सामाजिक सुधार लायेगा आईपीएफ - Punjab Kesari
Girl in a jacket

सामाजिक सुधार लायेगा आईपीएफ

NULL

गत दिनों मुझे इंटरनेशनल पंजाबी फोरम (आईपीएफ) की मीटिंग में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। उसमें नामी-गिरामी हस्तियां, उद्यमी और अच्छी सोच रखने वाले बहुत से पंजाबी थे। मनजीत सिंह जी गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष, वेव के राजेन्द्र चड्ढा, पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्राे. जसपाल सिंह, सुनील जी, आहूजा जी, प्रभु चावला, सरदार त्रिलोचन सिंह जी, और भी बहुत से। मुझे वहां जाकर सचमुच आनन्द आया क्योंकि समाज के बहुत ही अनुभवी लोग थे। दूसरा पंजाबी वातावरण था और अच्छे नोबल प्रयास और कारण था या यूं कह लो समाज में सुधार लाने की पहल करने के लिए सब इकट्ठे हुए थे। सबसे अच्छी बात यह थी कि सब पंजाबी में बोल रहे थे। सच पूछो तो उस दिन खुलकर पंजाबी (मेरी मातृभाषा) बोलकर बहुत ही आनन्द आया।

हिन्दी, इंग्लिश बोलकर जुबान थक जाती है। पंजाबी सदियों से मशहूर रहे हैं कि वे हमेशा आगे बढ़ते हैं। पंजाबी के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं। वह अपनी मेहनत और ऊंची सोच से बांझ धरती को भी उपजाऊ बना देते हैं। जंगल में मंगल कर देते हैं और जो कहते हैं करके दिखाते हैं। जैसे मैंने पंजाबन होने के नाते सीनियर सिटीजन का काम करके दिखाया। जब मैंने शुरू किया था तो सभी यही कहते थे ‘घर विच इक बुड्ढा तो सम्भाला नहीं जाता, ये बुड्ढेयां दा कि करेंगी’। मैंने दुनिया को बता दिया है कि बुड्ढे नहीं, अनुभवी लोग हैं। यह मार्गदर्शक हैं। अनुभवों के खजाने हैं। जिन्दगी को मर्यादा में रहकर एंजाय कर सकते हैं। यह बहुत टेलेंटेड हैं और हमारे देश में ओल्ड होम्स नहीं होने चाहिएं आदि…। अश्विनी जी ने भी हरियाणा में आज से 15 साल पहले पंजाबी मूवमैंट चलाई, पहले पंजाबी एमपी बने और अब पंजाबी सीएम खट्टर साहिब हैं। अब उन पर निर्भर करता है कि वह हरियाणा में पंजाबियों का भविष्य किस ओर ले जाते हैं। अब पंजाबियों ने ठान लिया है कि शादियों की फिजूलखर्ची रोकी जाये।

एक शादी के लिए 10-12 फंक्शन होते हैं, पैसे खर्च होते हैं। दिखावा होता है, ट्रैफिक जाम लगते हैं। रोका, एंगेजमेंट, मेहंदी, लेडीज संगीत, काकटेल आदि कई फंक्शन हैं। पिछली मीटिंग में जिसमें मैं नहीं थी, फैसला किया गया कि निमंत्रण पत्र नहीं छापे जायेंगे, न मिठाई के गिफ्ट के डिब्बे, सिर्फ बुलावा, जो काफी सराहनीय और सफल रहा। सुनील जी के अनुसार अभी थोड़ी देर लगेगी क्योंकि कई लोग सोशल मीडिया नहीं यूज करते। इस मीटिंग में जसपाल सिंह जी, मनजीत जीके और राजेन्द्र चड्ढा जी ने फैसला लिया कि शादियां गुरुद्वारे में ही होनी चाहिएं और शाकाहारी खाना होना चाहिए जिससे खर्च भी बचेगा अैर मर्यादा भी रहेगी। राजेन्द चड्ढा जी ने दुःख प्रकट किया कि उन्होंने एक डेस्टिनेशन वैडिंग बीच पर देखी जहां गुरु ग्रंथ साहिब का स्वरूप लाया गया परन्तु मर्यादा नहीं थी तो उन्होंने मिलकर इस बात का एतराज किया क्योंकि बीच पर हर तरह के लाेग, अलग-अलग मूड पर होते हैं। उनकी बात पर सभी आईपीएफ के लोगों ने सहमति जताई। प्रोफैसर जसपाल सिंह ने कहा कि शादी में अधिक खर्च से समाज बंट रहा है।

