भारत-मलेशिया संबंध - Punjab Kesari
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भारत-मलेशिया संबंध

भारत-मलेशिया राजनयिक संबंध 1957 में स्थापित हुए थे। मलेशिया में लगभग 7.2 प्रतिशत आबादी भारतीय मूूल की है, इसलिए वह भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मलक्का, जल डमरू मध्य और दक्षिणी चीन सागर जैसे समुद्री मार्गों से घिरा मलेशिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति का प्रमुख स्तम्भ है और वह भारत की समुद्री सम्पर्क रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण है। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम भारत के दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अनवर इब्राहिम की द्विपक्षीय वार्ता ने दोनों देशों के संबंधों के नए युग की नींव रख दी है। दोनों देशों के बीच श्रमिकों की भर्ती, आयुर्वेद और अन्य पारम्परिक चिकित्या प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग, डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग, पर्यटन क्षेत्र, स्टार्ट अप पर सहयोग संबंधी अहम समझौते भी हुए हैं। भारत मलेशिया को 2 लाख टन सफेद चावल और आईटीईसी स्लॉट का आवंटन भी करेगा। इन समझौतों के साथ ही दोनों देशों में मलेशिया के पूर्व पीएम महाथिर मोहम्मद के कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्तों में जो तनाव पैदा हुआ था वह पूरी तरह से खत्म हो गया है। दोनों देशों के रिश्तों के दर्जे को बढ़ाकर समग्र रणनीतिक साझेदारी कर दिया गया है। मलेशिया पिछले कुछ वर्षों से कट्टरपंथी इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक के कारण चर्चा में रहा है। जाकिर नाइक भारत में हेट स्पीच और मनी लॉड्रिंग मामले में अभियुक्त है। महाथिर मोहम्मद के दौर में मलेशिया कई मुद्दों पर भारत विरोधी बयानबाजी करता रहा है।

भारत-मलेशिया संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलना भी व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक महत्व रखता है। मलेशिया को इस क्षेत्र में भारत के लिए एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखा जाता है, खासकर आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन) की केंद्रीयता के संदर्भ में। प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान केंद्रीयता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कहा, “भारत आसियान केंद्रीयता को प्राथमिकता देता है। हम इस बात पर सहमत हैं कि भारत और आसियान के बीच एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) की समीक्षा समय पर पूरी होनी चाहिए।” मलेशिया के दृष्टिकोण से, प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भारत के साथ संबंधों को गहरा करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने भारत को एक “महत्वपूर्ण साझेदार” बताया और कहा कि यह रिश्ता सच्ची दोस्ती पर आधारित है। इब्राहिम की भारत यात्रा पदभार ग्रहण करने के बाद उनकी पहली यात्रा है, जो ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश लगभग एक दशक की बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी का जश्न मना रहे हैं जो पहली बार 2015 में मोदी की मलेशिया यात्रा के दौरान स्थापित हुई थी। दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध जो 2019 रायसीना वार्ता के दौरान उनकी बातचीत से शुरू हुए हैं, ने भारत-मलेशिया संबंधों के भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रखी है।

भारत और मलेशिया में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता पहले से ही है। यह समझौता एक तरह से मुक्त व्यापार समझौता है। जब महाथिर मोहम्मद ने भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम की कड़ी आलोचना की थी तब उसे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना गया था। तब मलेशियाई पाम ऑयल की खरीद अवरुद्ध हो गई थी। राजनयिक कूटनीति के बाद 4 महीने के अंतराल के बाद खरीद-फरोख्त शुरू हुई थी। यद्यपि मलेशियाई प्रधानमंत्री ने इंडियन कौंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स के कार्यक्रम में भाग लेते हुए जाकिर नाइक के प्रत्यार्पण संबंधी सवाल का जवाब कूटनीतिक शब्दों में ही ​दिया और यह भी कहा कि मैं किसी एक शख्स की बात नहीं कर रहा बल्कि अतिवाद की भावनाओं की बात कर रहा हूं। हम आतंकवाद को नजरंदाज नहीं करेंगे और भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ काम करते रहेंगे। अनवर इब्राहिम ने पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, महात्मा गांधी और श्री अरविन्दो जैसे विचारक का उल्लेख भी किया।
भारत-मलेशिया वार्ता के दौरान रक्षा और सुरक्षा पर चर्चा के मुख्य क्षेत्र रहे। दोनों नेताओं ने इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के महत्व को पहचाना, खासकर क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में। भारत ने मलेशिया को रक्षा उपकरण आपूर्ति करने में अपनी रुचि व्यक्त की, जिसमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित विमान शामिल हैं। दोनों पक्षों ने रक्षा प्रौद्योगिकी और संयुक्त सैन्य अभ्यास में सहयोग की नई संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श किया।

अहम बात यह है कि भारत-मलेशिया के बीच व्यापार अब भारतीय रुपए और मलेशियाई रिंगिट में तय किया जा सकता है। मलेशिया में 30 लाख भारतीय रहते हैं जो दोनों देशों के संबंधों में जीवंत सेतु हैं। अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई मिली है। भारत ने 2025 में मलेशिया की सफल आसियान अध्यक्षता को पूरा समर्थन देने का वादा ​भी किया है।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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