विदेशी धरती पर बैठकर मुठ्ठीभर खालिस्तानी समर्थक अक्सर ऐसी बयानबाजी कर जाते हैं जिसका असर भारत में देखने को मिलता है और खासकर दक्षिण भारत या पूर्वी भारत के इलाकों में जहां सिखों की गिनती बहुत ही कम होती है और कई जगहों पर तो पूरे क्षेत्र में एक आध ही सिख परिवार रहता है वहां पर उन्हें लोग नफरत की निगाहों से देखते हैं। हालांकि देश की मौजूदा सरकार के द्वारा सिख गुरु साहिबान और सिख समुदाय की कुर्बानियों के प्रति देश की जनता को जागरूक किया जा रहा है वरना 1980 के दशक में एक समय ऐसा भी था जब पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट पूरी तरह से हावी थी जिसके चलते पूरे देश में लोग सिखों को नफरत की निगाहों से देखने लगे थे, स्कूलों में बच्चों को खालिस्तानी कहकर सम्बोधन किया जाता था। आम सिख जिनका खालिस्तान से कोई लेना देना भी नहीं उन्हें भी नफरती हिंसा का शिकार होना पड़ता।
हालांकि एक बात तो पूरी तरह से तय है कि कोई भी आम सिख भले ही वह भारत के किसी भी कोने में क्यों ना रहता हो यहां तक कि विदेशों में बसने वाले सिख भी खालिस्तान के समर्थक ना कभी थे और ना हो सकते हैं। इसका एक कारण तो यह है कि सिख समुदाय भारत देश को अपना मानते है और इतिहास इस बात की गवाही भी भरता है कि देश की आजादी से लेकर आज तक सिख समुदाय ने हमेशा सबसे आगे बढ़कर देश की आन बान और शान बरकरार रखने में अपना पूरा योगदान दिया है और दूसरा यह कि सिख समुदाय एक बार 1947 में देश के बंटवारे के दर्द को झेल चुका है जब राजा महाराजाओं की तरह जिन्दगी बसर करने वाले सिख और हिन्दू परिवारों के लोगों को एकाएक अपना घर बाहर, जमीन जायदाद सब छोड़कर अपनी जान बचाते हुए भारत में आना पड़ा क्योंकि जहां वह रहते थे वह हिस्सा अंग्रेजी हुकूमत ने पाकिस्तान को सौंप दिया था। गुरु नानक देव जी की जन्मस्थली ननकाणा साहिब से लेकर अनेक धार्मिक स्थल भी पाकिस्तान में रह गये जिनके खुले दर्शन दीदार की उम्मीद आज भी सिख धर्म के लोग लगाते आ रहे हैं इसलिए वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकते कि एक बार फिर से देश का बंटवारा हो। क्योंकि 1947 के बाद से सिख समुदाय के द्वारा भारत में भी अनेक ऐतिहासिक स्थलों की खोजकर वहां गुरुद्वारा साहिब सुशोभित किये गये हैं।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के सलाहकार परमजीत सिंह चंडोक की समूचे सिख जगत से अपील है कि उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए जो हमारी युवा पीढ़ी को झूठे लोभ लालच देकर अपने जाल में फंसाकर उन्हें जबरन अपनी मूवमेंट का हिस्सा बना लेते हैं और वह चाहकर भी इनके जाल से निकल नहीें सकते।
ड्रग माफिया पर आप का शिकंजा
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली जबरदस्त हार के बाद उसे समझ आने लगा है कि अगर पंजाब में अपना दबदबा बरकरार रखना है तो किसी भी सूरत में पंजाब के लोगों के विश्वास को जीतना होगा। पंजाब के लोगों की इस समय सबसे बड़ी समस्या नशाखोरी की है जिसने पंजाब की जवानी को तबाह कर दिया है। छोटी उम्र के लड़के लड़कियां जिनकी पढ़ने लिखने, नौकरी आदि करने की थी वह ना जाने कौन-कौन से नशे के आदी हो चुके हैं। इस बीमारी से आज शायद ही पंजाब का कोई परिवार बचा हो वरना हर घर में एक ना एक व्यक्ति इसकी चपेट में आ चुका है। जब पंजाब पर उड़ता पंजाब फिल्म बनी थी तो कई लोगों को एतराज भी हुआ था मगर आज के हालात देखकर ऐसा लगता है कि शायद कुछ हद तक सच्चाई ही रही होगी। देखा जाए तो यह समस्या कोई आज की नहीं है पिछली सरकारों के समय से इसकी शुरुआत हुई और लोग तो यहां तक कहते हैं कि स्वयं को पंथक कहलाने वाली सरकार में नशा तस्करों ने सबसे अधिक पैर पसारे।
