ब्रिटिश संसद की 650 सीटों पर चुनाव गुरुवार को सम्पन्न हो गया। हाउस ऑफ काॅमन्स में बहुमत का जादुई आंकड़ा 326 है। भारत समेत दुनिया की नजरें ब्रिटेन के चुनाव परिणामों पर लगी हुई हैं। सभी को इस बात का इंतजार है कि क्या इन चुनावों में किसी एक पार्टी को बहुमत मिलेगा या नहीं। खंडित जनादेश के बाद सरकार किस तरह से बनती है। 2017 के आम चुनाव में परिणामों का सटीक अनुमान लगाने वाले यूगव पोल का अनुमान है कि कंजरवेटिव पार्टी आगे रहेगी लेकिन उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा।
इस बार ब्रिटेन में चुनाव प्रचार काफी रोचक रहा। ब्रिटेन के चुनावों में हमेशा ही भारतीय और पाकिस्तानी मूल के लोगों ने अहम भूमिका निभाई है। दक्षिण एशियाई मूल के लोगों को आम तौर पर लेबर पार्टी का समर्थक माना जाता रहा है लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। इस बार के चुनाव में हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान का मुद्दा छाया रहा। कंजरवेटिव पार्टी और लेबर पार्टी ने भारतीय मूल के लोगों को लुभाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया। चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कश्मीर और जलियांवाला बाग कांड भी छाया रहा।
2011 की जनगणना के मुताबिक ब्रिटेन की आबादी 6 करोड़ है। इनमें करीब 2.5 फीसदी भारतीय हैं। एक आंकड़े के मुताबिक भारतीय मूल के 15 लाख लोग ब्रिटेन में रहते हैं, जिनमें पांच लाख सिख, 3 लाख भारतीय मुस्लिम और एक लाख से अधिक दक्षिण भारतीय हैं। इतनी बड़ी आबादी को कोई भी दल नजरंदाज नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री वोरिस जॉनसन को लेकर एक हिन्दी गाना भी वायरल हुआ। गाने के वीडियो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दिखाया गया है और भारत के साथ मिलकर काम करने का संकल्प व्यक्त किया गया है।
एक तरफ कंजरवेटिव पार्टी ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को भारत का आंतरिक मामला बताया वहीं दूसरी ओर लेबर पार्टी ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे का विरोध किया है। चुनाव प्रचार के दौरान वोरिस जॉनसन लंदन में स्वामी नारायण मंदिर में गए थे, उनके साथ उनकी पार्टनर कैटी सेमंडस ने भारतीयों को प्रभावित करने के लिए लाल रंग की साड़ी पहनी थी। इस मौके पर वोरिस जॉनसन ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं और ब्रिटेन उन्हें पूरा समर्थन दे रहा है।
लेबर पार्टी ने भारतीयों को लुभाने के लिए वादा किया है कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो जलियांवाला बाग कांड पर ब्रिटेन सरकार माफी मांगेगी। उसने यह भी वादा किया है कि ब्रिटेन के स्कूलों में ब्रिटिश राज में हुए अत्याचारों काे पढ़ाई में शामिल किया जाएगा। अनुच्छेद 370 और जलियांवाला बाग कांड भारतीयों के लिए काफी संवेदनशील मुद्दे हैं। लेबर पार्टी ने अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करके भारतीय मूल के लोगों से नाराजगी मोल ले ली है, जबकि मुस्लिम लेबर पार्टी से खुश हैं। इस तरह दक्षिण एशियाई मूल के लोग इस मुद्दे पर बंट गए हैं। पाकिस्तान और बंगलादेश के लोगों का झुकाव लेबर पार्टी की तरफ हुआ है।
भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश के लोग ब्रिटेन संसद की 48 सीटों पर असर डालते हैं। इस बार हिन्दुओं के वोट कंजरवेटिव पार्टी को जाने की बात कही जा रही है। पिछले चुनावों में दक्षिण एशियाई मूल के 12 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें लेबर पार्टी के 7 और कंजरवेटिव पार्टी के 5 उम्मीदवार विजयी हुए थे। प्रधानमंत्री वोरिस जॉनसन ने जुलाई में सत्ता सम्भालते ही भारतीय मूल के तीन लोगों प्रीति पटेल, आलोक शर्मा और ऋषि सुनक को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी। ब्रिटेन के चुनाव ब्रेक्जिट के विवादास्पद मुद्दे पर हो रहे हैं।
ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने के सम्भावित फैसले के बीच उम्मीद की जा रही है कि ब्रिटेन के चुनावों के परिणामों से कभी न खत्म होते नाटक का अन्त हो जाएगा। वोरिस जॉनसन बार-बार दोहराते रहे हैं कि जब तक ब्रिटेन ब्रेक्जिट से बाहर नहीं निकलता तब तक एक देश के तौर पर उसका भविष्य अनिश्चित है। ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के मुद्दे पर काफी राजनीतिक उठा-पटक हो चुकी है और बीते पांच वर्षों में ब्रिटेन में यह तीसरा आम चुनाव हुआ है।
यह पहला मौका नहीं है जब किसी देश के चुनाव में भारत की चर्चा हुई है। इससे पहले इस्राइल के चुनावो में प्रचार के लिए वेंजामिन नेतन्याहू ने भी पीएम नरेन्द्र मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल किया था। अमेरिकी चुनावों में भी एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें डोनाल्ड ट्रंप ‘आई लव हिन्दू’ कहते दिखे थे। यदि इन चुनावों में कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत मिलता है और वोरिस जॉनसन फिर प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह अपनी शर्तों पर यूरोपीय यूनियन से अलग होंगे। अगर किसी दूसरी पार्टी की सरकार या खिचड़ी सरकार बनती है तो सम्भव है वह ब्रेक्जिट मामले पर दूसरे जनमत संग्रह का प्रस्ताव रखे। देखना होगा ब्रिटेन के मतदाता कैसा जनादेश देते हैं।