फ्रॉड गेमिंग-लोन एप्स - Punjab Kesari
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फ्रॉड गेमिंग-लोन एप्स

ऑनलाइन ठगी की घटनाएं तो हो रही हैं लेकिन अब ऑनलाइन गेमिंग एप्स और तुरन्त लोन देने वाले

ऑनलाइन ठगी की घटनाएं तो हो रही हैं लेकिन अब  ऑनलाइन गेमिंग एप्स और तुरन्त लोन देने वाले एप्स भी बच्चों और युवाओं के साथ-साथ कारोबारियों को भी निशाना बना रहे हैं। यह एप्स लोगों को प्रलोभन देकर लूट रहे हैं। पहले भी ऐसी खबरें आ चुकी हैं कि किशोर और युवा अभिभावकों से छिपकर गेम्स खेलते हैं या लोन लेते हैं, फिर उन्हें लूटा जाता है। कई युवा अपने अभिभावकों को लाखों का चूना लगा चुके हैं। पैसा कमाने के चक्कर में दुकानदार और आम कारोबारी भी फंसते जा रहे हैं। मोबाइल प्ले स्टोर पर अनगिनत ऐप भरे पड़े होते हैं जो आपको सस्ते में लोन देने का दावा करते हैं। लोग इस पर ध्यान नहीं देते और गलती कर बैठते हैं। इस फ्राॅड में फंसने के बाद आप को नहीं पता होता कि इससे बाहर कैसे निकलें। जो लोग इन उपायों से अनजान हैं, उनके फंसने की गुंजाइश अधिक होती है।
पढ़े-लिखे लोग भी लोन के नाम पर ठगी के जाल में फंस जाते हैं। पूरी जालसाजी मोबाइल ऐप के जरिये चलाई जा रही है। मोबाल ऐप से आप को पर्सनल लोन देने का सांझा दिया जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में लगभग 600 ऐप चल रहे हैं, जो लोन के नाम पर ठगी में शामिल हैं। इसमें मोबाइल पर मैसेज आता है जिसमें एक लिंक होता है। लिंक पर क्लिक करते ही मैसेज आपको फोन पर, व्हाट्सऐप पर या सोशल मीडिया पर आ सकता है। मैसेज में लिखा होता है कि नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें और सेकण्डों में पर्सनल लोन पाएं।
हाल ही में लोन एप्स एजैंटों द्वारा उत्पीड़न की घटनाओं में बढ़ौतरी हुई है। लोन ऐप एजैंटों द्वारा परेशान किए जाने के बाद कुछ लोगों ने आत्महत्या भी कर ली है। लोन एप्स काफी ब्याज  तो वसूलते  ही हैं बल्कि धन की वसूली के लिए फंसे हुए लोगों के परिवारों और मित्रों तक फोन पर धमकाने से बाज नहीं आ रहे। अपने पैसे वापस लेने के लिए  वे अनैतिक साधनों का उपयोग करते हैं। कोरोना काल में जब लॉकडाउन में लोग घरों में बंद थे तो चीन की कम्पनियों ने ऐसे गेमिंग एप्स लांच किए थे, ताकि लोग घरों में बैठकर खेल सकें। बाद में फर्जी कम्पनियां भी मैदान में उतर गईं और फ्रॉड का सिलसिला शुरू हो गया। फ्रॉड लोन कम्पनियां भी सामने आने लगीं। बड़े फिल्मी सितारों ने ऑन लाइन गेमिंग एप्स की पब्लिसिटी करनी शुरू की तो यह एप्स लोकप्रिय हो गए। इन एप्स की आड़ में क्रिकेट पर सट्टेबाजी भी शुरू हुई। समाज के एक वर्ग ने इन्हें ऑनलाइन जुआ करार ही दिया। इनकी आड़ में कई फ्रॉड एप्स ने भी अपना जाल बिछाया और हश्र यह हुआ कि किसी किशोर के परिजनों के खाते से लाखों रुपए उड़ गए तो किसी दुकानदार के खाते से हजारों रुपए उड़ा लिए गए। प्रवर्तन निदेशालय ने कोलकाता में छह जगह छापेमारी के बाद ऑनलाइन गेमिंग एप्स ‘ई-नगेट्स’ के फ्रॉड का बड़ा खुलासा किया। छापेमारी में 17 करोड़ के लगभग नगदी जब्त की गई। नोट गिनने के लिए भी कई मशीनें लगाई गई। इस एप्प के फ्रॉड का धंधा भी अलग था। इस एप्प को गूूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड नहीं किया जा सकता था। बल्कि इसे डायरेक्ट लिंक के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकता था। इसकी सदस्यता केवल 200 रुपए रखी गई थी। इतनी रकम के लिए अच्छे खासे लोग सदस्य बन गए थे। पहले-पहले तो 200 रुपए पर अच्छा कैश बैक मिला, जैसे ही लोग पैसे लगाते गए या फिर उन्होंने बड़ी रकम जीती तो साइट खुलनी ही बंद हो जाती थी। शुरुआत चरण में तो यूजर को पैसे पाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी। लेकिन बाद में जब उन्हें अच्छा-खासा चूना लगता था तो उन्हें फ्रॉड का एहसास होता था।  अब देशभर में जांच एजैंसियां फ्रॉड एप्स के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं। कुछ महीने पहले गूगल ने भारत में 2000 से अधिक फर्जी उधार देने वाले एप्स को ब्लॉक किया था।
वित्त विशेषज्ञों ने इन एप्स को बच्चों, युवाओं को भ्रमित कर ठगी करने वाला करार दिया था और इन एप्स पर अंकुश लगाने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करने की जमकर वकालत की थी। देश पहले ही पौंजी स्कीमों द्वारा लोगों से अरबों रुपए की ठगी के मामले देख चुका है। अब वित्त मंत्रालय ने इन अवैध और अप्रमाणिक लोन एप्स पर नकेल कसने के लिए कड़े कदम उठाने का फैसला कर लिया है। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने एक बैठक कर फर्जी एप्स के मामले पर गहन समीक्षा की है। अब भारतीय रिजर्व बैंक सभी कानूनी एप्स की एक व्हाइट लिस्ट तैयार करेगा और आईटी मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि केवल व्हाइट लिस्ट वाले एप्स ही गूगल प्ले स्टोर और एप्स स्टोर पर उपलब्ध हों।
आरबीआई इन सभी की निगरानी करेगा ताकि इनका उपयोग मनी लाड्रिंग के लिए न किया जा सके। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि  पेमेंट एग्रीगेटर्स का पंजीकरण एक समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए और कोई भी अनरजिस्टर पेमेंट एग्रीगेटर को कार्य करने की छूट नहीं मिलेगी। मुखौटा कंपनियों की पहचान कर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाए। यद्यपि वित्त मंत्रालय और अन्य एजैंसियां लगातार लोगों को आगाह करती रहती हैं कि साइबर ठगी और ऐसी कंपनियों से सतर्क रहें और कोई भी निजी जानकारी न दी जाए। अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों और युवाओं की आदतों और व्यवहार पर कड़ी नजर रखें ताकि वह ऐसी कंपनियों के जाल में न फंसे। दुकानदार और छोटे कारोबारी भी लोन लेने के चक्कर में फंस जाते हैं, उन्हें भी सतर्क और जागरूक रहना होगा।

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