भारत अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर और कई देशों के साथ द्विपक्षीय बातचीत में आतंकवाद और उसके शरणदाताओं के खिलाफ आवाज बुलंद करता आ रहा है। भारत न केवल पाकिस्तान बल्कि ब्रिटेन, कनाडा, अफगानिस्तान और कुछ अन्य देशों को अपने यहां मोस्ट वांटेड लोगों की सूची सौंपता रहा है, लेकिन इन देशों ने भारत की बातों को कोई ज्यादा तवज्जो नहीं दी। बहुत पुराने मामलों में फंसे कुछ आर्थिक अपराधी ही भारत प्रत्यार्पित किए गए हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से तो कोई उम्मीद ही नहीं की जाती क्योंकि वे आतंकवाद की खेती करने में ही व्यस्त हैं। सारी दुनिया जानती है कि भारत के दुश्मन विदेशों में शरण लिए बैठे हैं और वहां रहकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने और भारत के दुश्मनों के साथ साठगांठ कर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। विदेशों में बैठकर वे गैंग चला रहे हैं और लगातार हत्याएं करवा रहे हैं। इनका प्रत्यक्ष उदाहरण है पंजाब। जहां फिरौती के लिए हत्याएं एक के बाद एक हिन्दू नेताओं की टारगेट किलिंग, ड्ग्स के व्यापार और अन्य कई अपराधों के तार कनाडा में बैठे राष्ट्र विरोधी तत्वों से जुड़े हैं।
एक सनसनीखेज वारदात में प्रतिबंधित आतंकी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख और वांछित हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई। सरी के गुरु नानक सिख गुरुद्वारा के परिसर की पार्किंग में हरदीप सिंह को गोलियां मार दी गईं। निज्जर पंजाब में हुई हिंदू नेताओं की टारगेट किलिंग में वांछित आरोपियों में से एक था। वह पंजाब समेत पूरे भारत में माहौल बिगाड़ने के लिए फंडिंग और हथियारों से पाकिस्तान में बैठे आतंकियों की मदद करता था। वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल था। उस पर एजेंसी ने दस लाख का इनाम घोषित किया हुआ था। हरदीप सिंह निज्जर मूलरूप से पंजाब के जालंधर जिले के फिल्लौर का रहने वाला था, लेकिन 1997 से कनाडा में रह रहा था। उसके परिवार में पत्नी व दो बच्चे हैं। वह काफी समय से भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल था, लेकिन पंजाब में हुई टारगेट किलिंग में उसकी भूमिका सामने आने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उस पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। इसके बाद उसके खिलाफ चार केस दर्ज थे। एनआईए की जांच में सामने आया था कि आरोपी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) और अन्य आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फंडिंग करता था। इसके लिए वह हवाला चैनलों का प्रयोग करता था। उसका कई अन्य आतंकियों से भी गहरा संबंध था।
निज्जर से पहले पाकिस्तान, कनाडा और लंदन में भारत के दुुश्मन खुद व खुद अपने ही कारणों से निपट चुके हैं। मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड़ की मई महीने में पाकिस्तान के लाहौर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसी तरह पाकिस्तान में बैठे हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज आलम की रावलपिंडी में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। वह जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के गांव का निवासी था और पाकिस्तान में जाकर आतंकवादी सरगनाओं का करीबी बन गया था। इसी साल फरवरी में आतंकवादी एजाज अहमद की काबुल में हत्या कर दी गई थी, जो भारत में आईएस को दुबारा जिन्दा करने के लिए काम कर रहा था।
कनाडा में अमनप्रीत सामरा की हत्या को अभी कुछ दिन ही हुए थे कि लंदन में मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकवादी अवतार सिंह खांडा की कैंसर से मौत हो गई। हालांकि उसकी मौत को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं और इस तरह की रिपोर्टें भी हैं कि उसे अपने ही दुश्मनों ने जहर देकर मार डाला। पंजाब में दबोचे गए अमृतपाल सिंह के गॉडफादर अवतार सिंह खांडा ने ही लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के ऊपर लगे तिरंगे को उतारने की जुर्रत की थी। भारत कई वर्षों से ब्रिटेन से खांडा को भारत के हवाले करने की मांग कर रहा था।
अब सवाल यह है कि भारत के दुुश्मनों को उनके अपने ही दुश्मन निपटा रहे हैं या फिर जिन देशों में वे शरण लिए बैठे हैं वहां की एजैंसियां यह सब काम कर रही हैं। गैंगस्टरों और आतंकवादी गिरोह की आपसी दुश्मनियां भी कम नहीं होतीं, इसलिए इनमें गैंगवार चलती रहती है। खुफिया एजैंसियों की या माफियाओं की यह नीति बहुत पुरानी है कि वे पहले अपने गुर्गे बनाते हैं और उनका इस्तेमाल करके उन्हें खत्म कर देते हैं। अगर भारत इन्हें पकड़ कर ले भी आता तो कानूनी दांवपेचों के चलते कई साल केस चलता और वे कई साल जेलों में बंद रहकर नई साजिशें रचते रहते। कुछ लोग भारतीय खुफिया एजैंसियों और रॉ पर भी संदेह की उंगलियां उठाएंगे। लेकिन जो कुछ भी हो रहा है वह भारत के हित में ही है। क्योंकि ऐसे लोगों को भारत लाने में अन्तर्राष्ट्रीय कानूनी अड़चनें नियम, लम्बी प्रक्रियाएं और देशों के बीच संधियां हमेशा बाधक बनती रही हैं। जिन देशों ने इन्हें पालपोस कर रखा है वहां यह खुद ही निपट रहे हैं। तो फिर इस संबंध में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के मोस्ट वांटेड लोगों के साथ एेसा ही होना चाहिए। मोस्ट वांटेड लोगों की हत्याओं का कारण प्रभुत्व और धन का लालच ही होता है। जरा सी किसी ने आंख दिखाई तो इनके आका ही इनका काम तमाम कर देते हैं। भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजैंसियों के लिए यही हित में है कि अपराधी अपने आप ही निपट जाएं क्योंकि दूसरे देशों में जाकर ऐसे आपरेशन्स करना आसान नहीं होता।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com