होली का सन्देश ‘सत्यमेव जयते’ - Punjab Kesari
Girl in a jacket

होली का सन्देश ‘सत्यमेव जयते’

NULL

आज होली वह शुभ पर्व है जिसके मूल में ‘सत्यमेव जयते’ का सन्देश निहित है। ईश्वर की सत्ता से ऊपर अपने पिता महाराजा हिरण्यकश्यप की सत्ता को न स्वीकार करने वाले भक्त प्रह्लाद का भारतीयों को सिखाया गया यह मार्ग है। इस मार्ग में लाखों मुश्किलें आने के बावजूद अन्त में सत्य की विजय का उद्घोष छिपा हुआ है। हम भारतीय इसे रंगों के एेसे उत्सव के रूप में मनाते हैं जिसे समाज के सभी वर्ग एकाकार होकर अपनी विशिष्ट पहचान खोकर रंगों की आभा में खो जाते हैं। यह रंग भाईचारे और प्रेम से पूरे समाज को अपने आगोश में ले लेता है परन्तु इसके साथ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भक्त प्रह्लाद के सत्य को अन्त में ‘अग्नि परीक्षा’ देकर तब खरा उतरना पड़ा था जब हर कदम पर झूठ की शक्ति सम्पन्न अाधिकारिक प्रभुता उसे डरा-धमका कर अपनी धाक जमाना चाहती थी।

भारतीय संस्कृति की ये अनूठी कथाएं भारतीयों में नव ऊर्जा का संचार इस तरह करती हैं कि वे सत्य के मार्ग से विचलित न हों, इसके लिए हमारे पूर्वजों ने इन्हें पर्वों में बदल दिया और इनका सम्बन्ध आर्थिक आधार कृषि व्यवस्था से जोड़ दिया परन्तु भारत में होली को ‘फाग या मदनोत्सव’ भी कहा जाता है। यह स्त्री-पुरुष के बीच स्थापित प्राकृतिक व नैसर्गिक सम्बन्धों के महोत्सव का अभिप्राय होता है। कुछ लोग कह सकते हैं कि 21वीं सदी के दौर में पर्वों के दार्शनिक पक्ष की क्या महत्ता हो सकती है? उनका तर्क गलत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वर्तमान समय मशीनीकरण से भी आगे ‘डिजिटल’ दौर में प्रवेश कर चुका है। मगर इसी दौर की यह भी हकीकत है कि झूठ की गति भी इसी के अनुरूप इस कदर तेज हो चुकी है कि आज हमें बैंकों के साथ धन की गड़बड़ी करने वालों को पकड़ने के लिए कोई नई टैक्नोलोजी नहीं मिल पा रही और रोज सुनने को मिल रहा है कि किसी फर्म या कम्पनी का मालिक बैंकों का हजारों करोड़ रुपए लेकर विदेश में बड़े आराम से चम्पत हो गया।

इन झूठे और गबनकारी लोगों के कपट को पकड़ने में न तो कोई टैक्नोलोजी हमारी सहायता कर रही है और न ही नए डिजिटल तरीके? आखिरकार इसकी क्या वजह हो सकती है कि बैंक जिस हीरे-जवाहरात के व्यापारी गुजरात के जतिन मेहता की फर्मों द्वारा 6712 करोड़ रुपए की धनराशि हजम करने की जानकारी खुद चार साल पहले सीबीआई और पुलिस को दें वह बहुत खूबसूरती के साथ इस बीच में पत्नी सहित भारत की नागरिकता को छोड़कर ‘सेंट किट्स एंड नेविस’ जैसे अनाम देश में भाग जाये जहां से उसे वापस लाने ही संभव न हो? इस डिजिटल दौर में भारत के बैंकों के साथ यह किस प्रकार की होली खेली जा रही है? यह कैसा आधुनिक भारत है जिसमें होली के त्यौहार को झूठ की विजय के रूप में बदल दिया है, क्योंकि बैंकों का 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक का धन लेकर भागा नीरव मोदी हमारे ही देश की जांच एजेंसियों से कह रहा है कि ‘जो चाहो कर लो मैं तो भारत वापस नहीं आऊंगा मैं तो विदेशों में अपने कारोबार में मशगूल हूं।’ होलिका दहन का अर्थ यही होता है कि सत्य आग में तप कर उजागर होगा और झूठ की नैया को चलाने वाला उसमें जलकर राख हो जायेगा।

मगर जब आम भारतीय देखता है कि झूठ और छल व धोखे से अपने जीवन को शोभायमान बनाने वाले लोग इस होलिका दहन से बाहर सुरक्षित आ रहे हैं और सत्य के ‘प्रह्लाद’ को ठेंगा दिखा रहे हैं तो नई पीढ़ी को हम होलिका दहन का दर्शन किस तरह समझायेंगे? हम भारत वासी विभिन्न मत-मतान्तरों के हो सकते हैं। हमारी धार्मिक मान्यताएं और आस्थाओं में विभिन्नता हो सकती है मगर राष्ट्र के प्रति हम सभी की मान्यता एक ही है और वह यह है कि इसके हर हिस्से में केवल और केवल सत्य की विजय सुनिश्चित हो। सत्य चाहे जितना भी कड़वा और कठिन क्यों न हो किन्तु उसका बोलबाला होना ही चाहिए। हमारी पूरी राजनीतिक प्रणाली भी इस बात की गारंटी देती है कि सत्य को सर्वदा शासन के हर अंग में सर्वोच्च प्रतिष्ठा प्राप्त होगी इसीलिए हमने अपना ध्येय ‘सत्यमेव जयते’ बनाया। यह केवल दिखावा नहीं था, क्योंकि भारत के हर प्रमुख त्यौहार का निहितार्थ यही रहा है। रक्षाबन्धन, दशहरा, दीपावली से लेकर होली तक को मनाने का यही भाव है। अतः हम भारतवासियों को सत्य के प्रति समर्पण से किस प्रकार विमुख किया जा सकता है? अतः होली का सन्देश अन्ततः हमें ‘प्रह्लाद’ को पाने से किसी भी तरह नहीं रोक सकता। बेशक इसमें देरी हो सकती है परन्तु हमें अपनी मंजिल पाने से कोई ताकत नहीं रोक सकती। इस सन्दर्भ में मैं कविवर भवानी प्रसाद की कविता की कुछ पंक्तियां देशवासियों को भेंट करता हूं
झूठ आज से नहीं, अनन्तकाल से रथ पर सवार है
और सच चल रहा है पांव-पांव
झूठ तो समान एक आसमान में उड़ता है
और उतर जाता है जहां चाहता है,
आज तो वह ‘सुपर सोनिक’ पर सवार है
और सच आज भी पांव-पांव चल रहा है
इतना हो सकता है कि किसी दिन, कि हम देखें
सच सुस्ता रहा है थोड़ी देर छांव में, और
सुपर सोनिक किसी झंझट में पड़ कर जल रहा है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fifteen − 2 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।