रसोई से रण क्षेत्र तक - Punjab Kesari
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रसोई से रण क्षेत्र तक

किसी भी देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस देश की सेना के साथ रहती है। सेना जितनी शक्तिशाली

किसी भी देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस देश की सेना के साथ रहती है। सेना जितनी शक्तिशाली और मजबूत होगी, उतना ही सुरक्षित वह देश होगा। भारतीय सेना में महिलाएं अब जौहर दिखाएंगी। भारत की बेटी राफेल विमान को उड़ाएगी। अम्बाला एयर फोर्स स्टेशन में सम्बन्धित महिला पायलट को ट्रेनिंग दी जा रही है। यह महिला पायलट अभी मिग-21 लड़ाकू विमान को उड़ा रही है। ट्रेनिंग के बाद ये महिला पायलट राफेल की 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रान का हिस्सा बन जाएगी। दूसरी तरफ भारतीय नौसेना में पहली बार दो महिला अधिकारियों सब लैिफ्टनैंट कुमुदनी त्यागी और सब लैफ्टिनैंट रीति सिंह को नौसेना के युद्धपोत पर तैनात कर दिया गया है। उन्हें हैलीकाप्टर स्ट्रीम में आब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया गया है। अब दोनों महिला अधिकारियों को नौसेना में वारशिप फ्रंटलाइन की अगुवाई करने का मौका मिलेगा। बहुत जल्द दोनों महिला अधिकारी अपनी ​जिम्मेदारी निभाती नजर आएंगी। यह वारशिप से बतौर एयरबोर्न कॉम्बेट काम करने वाली महिला अधिकारियों का पहला दस्ता है। पहले महिला अधिकारियों का विंग एयरक्राफ्ट में प्रवेश प्रतिबंधित था, खासकर जो तट से उड़ान भरते और उस पर उतरते हैं। दोनों महिलाएं भारतीय नौसेना के कुल 17 अधिकारियों के समूह का हिस्सा होंगी। इसमें चार महिलाएं और इंडियन कोस्ट गार्ड के कुल तीन अधिकारी, रेगुलर बैच के 13 अधिकारी और शार्ट सर्विस कमीशन की कुल चार महिला अधिकारी शामिल हैं। इसी तरह वायुसेना में महिला अधिकारियों की संख्या 1875 हो गई है। इनमें से दस महिला अधिकारी फाइटर पायलट हैं जबकि 18 महिलाएं लै​िफ्टनैंट हैं।
रक्षा मंत्रालय महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए चयन बोर्ड प्रक्रिया शुरू कर चुका है। रक्षा मंत्रालय शार्ट सर्विस कमीशन की महिला सैन्य अधिकारियों को सेना की सभी दस इकाइयों में स्थायी कमीशन की अनुमति दे चुका है। भारतीय सेना अब सभी महिला अधिकारियों काे देश सेवा का मौका देने के लिए पूरी तरह तैयार है। यद्यपि अग्रिम मोर्चे के युद्ध आपरेशन से जुड़ी इकाइयों में महिलाओं को स्थायी कमीशन से अलग रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले में भी काम्बेट आपरेशन से महिलाओं काे अलग रखने की राय दी थी। मोदी सरकार के दौरान देश में महिला सशक्तिकरण का हर तरफ डंका बज रहा है। घर की रसोई से लेकर रण क्षेत्र तक में देश की बेटियां अपना लोहा मनवाने में लगी हैं। भारतीय नौसेना ने लिंग समानता को साबित कर दिखाया है। इससे न सिर्फ महिलाओं में विश्वास जागा है बल्कि वे आत्मनिर्भर भी हुईं। अब ये महिला अधिकारी देश की दूसरी बेटियों के लिए रोल मॉडल बनेंगी। इससे देश की बेटियों को सेना में अपना करियर बनाने की प्रेरणा मिलेगी। सब लैफ्टिनेंट शिवांगी स्वरूप ने नौसेना की पहली महिला पायलट बनने का गौरव हासिल किया है और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कोच्चि बेस पर आपरेशन ड्यूटी में शामिल हो चुकी है। शिवांगी निगरानी विमान डोर्नियर-228 उड़ाएगी।
