78वें हिमाचल दिवस की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। देश की आज़ादी के 8 महीनों के बाद सन् 1948 को इस ऐतिहासिक दिवस पर हमारा खूबसूरत प्रदेश 30 छोटी-बड़ी पहाड़ी रियासतों के विलय से केन्द्र शासित चीफ कमीशनर प्रोविंस के रूप में अस्तित्व में आया। इसमें उस समय के नेतृत्व के साथ-साथ प्रजामंडल आंदोलन के नायकों, आंदोलनकारियों और प्रदेश की जनता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज इस पावन अवसर पर मैं हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवन्त सिंह परमार सहित उन महान विभूतियों के प्रति सम्मान व्यक्त करता हूं जिन्होंने हिमाचल प्रदेश को अलग पहचान देने में बहुमूल्य योगदान दिया। मैं इस वीर भूमि के उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों एवं सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। प्रदेश के मेहनती, ईमानदार व शान्तिप्रिय लोगों का विशेष रूप से आभार जिनके निरन्तर प्रयासों से हिमाचल ने देश-विदेश में अपनी खास पहचान बनाई है।
हमारी सरकार ने वर्ष, 2027 तक हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने और वर्ष 2032 तक देश का सबसे समृद्धशाली राज्य बनाने का संकल्प लिया है। सीमित संसाधनों के बावजूद हम अपने संकल्प की पूर्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। राज्य सरकार के हर 100 रुपये में से 42 रुपये कर्मचारियों के वेतन और पेंशन, 11 रुपये कर्ज की अदायगी पर और 10 रुपये कर्ज का मूलधन चुकाने पर खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद, हमने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं तथा वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए कड़े फैसले लेने में भी संकोच नहीं किया, जिस कारण आर्थिक स्थिति फिर पटरी पर आने लगी है।
विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए 10 वायदों में से 6 वायदों को पूरा कर हम जनता की कसौटी पर खरा उतरने में सफल रहे हैं। शेष चार गारंटियों को भी हम पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हिमाचल प्रदेश को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान कर रही है। पहली बार दूध और प्राकृतिक खेती से उगाए गेहूं, मक्की व हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया गया है। हमारी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए दृढ़ संकल्प है। सभी पात्र महिलाओं को चरणबद्ध तरीके से प्रतिमाह 1500 रुपये प्रदान करने के लिए ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि’ योजना आरंभ की गई है ताकि अपनी दैनिक ज़रूरतों के लिए उन्हें किसी पर निर्भर ना रहना पड़े। एक जनवरी, 2025 से 31 मार्च, 2026 के बीच 21 वर्ष की आयु पूरा करने वाली बेटियों तथा दूसरों के घरों में काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाली महिलाओं को भी इस योजना से लाभान्वित किया जाएगा।
अनाथ बच्चों, बेसहारा महिलाओं और वृद्धजनों को सहारा देने के लिए हमने ‘मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना’ शुरू की है। इसके तहत 6000 बच्चों को ‘चिल्ड्रन आफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया गया है। अनाथ बच्चों को सहारा देने के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना है। हाल ही में कई जिलों से ‘चिल्ड्रन आफ द स्टेट’ को दिल्ली, चंडीगढ़, गोवा और अटारी-बाघा बॉर्डर आदि स्थानों के भ्रमण पर भेजा गया। हिमाचल में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही धार्मिक और साहसिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। हमारी सरकार इन सम्भावनाओं का पर्याप्त दोहन करते हुए हिमाचल को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने को पूर्णतः समर्पित है। कांगड़ा ज़िले को प्रदेश की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने का कार्य प्राथमिकता से किया जा रहा है। प्रदेशभर में लगभग 2400 करोड़ रुपये से नए पर्यटन स्थल विकसित किए जाएंगे।
‘मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्ट-अप योजना’ के तहत जनजातीय क्षेत्रों में हिमाचली युवाओं को होम-स्टे और होटल बनाने के लिए ऋण पर 5 प्रतिशत और गैर-जनजातीय क्षेत्रों में 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा। औद्योगिक विकास को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने पिछले साल 149 औद्योगिक प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की जिनमें 3084 करोड़ रुपये का निवेश होगा और लगभग 15 हज़ार लोगों को रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे। ‘रोगी मित्र योजना’ के अन्तर्गत विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में करीब 1000 रोगी मित्रों की नियुक्ति की जाएगी। 70 वर्ष या इससे अधिक आयु के मेरे बड़े भाइयों व बहनों को ‘मुख्यमंत्री वृद्धजन देखभाल योजना’ के अन्तर्गत मोबाइल स्वास्थ्य वैन के माध्यम से घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस वर्ष 31 डे-बोर्डिंग स्कूलों के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी। हमने पहली से बारहवीं तक एक ही शिक्षा निदेशालय का गठन किया है। निदेशालय उच्च शिक्षा, महाविद्यालयों सहित उच्च शिक्षा के सभी पहलुओं की देखरेख करेगा।
‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ के तहत विधवा, बेसहारा, तलाकशुदा महिलाओं और विकलांग माता-पिता के बच्चों की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण संबंधी खर्चों के लिए 1000 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं। स्नातक, स्नातकोत्तर डिप्लोमा या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने वालों की ट्यूशन फीस और हॉस्टल का खर्च वहन करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राज्य चयन आयोग की स्थापना की है। हमने अपने दो साल के कार्यकाल में 42,000 से अधिक रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाए हैं। इस वर्ष विभिन्न विभागों में 25,000 भर्तियां की जाएंगी।
प्रदेश के विकास में कर्मचारियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। हमने पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। प्रदेश के एक लाख 36 हजार एनपीएस कर्मचारियों को इस फैसले का लाभ मिला है। 15 मई से 70 वर्ष से 75 वर्ष के आयु वर्ग के पेंशनरों के बकाया एरियर का भुगतान किया जाएगा। इसके साथ ही कर्मचारियों व अधिकारियों को उनके बकाया वेतन एरियर का चरणबद्ध तरीके से भुगतान किया जाएगा। एक जून से प्रदेश के कर्मचारियों को 3 प्रतिशत महंगाई भत्ते की अतिरिक्त किस्त जारी की जाएगी। राज्य सरकार ने दो वर्षों में 14 प्रतिशत महंगाई भत्ता जारी किया है। विभिन्न विभागों में कार्यरत पैरा वर्कर के मानदेय में भी ऐतिहासिक बढ़ौतरी की गई है। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आप सभी के सहयोग से प्रदेश सरकार हिमाचल को आत्मनिर्भर और देश के सबसे समृद्धशाली राज्य बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हिमाचल दिवस के अवसर पर मैं पुनः आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिन्द, जय हिमाचल…!