कर जहां अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया तो वहीं तेजस्वी ने सिद्ध किया कि वह कुछ भी कर सकते हैं।
राजनीति में आक्रमण ही सबसे बड़ी सुरक्षा है, यह बात तेजस्वी जानते हैं। उन्हें पता है कि पिता लालू के दम पर आज की तारीख में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बहुत कुछ हासिल किया है। तेजस्वी अपने पिता के साथ अक्सर रहे और हालात को जानते हैं, तभी तो राजद का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ रिश्ता जोड़कर फिर से सीएम की कुर्सी संभालने पर तेजस्वी का उन पर हमला लाजवाब था। उन्होंने कहा ‘‘मेरे पिता नेे चाचा (नीतीश कुमार) को सीएम बनाया परन्तु भाजपा के साथ मिलकर उनकी ही पीठ पर खंजर ही घोंप दिया। कल तक चाचा कहा करते थे कि मिट्टी में मिल जाऊंगा पर भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा परन्तु एक कुर्सी की खातिर आपका ईमान डोल गया।’’ तेजस्वी के इन शब्दों ने जात-पात पर चल रही बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया और तेजस्वी ने अपना तेज दिखा दिया। लालू को पता था कि उन्हें जेल जाना है उन्होंने सही वक्त पर तेजस्वी को पार्टी की कमान सौंप दी।
बिहार में कांग्रेस और जेडीयू के साथ हुए राजद के महागठबंधन ने अपना जलवा भी दिखाया था परन्तु राजनीति में मुनाफे के हिसाब-किताब में माहिर नीतीश अलग हो गए। आज बिहार में प्रतिपक्ष का नेता बनने के बाद तेजस्वी की वर्किंग स्टाइल में एक नया तेज उभर आया है और वह राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की बात करते हैं तो उन्हें पूरा महत्व मिलता है। आज के लोकप्रिय नेता में और यूथ आईकोन में जो गुण होने चाहिएं वह सब तेजस्वी में हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के बावजूद तेजस्वी जमकर जूझ रहे हैं, बीच-बीच में वह चाचा नीतीश कुमार से सवाल करते रहते हैं ताकि उनके पिता लालू की पीठ पर खंजर घोंपे जाने का राजनीतिक वाकया लोग याद रख सकें। उनका यह कहना ‘चाचा जी’ कल तक यही पीएम मोदी तुम्हारे बारे में कहते थे कि आपके डीएनए में खराबी है पर भाजपा के साथ मिल जाने से क्या डीएनए ठीक हो गया? जरा यह भी बताओ सृजन घोटाले में चाचा जी क्या-क्या हुआ था। इसके बाद तेजस्वी कहते हैं कि भाजपा के साथ हाथ मिलाने वाले सत्यवादी हरीश चन्द्र बन जाएंगे और समझौता न करने वाले भ्रष्टाचारी बना दिये जाते हैं परन्तु हमें परवाह नहीं और पब्लिक की अदालत में सच क्या है, सब जानते हैं।
तेजस्वी ने इसके बाद पीएम मोदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि मोदी ने पहले आरबीआई को बर्बाद किया और अब सीबीआई को तबाह किया। नौवीं क्लास से ड्राप आउट तेजस्वी ने प्रमाणित किया है कि डिग्री लेने से कोई राजनीति में अग्रणी नहीं बन जाता बल्कि जमीनी स्तर पर लोगों के दुःख-दर्द को समझ कर अपनी संस्कृति को निभाने वाला ही नेता कहलाता है। तेजस्वी ने अपनी राजनीतिक विरासत को अपनी सूझबूझ तथा जमीनी मेहनत से सींच कर आगे बढ़ाया है। उन्हें गंभीरता से लिया जाता है और समय आएगा कि उनके नेतृत्व का लोहा देश मानेगा। लालू ने जिस तरह सीएम पद संभाला तथा रेलमंत्री बन कर एक लाभकारी महकमा बना कर दिखाया तो एक दिन तेजस्वी भी राजनीति में सफलता का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, इसका जवाब वक्त जरूर देगा।