इंडिगो की सबसे बड़ी डील - Punjab Kesari
Girl in a jacket

इंडिगो की सबसे बड़ी डील

भारतीय विमानन उद्योग सबसे तेजी से बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है। भारत में हवाई यात्रा करने

भारतीय विमानन उद्योग सबसे तेजी से बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है। भारत में हवाई यात्रा करने वाले कुल यात्रियों की संख्या में 2010 से 2019 के बीच 163.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई यानि हर वर्ष 16 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि। भारत के विमानन उद्योग का सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान है। इस समय भारत दुनिया का नौवां सबसे बड़ा विमानन बाजार है और इसके 2024 तक तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बनने की उम्मीद है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई प्राइवेट विमानन कम्पनियां बंद भी हुईं क्योंकि वे बाजार की चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर सकी लेकिन इस क्षेत्र में एक के बाद एक नई कम्पनियां आती जा रही हैं। इसके बावजूद विमानन उद्योग रोजगार के अवसर सृजत करने में पीछे नहीं है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार भारत में विमानन और वैमानिकी विनिर्माण क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 250,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं। मंत्रालय के मुताबिक 2024 तक इस संख्या के 350,000 तक बढ़ने की उम्मीद है। आईबीईएफ के मुताबिक भारतीय विमानन उद्योग ने कुल चार मिलियन नौकरियां पैदा की हैं। भारत में लगभग सभी एयरलाइन अपने विमानों की फ्लीट को बढ़ा रही हैं, जिसके कारण अगले 18 से 30 महीनों में इस उद्योग में लाखों नई नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। साथ ही अगले पांच वर्षों में 10,000 और पायलटों की आवश्यकता होगी।
निजी एयरलाइन इंडिगो ने 500 एयरबस विमान खरीदने के लिए मेगा डील की है। इंडिगो बोर्ड की और  से 50 अरब डालर के विमान खरीदने को मंजूरी दी थी। यह डील एयरबस के साथ किसी भी एयरलाइन की ओर से किया गया अब तक का सबसे बड़ा सौदा है। इस समझौते के बाद इंडिगो के एयरबस विमानों की कुल संख्या 1330 हो जाएगी। इन विमानों की डिलीवरी 2030 से 2035 के बीच होगी। इन विमानों में ए-320 नियो, ए-321 नियो और  ए-321 एक्स एल आर शामिल है। वर्तमान में इंडिगो 300 विमानों को संचालित कर रही है। विमानन कम्पनी ने 480 विमानों का आर्डर पहले ही दे रखा है। इससे पहले टाटा समूह के स्वामित्व वाली कम्पनी एयर इंडिया ने एयरबस और बोइंग के साथ 470 विमानों की खरीदारी का करार किया। इस तरह इंडिगो ने टाटा के रिकार्ड को भी तोड़ दिया। भारतीय ​विमानन कम्पनियां अब अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों में भी अपना मार्किट शेयर बढ़ा रही है। जैट एयरवेज जैसी पुरानी कम्पनी भी अब कमबैक करने को तैयार है। कुछ वर्ष पहले इसे अपने कर्ज चुकाने में कठिनाई के चलते उड़ानों को रोकना पड़ा था। अब जेट एयरवेज को नैशनल कम्पनी लॉ ट्रब्यूनल की योजना के तहत पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। गो फर्स्ट की बात करें तो उनकी उड़ाने भी बंद हैं।
अमेरिकी कम्पनी के खराब इंजन के चलते उसका बेड़ा भी उड़ान नहीं भर पा रहा लेकिन नई निजी कम्पनियां इस क्षेत्र में रुचि दिखा रही हैं। भारतीय विमानन कम्पनियां लगातार यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपने बेड़े का विस्तार कर रही है।
भारत सरकार ने भारतीय विमानन उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की है। सरकार ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय को बजट 2023-24 में रुपए 3,224 करोड़ आवंटित किए हैं। सरकार का लक्ष्य हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट, वाटर एयरोड्रोम और लैंडिंग ग्राउंड सहित 50 विमान लैंडिंग साइटों को पुनर्जीवित करना है ताकि क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी में सुधार हो सके। पिछले आठ वर्षों में भारत में हवाई अड्डों की संख्या 74 से बढ़कर 140 हो गई है और सरकार का मकसद अगले पांच वर्षों में इस संख्या को 220 हवाई अड्डों का करने की है। सरकार की 33 नए घरेलू कार्गो टर्मिनल और 15 नए उड़ान स्कूल बनाने की भी योजना है। सरकार अपनी नीतियों के चलते एयरलाइनों, हवाई अड्डों आदि के विकास के लिए इको सिस्टम बनाने में सफल रही है। आज का युवा टैक्नोलोजी का है, युवाओं का है और सबसे बड़ा बाजार बने रहने का है। भारत के पास यह तीनों चीजें हैं। जैसे-जैसे लोग तरक्की कर रहे हैं वह विमान सेवाओं की ओर रुख करने लगे हैं। कोरोना काल के बाद भारत का विमानन बाजार पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है और वह दिन दूर नहीं है जब भारत का विमानन बाजार पूरी दुनिया में अपना डंका बजाएगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।