सूडान में फंसे भारतीय - Punjab Kesari
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सूडान में फंसे भारतीय

सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के और तीव्र होने के साथ ही स्थिति बहुत भयावह हो गई है।

सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के और तीव्र होने के साथ ही स्थिति बहुत भयावह हो गई है। राजधानी खार्तूम सहित देश के अन्य हिस्सों में हुई हिंसा में एक भारतीय समेत 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 4,000 से ज्यादा भारतीय वहां फंसे हुए हैं। ज्यादातर भारतीय चार शहरों में बसे हुए हैं। इनमें से एक है ओमुडरमैन, दूसरा है कसाला, तीसरा है गेडारेफ या अल कादरीफ और चौथा शहर है वाड मदनी। इनमें से दो शहरों की दूरी राजधानी से 400 किलोमीटर से भी ज्यादा है तो वहीं एक शहर करीब 200 किलोमीटर है। एक शहर तो खार्तूम से महज 25 किलोमीटर दूर हैै। सबसे ज्यादा​ चिंताजनक बात तो यह है कि इन चारों शहरों में किसी शहर में इंटरनैशनल एयरपोर्ट नहीं है। भारत सूडान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित है। दक्षिण भारत के कम से कम 40 लोग भी वहां फंसे हुए हैं। जो वहां जड़ी-बूटियां और मसाले बेचने के लिए गए हुए हैं। 
सूडान में फंसे भारतीयों के परिजनों की ओर से राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार से अपील की जा रही है कि उनके परिजनों को वहां से निकाला जाए। सूडान में कई भारतीय होटल में फंसे पड़े हैं। होटल में पांच दिनों से बिजली नहीं है। पानी की सप्लाई लगभग न के बराबर है। खाने-पीने के लिए भी कुछ खास नहीं मिल रहा। कई भारतीय भूख-प्यास से तड़प रहे हैं। कुल 33 लाख की आबादी वाले सूडान में चारों ओर भय का वातावरण है। लोग दूसरे देशों को पलायन कर रहे हैं। अर्द्धसैनिक बल ही लूटपाट कर रहे हैं। जो कि सबसे बड़ी समस्या है। अंधाधुंध फायरिंग की वजह से लोगों को खाने-पीने का सामान, दवाइयां और अन्य मूलभूत चीजों के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। संचार व्यवस्था भी ठप्प हो चुकी है। सूडान में संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अवदेल बुरहान और पैरामिल्ट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डाेगालो के बीच हो रहा है। जनरल बुरहान आैर जनरल डोगालो दोनों पहले एक साथ थे। मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं। उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था। बाद में सेना ने अल बशीर की सत्ता को उखाड़ फैंका था। इसके बाद एक काऊंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के अंत में चुनाव कराए जाएंगे। उसी साल अब्दुल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया लेकिन बात बनी नहीं। अक्तूबर 2021 में सेना ने उसका भी तख्त पलट ​कर दिया। तब जनरल बुरहान काऊं​िसल के अध्यक्ष बने और जनरल डोगालो उपाध्यक्ष बने।
जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में शामिल करने की बात थी लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी उसका प्रमुख कौन बनेगा, बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा।
अब सबसे बड़ा सवाल सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने का है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उच्चस्तरीय बैठक कर आपरेशन एयरलिफ्ट की तैयारी करने को कहा है। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और खाड़ी देशों में भारत के राजदूतों ने भाग लिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारतीयों को एयरलिफ्ट करने की योजना के दृष्टिगत अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई और सऊदी अरब से तालमेल बनाए हुए हैं ताकि किसी भी आपात योजना के लिए इनकी मदद ली जा सके। 
सूडान की जमीनी स्थिति के आधार पर ही भारतीयों को वहां से निकालने की योजना तैयार की जाएगी। भारत को युद्धग्रस्त देशों से अपने नागरिकों को निकालने का अच्छा खासा अनुभव है। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद वहां फंसे 20 हजार नागरिकों (जिनमें काफी संख्या में छात्र थे) को आप्रेशन गंगा के तहत एयरलिफ्ट करके भारत लाया गया। 33 वर्ष पहले 1990 में खाड़ी युद्ध के दौरान कुवैत में फंसे पौने दो लाख भारतीयों को एयर इंडिया की मदद से भारत लाया गया था। इसके अलावा 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां फंसे भारतीयों के साथ-साथ विदेशियों को भी बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की थी। अब एक बार फिर भारत के सामने बड़ी चुनौती है। उम्मीद है कि भारत कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा।

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