डोप टैस्ट पर घमासान - Punjab Kesari
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डोप टैस्ट पर घमासान

पंजाब की कैप्टन अमरिन्द्र सरकार ने राज्य को नशे की लत से निकालने के लिए सभी तीन लाख

पंजाब की कैप्टन अमरिन्द्र सरकार ने राज्य को नशे की लत से निकालने के लिए सभी तीन लाख कर्मचारियों का डोप टैस्ट कराने का आदेश जारी कर दिया है। पहले राज्य सरकार ने ड्रग्स तस्करों को सजा-ए-मौत देने की सिफारिश संबंधी कानून बनाने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा है। इसके बाद सरकार ने यह आदेश जारी किया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पंजाब में ड्रग्स ने कोहराम मचा रखा है और राज्य सरकार एक के बाद एक कदम उठा रही है। राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों के डोप टैस्ट का फैसला सामान्य फैसला नहीं है। यह एक चेतावनी है कि पंजाब में नशे की हालत खतरे के निशान से ऊपर जा चुकी है। अब सरकारी कर्मचारी जब नियुक्त किए जाएंगे तब डोप टैस्ट होगा, जब पदोन्नत होंगे तब डोप टैस्ट होगा।

2016 में अकाली-भाजपा सरकार ने भी बहाली के समय 7200 सिपाहियों का डोप टैस्ट करवाया था। डोप टैस्ट का फैसला कैम्टन अमरिन्द्र सरकार का एक सराहनीय कदम है लेकिन पंजाब को नशे से बचाने के लिए यह अंतिम रास्ता नहीं है। अब सरकार के इस कदम पर सियासत भी शुरू हो गई है। राजनीतिक दल एक-दूसरे को निशाना बनाने में लग गए हैं। पंजाब सि​िवल सचिवालय एसोसिएशन ने पंजाब सरकार के आदेश का विरोध किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि वे डोप टैस्ट का विरध नहीं कर रहे ले​िकन डोप टैस्ट में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों, पार्टी के अध्यक्ष और कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया जाए। सरकारी कर्मचारी भी इस आदेश पर भड़के हुए हैं।

राज्य के ग्रामीण विकास, पंचायत, आवास एवं शहरी विकास मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा डोप टैस्ट करवाने पहुंचे। आज पार्टी के एक विधायक अमन अरोड़ा ने तो खुद अपना डोप टैस्ट करवा कर मुख्यमंत्री अमरिन्द्र सिंह को चुनौती दे दी है कि वह भी डोप टैस्ट करवाएं। मुख्यमंत्री ने भी उनकी चुनौती स्वीकार करते हुए कहा है कि वह भी डोप टैस्ट करवाने को तैयार है। अकाली दल तो अनर्गल बयानबाजी कर रहा है। आप सांसद भगवंत मान को भी डोप टैस्ट कराने की चुनौती दी जा रही है।

पंजाब में मादक पदार्थ माफिया, पुलिस अधिकारियों और राजनीतिज्ञों का बड़ा गठजाेड़ है। यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को डोप टैस्ट जैसी नैतिक चुनौती से गुजरना पड़ रहा है। सरकारी कर्मचारी इस आदेश के विरुद्ध मोर्चा खोलने के संकेत दे रहे हैं। सरकार के फैसले पर घमासान छिड़ ​गया है। अब सवाल यह है कि कहीं यह फैसला सियासत के घमासान के बीच दम न तोड़ दे।
सिस्टम की मदद से ड्रग्स तस्करों ने पहले समाज को बर्बाद किया, अब वही तस्कर सिस्टम को अपनी चपेट में ले चुके हैं। राज्य की पुलिस खुद नशे की शिकार हो चुकी है। पंजाब के समाचारों को देखिये तो रोज नशे से जुड़ी खबरें मिलेंगी। नशे के आदी हो चुके परिवारों की आपबीती पढ़ने को मिल जाएगी। परिवार उजड़ रहे हैं। पंजाब सरकार कार्यवाही तो कर रही है मगर समाज को रास्ता नहीं मिल रहा कि पंजाब को नशे से कैसे बचाया जाए। अभी तक नशे के नेटवर्क की कमर नहीं तोड़ी जा सकी क्योंकि उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। जो राजनीतिक दल आज नशों को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं, उन्हें अपने भीतर झांकने की जरूरत है कि दस साल के अपने शासन में उन्होंने नशे के नेटवर्क को तोड़ने के लिए क्या किया।

पंजाब पुलिस के उच्च अफसरों पर नशे के धंधे में काफी धन अर्जित कर बेशुमार सम्पत्ति बनाने के आरोप लगा रहे हैं। अगर उनकी जांच कराई जाए तो सब-कुछ सामने आ जाएगा। बड़े नेताओं के बेटे भी इस धंधे में लिप्त हैं। डोप टैस्ट सरकारी कर्मचारियों का ही नहीं बल्कि विधायकों, मंत्रियों, सांसदों, पंचायत अध्यक्षों और पंचों का भी होना ही ​चाहिए। सरकार के फैसले में वर्गीकरण उचित नहीं। यह मुहिम तभी कामयाब हो सकती है जब सभी पर यह आदेश लागू हो। पंजाब की जनता भी अब नशों से तंग आ चुकी है, कई जगह लोगों ने खुद निगरानी रखकर नशा बेचते लोगों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया। जनता को सबसे बड़ी शिकायत है कि उन्होंने माल पकड़वाया तो एक-डेढ़ किलो था लेकिन पुलिस ने एफआईआर में केवल सौ ग्राम दिखाया। साफ है कि बाकी नशा पुलिस ने खुद बेच दिया होगा। जरूरत इस बात की है कि राजनीतिक दल कोरी बयानबाजी न करे बल्कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस मुहिम को कामयाब बनाए। राज्य को नशे के मकड़जाल से बचाने के लिए उठाए गए कड़े कदम जरूरी भी है अन्यथा पंजाब की जवानी तबाह हो जाएगी। पंजाब का भविष्य दाव पर है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि कभी पंजाब विकास के मामले में देश में नम्बर वन पर था लेकिन अब ड्रग्स के बढ़ते मामलों के कारण यह नशे में पहले स्थान पर है। पंजाब को बचाने के लिए पंजाब सरकार को जनता का सहयोग भी बहुत जरूरी है। पंजाब के शौर्य को बचाना है तो सबको मिलजुल कर काम करना होगा। जब तक ड्रग्स तस्करों को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहेगा तब तक कोई मुहिम कामयाब नहीं हो सकती। सबसे पहला कदम नेटवर्क को तोड़ने का होना चाहिए।

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