इससे पहले 19 फरवरी, 2018 को इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइंग अफसर अवनी चतुर्वेदी लड़ाकू विमान मिग-21 उड़ाकर नया इतिहास रच चुकी है। अवनी चतुर्वेदी ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से अकेले ही फाइटर एयरक्राफ्ट मिग-21 में उड़ान भरी। अवनी के साथ मोहना सिंह आैर भावना कंठ को पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिला दिवस पर कहा था-
‘‘महिला, वो शक्ति है, सशक्त है
वो भारत की नारी है
न ज्यादा में, न कम में
वो सब में बराबर की अधिकारी है।’’
भारतीय इतिहास वीरांगनाओं से भरा पड़ा है, जिन्होंने अपने देश और स्वाभिमान की खातिर अपनी जान की बाजी लगा दी थी। यह सवाल काफी अर्से से उठ रहा था कि महिलाएं सेना में  नेतृत्व क्यों नहीं कर सकती। वह मिंटी अग्रवाल ही थी, जिन्होंने विंग कमांडर अभिनंदन को उस समय गाइड किया था जब उन्होंने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया था। इससे पहले मिताली मधुमिता ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर चरमपंथियों  के हमले के दौरान बहादुरी का परिचय दिया था। कैप्टन तान्या शेरगिल को गणतंत्र दिवस परेड में सिग्नल कोर के जत्थे का नेतृत्व करते देख देशवासियों का सर गौरव से ऊंचा हो गया था। पहले कई बार महिलाओं की शारीरिक संरचना और पारिवारिक दायित्व जैसी बहुत सी बातें की गईं जो उनके कमांडिंग अफसर बनने में बाधक बनीं लेकिन महिलाओं ने जांबाजी दिखाई तो सैन्य अफसरों की मानसिकता में भी बदलाव आया।
कश्मीर के तंगधार सैक्टर में पाकिस्तान से सटी एलआेसी के बेहद नजदीक दस हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित साधना टॉप पर भी महिला जवानों ने मोर्चा सम्भाला हुआ है। सभी महिला सैनिक असम राइफल्स की हंै, जिनके पास म्यांमार सीमा और उत्तर पूर्व के उग्रवाद ग्रस्त राज्यों में तैनाती का अनुभव है। इनका नेतृत्व आर्मी सर्विस कोर की कैप्टन गुरसिमरन कौर  कर रही हैं जो अपने परिवार की थर्ड जेनरेशन सैन्य अफसर हैं। इन महिला जवानों के लिए कोई चीज छोटी नहीं, चाहे एलओसी हो या कहीं और। न बारिश, न बर्फ इन्हें कोई नहीं रोक सकता। इनका जोश हमेशा हाई रहता है। दुनिया भर में 1980 के दशक तक महिलाएं सेना में प्रशासनिक और सहायक की भूमिका में रहीं। 2016 में ​ब्रिटेन ने महिलाओं को युद्ध में लड़ने की इजाजत दे दी। अफगानिस्तान के युद्ध में अमेरिका आैर ब्रिटेन के अलावा गठबंधन देशों कनाडा, जर्मनी, स्वीडन और आस्ट्रेलिया ने पहली बार महिलाओं को युद्ध में भेजा। इस्राइल और उत्तर को​ रिया में भी महिलाओं को युद्ध में शामिल होने की इजाजत है। वहां के समाज की जीवनशैली भारत के समाज से भिन्न है। समस्या यह है कि भारतीय समाज में महिलाओं को हमेशा कमजोर माना जाता है, तो दूसरी तरफ हम महिला की दुर्गा शक्ति के रूप में पूजा करते हैं। देश की दुर्गा शक्ति ने अपनी शक्ति दिखा दी है तो फिर अब कोई सवाल नहीं उठना चाहिए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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