पैसे के लेनदेन को लेकर गड़बडि़यां देश में आम बात है और उस समय घोटालों की प्रवृत्ति और प्रबल हो जाती है जब अपराधी फरार होने शुरू हो जाते हैं। भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जहां हर किसी को कुछ भी बोलने, करने की आजादी है। यह इस देश की राजनीतिक ताकत है या नहीं, हम इस बहस में पड़ने की बजाय यह तो पूरी दुनिया में साबित कर चुके हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी उद्योगपति अपनी ताकत के दम पर राजनितिक दखल का सहारा लेकर घोटालों को जन्म दे और बैंकों का पैसा हड़प ले। दुर्भाग्य से शराब कारोबारी विजय माल्या और डायमंड के व्यापारियों नीरव मोदी तथा मेहुल चौकसी ने यही किया और घोटालों को अंजाम देकर विदेश भाग निकले। अब इस लोकतंत्र में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी सरकार ने आर्थिक अपराधियों को विदेश से अपने देश लाने के लिए पूरी मुहिम चला रखी हो। यह मोदी सरकार के प्रयास ही हैं कि नीरव मोदी जैसे को इस समय लंदन में गिरफ्तार किया जा चुका है।
मोदी सरकार बराबर इंग्लैंड के विदेश मंत्रालय के साथ-साथ अदालती प्रक्रियाओं के विशेषज्ञों से जुड़ी हुई है ताकि नीरव मोदी की गिरफ्तारी के बाद उसकी भारत वापसी तुरंत हो सके। सब जानते हैं कि विजय माल्या ने नौ हजार करोड़ का लोन लेकर बड़ी चतुराई से लंदन में शरण ले ली तो यही रास्ता नीरव मोदी ने अख्तियार किया और वह भी लंदन में छुपा बैठा था। आप अंदाजा लगाइए कि लगभग 12 हजार करोड़ का पीएनबी घोटाला देश के नक्शे पर सबसे बड़े बैंक घोटाले के रूप में स्थापित हो जाए और अपराधी विदेश भाग जाए। यह मोदी सरकार ही थी जिसने इस घोटाले के बाद अपनी तमाम केन्द्रीय एजैंसियों को मिशन पर लगा दिया कि चौकसी और नीरव मोदी को काबू किया जाए।
सीबीआई और ईडी अपने काम में जुटी रहीं और इन भगौड़ों के खिलाफ एक्शन देश में चल रहा था। इनकी प्रापर्टीज अटैच की जा रही थीं। इतना ही नहीं देश के सतर्क और कर्तव्यपरायण वित्त मंत्री विदेशों में अदालती प्रक्रियाओं को लेकर बराबर जुड़े रहे ताकि वहां की अदालतों में इन आर्थिक अपराधियों के कारनामे बतौर अपराध स्थापित किए जा सकें। यही वजह है कि कल तक भेष बदल कर लंदन में नया काराेबार शुरू करने की फिराक में नीरव मोदी अदालती एक्शन का ही शिकार हुआ और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हलाकि मामला अभी लंदन की लोअर कोर्ट में चल रहा है लेकिन अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए भगौड़ा नीरव मोदी जब वेस्टमिंस्टर कोर्ट पहुंचा तो जमानत नहीं दी गई। उम्मीद करते हैं कि यह जमानत मिलेगी भी नहीं।
कानूनी प्रक्रियाओं को लेकर खुद श्री जेतली सारा महकमा देख रहे हैं और सीबीआई और ईडी से बराबर फीडबैक ले रहे हैं। इसीलिए इन आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। मनी लांड्रिंग को लेकर भगौड़े नीरव मोदी की कीमती पेंटिंग और ग्यारह लग्जरी कारों की नीलामी की मुम्बई की कोर्ट ने इजाजत दे दी है। आने वाले दिनों में ऐसे और एक्शन तेज होंगे। इसी कड़ी में मेहुल चौकसी का उल्लेख भी कर लें जिसने नीरव मोदी के साथ मिलकर लगभग 14 हजार करोड़ रुपए का घोटला पीएनबी के साथ किया। हालांकि इतना बड़ा घोटाला बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर नहीं हो सकता। लैटर ऑफ अंडरटेकिंग अर्थात् एलओयू को लेकर गड़बड़ियां बैंक से ही हुई होंगी और संबंधित बैंक से बकाया पैसे के भुगतान की व्यवस्था एलओयू उपलब्ध कराने वाले बैंक की ही जिम्मेदारी होती है।
सरकार इसीलिए पीएनबी के अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई कर भी चुकी है। आने वाले दिनों में मेहुल चौकसी अगला टारगेट होगा। दूसरी तरफ विजय माल्या पहले ही मारा-मारा फिर रहा है। हमारा कहने का मतलब सिर्फ यह है कि अगर सरकार ईमानदार हो तो सब-कुछ किया जा सकता है। देश में जब बड़े घोटालेबाज नाप लिए जाएंगे तो भविष्य में लोन के नाम पर गड़बड़ी करने वाले दस बार सोचेंगे। मोदी सरकार ने इसीलिए आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसी हुई है और चौकसी हो या नीरव मोदी या फिर माल्या, भले ही अन्य आतंक के प्रमोटर भी क्यों न हों अगर वे विदेशों में शरण लिए बैठे हैं तो वे मोदी सरकार से बच नहीं पाएंगे। सरकार अपना काम ईमानदारी से कर रही है। नीरव मोदी की गिरफ्तारी सरकार की ईमानदार नीयत और कर्तव्यपरायणता के साथ पारदर्शिता भरी मोदी सरकार की नीति को ही दर्शाती है।