अतिथि देवो भवः मगर... - Punjab Kesari
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अतिथि देवो भवः मगर…

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भारतीय संस्कृति में मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है। अतिथि देवो भवः भारत का आदर्श वाक्य है। भारतवासियों को मेहमान नवाजी की परम्परा विरासत में मिली है। हमारे पूर्वजों का मानना था कि वे लोग बहुत भाग्यवान होते हैं जिनके घर मेहमान आते हैं। यहां आने वाले मेहमान हमारी भावभीनी मेहमान नवाजी से अभिभूत भी हैं। भगवान श्री कृष्ण जिस तरह सुदामा का नाम सुनते ही नंगे पांव उनके दर्शन के लिए अकुलाते हुए पहुंचते हैं, घायल पांवों को अपने हाथ से धोकर श्रीकृष्ण अपनी महानता दिखाते हैं। अतिथि को भाव की भूख रहती है, संपत्ति की नहीं। महात्मा विदुर के घर भगवान का साग खाना कौन नहीं जानता। सबरी के झूठे बेर भगवान राम प्रेम भाव से खाते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि अतिथि हमारी सांस्कृतिक चेतना के स्वरूप हैं।

आधुनिक दौर में मेहमान घरेलू ही नहीं विदेश से भी आते हैं। जिस देश के पर्यटन मंत्रालय का टैगलाइन अतिथि देवो भवः हो और जहां भी अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का योगदान 6 फीसदी तक का हो अगर अतिथि आने से कतराने लगे, तो ये देश के लिए चिन्ता की बात होनी चाहिए। भारत विदेशी पर्यटकों को हमेशा से आकर्षित करता रहा है। देश से बाहर 14 शहरों लास एंजिलिस, न्यूयार्क, फ्रैंकफर्ट, मिलान, टोरंटो, एम्सटरडम, पेरिस, लंदन, दुबई, जोहांसबर्ग, टोक्यो, बीजिंग और सिंगापुर में भारतीय पर्यटन मंत्रालय के कार्यालय हैं जहां भारत पर्यटन के लिए प्रचार एवं प्रसार का काम किया जाता है लेकिन इतनी नहीं कवायद का कोई खास असर नहीं हो रहा। भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आ रही है। सबसे बड़ा कारण तो यह है कि विदेशी पर्यटक भारत में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। आए दिन विदेशी पर्यटकों के साथ ​हिंसा, छीना-झपटी, महिला पर्यटकों के साथ बलात्कार की घटनाएं सामने आती रहती हैं। गोवा का स्कारलेट बलात्कार और हत्याकांड तो सबको याद ही होगा। समूचे विश्व में टूरिज्म एक बड़ा उद्योग बन चुका है।

कुछ देशों की अर्थव्यवस्था तो टूरिज्म से होने वाली आय से ही चलती है। इसका अर्थ यही है कि पर्यटक उन देशों की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं जहां वे खुद को सुर​िक्षत और स्वछंद महसूस करते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश भारत में ऐसी घटनाएं हो रही हैं जो देश की छवि के लिए नुकसानदेह साबित हो रही हैं। दिल्ली से सटे नोएडा में दक्षिण अफ्रीकी छात्रों से छेड़छाड़ और मारपीट की घटना से भारत पहले ही शर्मसार हो चुका है। अब उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी में स्विट्जरलैंड से आए जेर्मी और उनकी गर्लफ्रैंड ट्रोज के साथ बुरी तरह की गई मारपीट ने देश को फिर शर्मसार कर डाला है। दोनों सड़क पर पिटते रहे, अपमानित होते रहे, प्रेमी जोड़ा लोगों से मदद मांगता रहा लेकिन कई बचाने नहीं आया, उलटा लोग उनका वीडियो बनाते रहे और सोशल मीडिया पर शेयर करते रहे। कुछ लड़कों ने जेर्मी की गर्लफ्रैंड के करीब पहुंचने की कोशिश की, सेल्फी लेने की कोशिश की। जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने ईंट-पत्थरों से हमला कर दोनों को लहूलुहान कर दिया। फिलहाल उनका उपचार चल रहा है। क्या यही है हमारा इंडिया है ? हालांकि विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है।

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने अस्पताल जाकर दोनों से मुलाकात की है। फतेहपुर सीकरी पुलिस ने इस संबंध में 5 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है। यह सब औपचारिकताएं तो होती रहेंगी लेकिन दोनों विदेशी पर्यटक यहां से लौटेंगे तो क्या सोचेंगे? उनके दिमाग में भारत की छवि कैसी होगी? आगरा में विदेशी सैलानियों के साथ दुर्व्यवहार, छेड़छाड़ और हदों को पार करने वाली घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। अहम सवाल यह है कि अगर भारत में ऐसी घटनाएं होती रहीं तो फिर यहां आएगा कौन? पर्यटन मंत्रालय टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए काफी धन खर्च करता है लेकिन विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने की बजाय घट रही है। पर्यटकों की संख्या घटने के चलते विदेशों में कार्यालय बंद कर देने की सिफारिश नीति आयोग पहले ही कर चुका है। आए दिन विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने पर्याप्त कदम उठाने की बात कही थी और पर्यटन मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति के मंत्रालय को स्पष्ट निर्देश दिया था कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की सुख-सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाए।

पर्यटन मंत्रालय ने सभी पर्यटक स्थलों पर टूरिस्ट पुलिस की तैनाती की बात कही थी लेकिन केवल 13 राज्यों में ही टूरिस्ट पुलिस तैनात की जा सकी है। पुलिस कैसे काम करती है, यह सबको पता है। पिछले वर्ष पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटकों के लिए बुकलेट जारी की थी जिसमें ‘क्या करें, क्या न करें।’ के सुझाव शामिल थे। उसमें यह भी कहा गया था कि भारत आने वाले महिला पर्यटक स्कर्ट या छोटे कपड़े नहीं पहने और व रात में अकेले निकलने से परहेज करें। भारत और विदेशों की संस्कृति में काफी अंतर है लेकिन बंदिशें लगाएंगे तो भारत कौन आना चाहेगा। भारत में पर्यटन उद्योग की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में हमारी भागीदारी एक प्रतिशत से भी कम है। पर्यटन उद्योग में दक्षता प्राप्त लोगों की भारी कमी है। विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पर्यटन कोर्स की हजारों सीटें खाली पड़ी हैं। पर्यटन तो लोगों को बड़ी मात्रा में रोजगार उपलब्ध कराता है। अगर भारत में सुरक्षा तंत्र मजबूत हो और भारत के लोग शिष्टाचार और तहजीब विकसित करें तो भारत बहुत कमाई कर सकता है तभी अतिथि देवो भवः का मूल मंत्र सार्थक होगा।

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