वल्ड कप पाकिस्तान की नौटंकी - Punjab Kesari
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वल्ड कप पाकिस्तान की नौटंकी

पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत की मेजबानी में होने वाले विश्वकप क्रिकेट के बायकाट की धमकी दी

पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत की मेजबानी में होने वाले विश्वकप क्रिकेट के बायकाट की धमकी दी है। पाकिस्तान के खेल मंत्री अहसान मजारी ने कहा है कि भारत एशिया कप मैच न्यूट्रल वैल्यू पर खेलने की मांग को छोड़े वरना पाकिस्तान भी वर्ल्ड कप खेलने के लिए भारत नहीं जाएगा। हालांकि तथ्य यह है कि पाकिस्तान को वनडे वर्ल्ड कप का बायकाट करना संभव नहीं होगा अन्यथा उसे बहुत नुक्सान झेलना पड़ेगा। बायकाट करने की स्थिति में पाकिस्तान क्रिकेट जगत से पूरी तरह से अलग-थलग हो जाएगा। पाकिस्तान वैसे भी इन दिनों अलग-थलग ही पड़ा हुआ है। वर्ल्ड कप नहीं खेलने की स्थिति में इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल उस पर प्रतिबंध भी लगा सकती है और पाकिस्तान में 2025 में होने वाली चैम्पियंस ट्राफी भी खटाई में पड़ सकती है। यह सर्वविदित है कि भारत के बिना किसी भी आईसीसी का कोई भी सफल आयोजन संभव नहीं है क्योंकि ऐसे आयोजनों में 80 फीसदी कमाई भारतीय दर्शकों से  ही होती है। भारत-आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को छोड़कर अन्य देशों के क्रिकेट बोर्ड आईसीसी से मिलने वाले फंड पर ही निर्भर हैं। यह फंड आईसीसी सभी बोर्ड को बांटती है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड भी इसी फंड पर जिंदा है।
अब सवाल यह है कि पाकिस्तान वर्ल्ड कप को लेकर नौटंकी क्यों कर रहा है। दरअसल पाकिस्तान की घरेलू राजनीति का ही परिणाम है। पाकिस्तान की मौजूदा सरकार भारत का विरोध करके अपना वोट बैंक बनाना चाहती है। पाकिस्तान की सरकार कम से कम ऐसा दिखाना चाह रही है कि वह भारत से बदला लेना चाहती है। भारत और पाकिस्तान के बीच कई वर्षों से संबंध काफी कड़वे चल रहे हैं। द्विपक्षीय तनाव, लगातार युद्ध विराम उल्लंघन की घटनाएं और कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद के कारण संबंधों में जहर घुलता गया। दोनों देशों के बीच क्रिकेट कूटनीति 1980 के दर्शक की है। दोनों देशों के संबंधों को मधुर बनाने के लिए क्रिकेट को एक उपकरण के रूप में उपयोग के लिए अधिकतर भारतीय नेताओं ने कई प्रयास किए लेकिन आतंकवादी घटनाओं ने सब कुछ विफल कर दिया। 
भारत सरकार का स्पष्ट स्टैंड है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते। यह भी सत्य है कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट कूटनीति के चलते पूर्व में संबंधों की बर्फ भी कई बार ​पिघली है लेकिन पाकिस्तान ने हमें लगातार जख्म दिये हैं जिससे भारत सरकार को कड़ा स्टैंड लेना पड़ा है। 2012 के बाद से दोनों देशों के बीच एक भी द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज नहीं खेली गई है। हालांकि दोनों देशों के बीच आईसीसी के बड़े टूर्नामेंटों में मुकाबले देखने को मिल जाते हैं। दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध पाकिस्तान की सियासत के चलते खराब हुए। दोनों देशों की आवाम क्रिकेट की दीवानी है। जब भी भारत और पाकिस्तान क्रिकेट में आमने-सामने होते हैं तो उसका एक अलग ही रोमांच होता है। भारत-पाक क्रिकेट मैच को एक खेल की तरह नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी देखा जाता है। दोनों देशों की प्रतिद्वद्विता क्रिकेट के मैदान से बाहर भी नजर आती है। पाकिस्तान के तानाशाह हुक्मरान जिया उल हक (जिया जालंधरी) से लेकर परवेज मुशर्रफ तक क्रिकेट कूटनीति के चश्मदीद रहे हैं। क्रिकेट विशेषज्ञ बताते हैं कि 1999 में भारत और पा​किस्तान के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था उन दिनों इंग्लैंड में विश्वकप क्रिकेट भी चल रहा था। तब माना जा रहा था कि भारत और पाकिस्तान का मैच रद्द करना पड़ेगा क्योंकि दोनों देशों की जंग के बीच खेलना आसान नहीं था। इसके बावजूद भारत और पाकिस्तान में क्रिकेट मैच हुआ और भारत और पाकिस्तान प्रे​मियों ने स्टेडियम में दोनों टीमों का जोरदार स्वागत किया। भारत-पाकिस्तान मैचों को देखने के लिए पाकिस्तान के लोग भारत आते रहे हैं और भारतीय पाकिस्तान जाते रहे हैं। यह बात जगजाहिर है कि भारत और पाकिस्तान की आवाम के बीच संबंध बने हुए हैं लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान ने हर वक्त आवाम में दूरियां पैदा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने हमें बहुत से जख्त दिए। मुम्बई के बम धमाके, 26/11 का मुम्बई हमला। लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर भारत की संसद पर हमला। उड़ी में भारतीय जवानों पर हमला और यहां तक कि जम्मू के रघुनाथ मंदिर से लेकर गुजरात के अक्षरधाम मंदिर तक निर्देषों का खून बहाया गया। 
अंतत: भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की वार्ता करने से इंकार ​कर दिया। भारत सरकार ने महसूस किया कि ऐसी मुलाकातों का क्या फायदा। सुबह भी आते रहिए, शाम भी आते रहिए। दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिए। भारत और पाकिस्तान का आवाम और क्रिकेटर दोनों देशों के संबंधों में मधुरता चाहते हैं। ऐसे में क्रिकेट संबंधों से दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल सकती है। भारत तो बस यही चाहता है कि पाकिस्तान सरहद पार से मौत के सौदागर न भेजे और बंदूकों के बल मौसम बदलने का ख्वाब न देखे। क्रिकेट कूटनीति का साधन हो सकता है विकल्प नहीं। आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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