श्रीलंका के आर्थिक संकट से कुछ सम्भलने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनूएल मैक्रों श्रीलंका की यात्रा पर पहुंचे हैं। श्रीलंका और फ्रांस के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर श्रीलंका पहुंचने वाले वह पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति हैं। मैक्रों और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंगे में बातचीत के बाद फ्रांस ने श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में सहायता का वायदा किया। दोनों देशों में सहयोग के व्यापक क्षेत्रों पर चर्चा हुई और दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए। दोनों नेताओं की वार्ता के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इमेनूएल मैक्रों ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर भारतीय रुख का जबरदस्त ढंग से समर्थन किया और रानिल विक्रमसिंगे से कहा कि हिन्द महासागर के दो देश श्रीलंका और फ्रांस खुला समावेशी और समृद्ध हिन्द प्रशांत क्षेत्र का लक्ष्य साझा करते हैं और दाेनों देश इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सहयोग कर सकते हैं। भारत और फ्रांस भी हिन्द प्रशांत क्षेत्र के अस्तित्व में विश्वास करते हैं और इसके संप्रभुता-क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक संतुलित और स्थिर व्यवस्था बनने का प्रयास कर रहे हैं।
वर्ष 2018 में फ्रांस के राष्ट्रपति ने अपनी इंडो पैसिफिक रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की थी और इस क्षेत्र की सुरक्षा, स्थिरता, विकास को विश्व शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक माना था। भारत और फ्रांस की नौसेनाओं ने पिछले वर्ष हिंद महासागर के यूनियन द्वीप में संयुक्त पैट्रोलिंग की थी। यह द्वीप हिंद महासागर में फ्रांस के नियंत्रण वाला विदेशी क्षेत्र है। यह मेडागास्कर और मॉरीशस से निकट भी है। पी 81 एयरक्राफ्ट के जरिए ही यह पैट्रोलिंग की गई थी। फ्रांस हिंद महासागर में एक मजबूत नौसैनिक शक्ति है जिसके अड्डे अबू धाबी, जिबूती, मायोट, रियूनियन द्वीप में हैं और इसके साथ ही दक्षिणी प्रशान्त महासागर में फ्रेंच पोलिनेशिया और न्यू कैलेडोनिया में भी इसके नौ सैनिक अड्डे हैं। इसी साल फ्रांस इंडियन ओसियन रिम एसोसिएशन का 23वां पूर्ण सदस्य देश बना है जिससे हिंद महासागर को चीन जैसे देशों के एकाधिकारवादी मानसिकता के दायरे से बाहर निकालने की फ्रांस की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
विस्तारवादी नीति के तहत चीन हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में आर्थिक व भौगोलिक विस्तार कर विश्व में वर्चस्व कायम करना चाहता है। चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये से गंभीर संकट पैदा हो रहा है और यह भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र बन गया है। इस पृष्ठभूमि में क्वॉड की सर्व समावेशी भूमिका को विश्व के हित में प्रभावशाली रूप में देखा जा रहा है। हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और समावेशी बनाने के लिए और विश्व की चुनौतियों पर एक साथ काम करने के लिए 24 मई, 2022 को टोक्यो में आयोजित क्वाॅड देशों के तीसरे शिखर सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा तथा संप्रभुता की रक्षा के साथ वैश्विक भू-राजनीतिक व भू-आर्थिक परिस्थितियों के कारण लोकतांत्रिक व तानाशाही देशों के बीच शक्ति संतुलन स्थापित करने के लिए 13 देशों का एक आर्थिक मंच बनाया गया था जिसमें भारत, आस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका के साथ ब्रूनेई, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाईलैंड, दक्षिणी कोरिया, मलेशिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया व वियतनाम शामिल हैं। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग के साथ एक बड़े आर्थिक सहयोग संगठन की शुरुआत टोक्यो में हो चुकी है जिससे कोरोना संकट काल के बाद व रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजी समस्याओं जैसे आपूर्ति शृंखला, महंगाई, डिजिटल धोखाधड़ी, स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने की बात की गई है जो विश्व की निर्भरता को चीन से कम भी करेगा। 13 देशों के बने संगठन आईपीईएफ (इंडो- पैसिफिक इकोनोमिक फ्रेमवर्क) में वैश्विक अर्थव्यवस्था की जीडीपी का 40 प्रतिशत हिस्सा है जो भविष्य में एक महत्वपूर्ण नए आर्थिक मंच के रूप में उभरने की संभावनाओं से भरा है।
श्रीलंका भी चीन के ऋण जाल में फंसकर अपना बुरा हाल करवा चुका है। उसने श्रीलंका के हेबन टोटा बंदरगाह पर कब्जा किया हुआ है। पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर कब्जे के कारण ब्लूचों के कड़े विरोध और हमलों के चलते उसके वापिस लौटने की नौबत आ चुकी है। मालदीव और म्यांमार में भी उसकी साजिशें सफल नहीं हो रही हैं। दक्षिणी चीन सागर में उसने भय और अस्थिरता का माहौल कायम किया हुआ है। भारत ने हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर में नौगमन की स्वतंत्रता, महत्वपूर्ण व्यापारिक समुद्री मार्गों से अबाधित आवाजाही को एक नया वैश्विक आंदोलन बना दया है और भारत को व्यापक समर्थन भी मिल रहा है। बेहतर यही होगा कि श्रीलंका चीन के जाल से बाहर निकल इस आंदोलन का भागीदार बने और खुद को मजबूत बनाए। भारत, फ्रांस और अन्य देश श्रीलंका की हरसम्भव मदद करने के लिए तैयार हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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