पंजाब की आप सरकार ने अब नशा तस्करों पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है, जगह-जगह छापेमारी की जा रही है, गिरफ्तारियों का सिलसिला भी शुरू किया गया है और कई जगह तो उनके ठिकानों पर बुलडोजर तक चलाने की खबर सामने आ रही है। मगर शायद अभी भी इसकी जड़ तक पहुंचने की सोच सरकार की नहीं है कि आखिर पंजाब में नशा आ कहां से रहा है। पंजाब को कई तरफ से बार्डर लगता है जिसके चलते यह माना जा सकता है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान से नशा भारत में प्रवेश करता है। इसलिए अगर सभी बार्डर्स पर सख्त चौकसी हो जाए तो नशा तस्कर चाहकर भी प्रवेश नहीं कर पाएंगे। कुछ लोगों का मानना है कि नशा तस्करों के द्वारा राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग दी जाती है जिसके चलते उनकी मदद से ही ऐसा होता आया है और सरकार कोई भी आ जाए इस पर पाबंदी लगाना मुश्किल है। इसलिए अब देखना होगा कि आप का यह अभियान किस हद तक कारगार साबित होता है।
गुरुघरों को बदनाम ना किया जाये
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कीर्तनी जत्थे की एक युवा महिला काफी चर्चा में है जिसके द्वारा गुरुद्वारा बंगला साहिब के प्रबन्धकों, हैड ग्रन्थी साहिबान और सेवादार स्टाफ के खिलाफ एक पोस्ट शेयर की गई जिसमें उसने जानकारी दी कि एक विदेशी महिला के गुरुद्वारा साहिब परिसर में फोटाग्राफी करने पर उसे डयूटी पर तैनात सेवादारों के द्वारा सख्त रवैया अपनाते हुए रोका गया। उसके साथ ही उसने इस बात का भी हवाला दिया कि अगर कोई वीआईपी परिसर में आता है तो हैड ग्रन्थी साहिब स्वयं मौजूद रहकर उसकी तस्वीरें खिंचवाते हैं। हालांकि इसके बाद स्वयं महिला की कई तरह की वीडियो भी वायरल हो गई जिसमें वह ऐसी शब्दावली का प्रयोग करती दिखी जो कि शायद कोई आम लड़की भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रयोग ना करे पर एक कीर्तनी जत्थे की सदस्य होने पर, पूर्ण सिखी पहनावे में रहते हुए उनके द्वारा ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया।
अब सवाल यह बनता है कि अगर इस महिला को सेवादारों के प्रति कोई नाराजगी थी तो वह इसकी शिकायत स्वयं हैडग्रन्थी साहिब से कर सकती थी, उसके बाद भी अगर सुनवाई ना होती तो प्रबन्धकों से की जा सकती थी मगर इन्होंने ऐसा ना करके उसे सोशल मीडिया पर जिस तरह से प्रसारित किया उससे बदनामी गुरुद्वारा बंगला साहिब की हुई जिसे कोई भी सिख बर्दाश्त नहीं कर सकता। इन्हंे शायद इस बात का अंदाजा नहीं है कि पिछले कुछ समय से दिल्ली ही नहीं श्री दरबार साहिब, श्री पटना साहिब, श्री हजूर साहिब आदि गुरुद्वारा साहिबान में भी फोटोग्राफी के नाम पर ऐसी ऐसी रील बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल की जा चुकी है जिसके चलते इस तरह की कार्रवाई की जा रही है। हां यह हो सकता है कि उस समय मौजूद सेवादारों के द्वारा थोड़ी सख्ती से बात की गई हो क्योंकि महिला स्वयं दावा कर रही है कि विदेशी महिला को भारतीय भाषाओं का ज्ञान नहीं था पर फिर भी इस महिला ने ना सिर्फ अपना मजाक बनवाया बल्कि गुरुद्वारा साहिब आने वाले श्रधालुओं की आस्था को भी आहत किया है इसके बाद कई श्रद्धालु गुरुद्वारा साहिब आने से भी परहेज कर सकते हैं।
पंजाबी अकादमी की गवर्निंग बॉडी का गठन जल्द होना चाहिए
दिल्ली के सिंह सभा गुरुद्वारों और अन्य संस्थानों में पंजाबी भाषा का प्रचार प्रसार करने हेतु अनेक टीचर्स मनोनीत किये जाते हैं जिन्हें तनख्वाह पंजाबी अकादमी के द्वारा दी जाती है मगर पिछले 1 साल से इन्हें खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्यांेकि केजरीवाल सरकार के द्वारा पंजाबी अकादमी की गवर्निंग बॉडी का गठन लम्बे समय से नहीं किया गया, अकादमी का बजट कम किया गया जिसके चलते शायद इन्हें परेशानी झेलनी पड़ी। वैसे भी इनकी तनख्वाह मात्र 7 से 8 हजार रुपये ही रहती है जो कि बहुत ही कम है बावजूद इसके भाषा से प्यार करने वाले महिला पुरुष इस कार्य को स्वेच्छा से निभाते हैं मगर कई महीनों से वह बिना तनख्वाह के ही अपनी जिम्मेवारी निभाते आ रहे हैं। दिल्ली में 90 के करीब अध्यापक हैं जो इस कार्य में लगे हैं। राजीव कौर नामक अध्यापक का मानना है कि दिल्ली की नई सरकार से उन्हें काफी उम्मीदें हैं कि वह उनकी समस्याओें का निवारण अवश्य करेंगे। इसी के चलते उन्होंने सिख मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा जी को मिलकर पंजाबी अकादमी की गवर्निंग बॉडी के जल्द गठित करने की मांग रखी ताकि पहले की तरह फिर से रेगुलर पंजाबी भाषा सिखलाई सेन्टर शुरू हो सकें।