बिछुड़ रहे है बारी -बारी... - Punjab Kesari
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बिछुड़ रहे है बारी -बारी…

वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के पांच ब्रांड एम्बेसडर हैं जो वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की महक हर तरफ

वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के पांच ब्रांड एम्बेसडर हैं जो वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की महक हर तरफ फैलाते रहे हैं। यह हमारे क्लब की शान होते हैं। पिछले दिनों हमारे बड़े ही आदरणीय, सबके प्यारे व  सबके दिलों में बसने वाले बांड एम्बेसडर जो पहले दिन से नोएडा ब्रांच से जुड़े थे, का कैंसर से बड़ी बहादुरी से लड़ते हुए स्वर्गवास हो गया। हमारे सारे वरिष्ठ नागरिक परिवार में शोक की लहर छा गई। मैं उस समय माता वैष्णो देवी के दर्शन करने गई हुई थी। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ, 14 तारीख को उनसे अच्छे से बात हुई, उनके लिए आर्टिकल लिखा, उन्होंने अपने बेटे के साथ अच्छी फोटो खींच कर भेजी। बस यही बात है कि वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब का काम बहुत मुश्किल है क्योंकि मुझे प्रत्येक सदस्य से बहुत लगाव हो जाता है। यह तो हमारे ब्रांड एम्बेसडर थे, हर प्रोग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेते थे। हर कार्यक्रम की शान होते थे। सरस्वती माता उनके कंठ में विराजमान थी। वह देशभक्ति, धार्मिक व फिल्मी गीत अपनी मधुर व लयबद्ध स्वरों से प्रस्तुत कर छाये रहते थे। उनकी ब्रांच हैड अंजू कश्यप के अनुसार वो कभी किसी भी बात में पीछे नहीं रहते थे यदि ब्रांच में जन्मदिन हो या अन्य कार्यक्रम यहां तक कि लंच होता तो वह हमेशा दही लेकर आते थे, उनका बेटा परिचय उनके आखिरी दिनों में भी उन्हें कार में छोडऩे और लेने आता था। बेटा उनका अभिमान था, बहुत सेवा की उसने जब मेरी उनसे आखिरी बार बात हुई तो बेटे के साथ चैकअप कराने जा रहे थे तो उन्होंने बड़े गर्व से बताया कि उनका बेटा परिचय उनकी बहुत सेवा करता है। यही नहीं अभी जी अपने भाई- बहनों में सबसे बड़े थे और उन्होंने ही अपने भाई-बहनों की शादी की। जब उनसे मैंने बात की तो उनके हिसाब से तो उनके पिता चले गए। भारत भूषण जी कह रहे थे कि अंगुली पकड़ कर उन्होंने चलना सिखाया था। उनके छोटे भाई विजेन्द्र जी भी हमारे सदस्य हैं, यहां तक कि अभी जी की पत्नी ऊषा जी भी हमारी सदस्य थी जिनका 13 साल पहले देहांत हो गया था। उनके बाद तो अभी जी ने बहुत समय वरिष्ठ नागरिक क्लब के साथ ही बिताया। हम दुबई-सिंगापुर गए वहां भी उन्होंने धूम मचाई। यहां तक कि फैशन शो में उनकी जोड़ी उनके भाई के साथ क्या खूब जमी थी। सबका ध्यान रखना, सबके साथ प्यार से बोलना, सबके साथ मिलकर रहना उनकी खूबी थी। सब पूछेंगे तो वह वरिष्ठ नागरिक के मजबूत स्तम्भ थे, चाहे वो 80 साल के हो गए थे तब भी मैं एक फोन करती तो वह बहुत एक्टिव होकर प्रोग्राम में हिस्सा लेते थे। उनके बेटे परिचय के अनुसार मेरा फोन उनके लिए रामबाण था। वो कहता है कि मैंने कई बार कहा डेडी आपकी तबियत ठीक नहीं तो वह झट से उन्हें कहते थे कि यह फोन मेरी ताकत है और जिन्दगी में जब तक आप जिन्दा हो आपको एक्टिव रहना चाहिए और जब तक मेरी उम्र है तब तक मैं अपने हाथ से अपने सब काम खुद कर सकूं। उनकी बहू नीलम ने भी उनकी खूब सेवा की। वो अपना एक अच्छा सम्मानजनक  व सामाजिक जीवन 80 साल तक जीवित रहकर व्यतीत करके गए हैं, हमें मालूम है कि हम 
सबने एक दिन जाना है परन्तु कई लोग ऐसे होते हैं जो अपने अच्छे कर्मों, व्यक्तित्व से आपके दिलो-दिमाग में अमिट छाप छोड़ जाते हैं ‘अभ्भी जी उनमें से एक हैं। 

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