अमीर-गरीब की शादियों में फासले बढ़ रहे हैं। गरीब किसान फांसी लगा रहे हैं। उसका कारण जमीन के लिए लिया गया कर्ज नहीं, बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज भी शामिल होता है। प्रभु चावला जी के अनुसार आरडब्ल्यूए की तरह पंजाबी सभाएं बनें और इस पर काम करें और सोशल मीडिया पर अधिक काम होना चाहिए। उनके अनुसार टीवी और अखबार बहुत कम लोग पढ़ते हैं। जब मेरी बारी आई तो मैंने कहा-यह सुधार पहले घर से शुरू होना चाहिए। जैसे मेरी शादी आर्य समाज मंदिर जालन्धर में एक रुपए में हुई थी (अमर शहीद लाला जी और रोमेश जी की उच्च और दूरदर्शी सोच थी) और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए हमने अपने बेटे आदित्य की शादी आर्य समाज मंदिर जीके-I में एक रुपए से की। उम्मीद है अपने दोनों जुड़वां बेटों की भी शादी ऐसे ही करेेंगे। मेरा मानना है कि शादी मंदिर या गुरुद्वारे में मर्यादा और संस्कारों के साथ लंगर के साथ होनी चाहिए फिर दोनों लड़की-लड़के के परिवारों को ​मिलकर रिसेप्शन कर देनी चाहिए (क्योंकि समाज को बताना जरूरी होता है कि यह दोनों शादी के बंधन में बंध गए और सबसे बड़ी बात आज तलाक बहुत बढ़ गए हैं तो जब शादी गुरुद्वारे-मंदिर में रजिस्टर्ड हो तो दोनों तरफ के अनुभवी लोग विटनेस हों, गवाही हो, लेन-देन होना ही नहीं चाहिए। अगर हो तो लिस्ट बने ताकि कोई भी इसका मिसयूज न करे। अगर कोई मुश्किल आई तो वह बैठकर हल करेंगे और कोर्ट-कचहरी नहीं जाने देंगे, बिल्कुल असंभव केस हों तो जाएंगे।

वाकई शादी एक पवित्र बंधन है जो अब एक बड़े पैमाने का तमाशा बन गया। अब समय आ गया है इस पर सोचने-​विचारने का और सामाजिक सुधार करने का अगर पंजाबी पहल करेंगे तो मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत से लोग चाहे किसी भी जाति-धर्म के हैं, वो भी इसका पालन करना शुरू कर देंगे क्योंकि आज इंटरनैशनल लेवल पर भी देखा जाए तो पंजाबी भाषा, पंजाबी म्यूजिक और पंजाबियों के बिना कुछ नहीं चाहे लंदन का बर्मिंघम ले लो या कैनेडा का टोरंटो, पंजाबियों ने तो अपने शहर बसा लिए हैं। इसलिए मेरा मानना है कि इंटरनैशनल पंजाबी जब ठान लेंगे तो समाज सुधार करके छोड़ेंगे। इसमें सभी को बढ़-चढ़कर आगे आने की जरूरत है। कुछ बोलकर, लिखकर और खुद दिखाकर। हमारे ​सिंगर सारी दुनिया में जाते हैं तो वहां म्यूजिक के साथ इनका भी प्रचार करें, इस पर गीत गायें आैर हम सब खुद भी मिसाल बनें। बड़े-बड़े कथावाचक जाते हैं वो भी अपने प्रवचनों में बोलें, सबसे ज्यादा हमें शुरूआत घर से करनी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty − 1 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।