स्वास्थ्य सम्बन्धित जागरूकता व बेहतर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध होने से निश्चित ही हमारी उम्र लंबी हो रही है। हम जब छोटे थे, अगर परिवार या पड़ोस में किसी का 60-65 की उम्र में देहांत हो जाता था, तब कहा जाता था कि वो व्यक्ति पकी हुई उम्र में भगवान को प्यारा हुआ है। आज औसतन 75-80 की उम्र तक जीवन आसानी से चलता नजर आता है। इस लंबी होती उम्र में उचित वित्तीय प्लानिंग ही हमारी गाड़ी को जीवन भर सुचारू रूप से चला सकती है।
इस उम्र में आकर यह आशा नहीं करनी चाहिए कि हम कुछ ऐसा काम कर सकेंगे जिससे की काफी धन अर्जित हो सके। बच्चों से सहयोग ज्यादातर लोगों को जरूर मिलता रहेगा। फिर भी हमारी अपनी वित्तीय प्लानिंग जो काफी पहले से की गई है, उसी के सुपरिणाम हमको खुशी देते हैं।
आज की महंगाई की मार बुजुर्ग को भी झेलनी होती है। हर वस्तु की कीमत बढ़ रही है। इस उम्र में व्यक्ति की कोई ज्यादा आवश्यकता नहीं होती पर कुछ बुनियादी जरूरतें, जैसे खान-पान, रहन-सहन व सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सम्बन्धित आवश्यकताएं तो होती ही हैं और केवल इन बेसिक्स का खर्च ही हर माह बढ़ता जा रहा है।
हमारे पास जमा पूंजी क्या है उसका सही आकलन जरूर होना चाहिए। कोई गलतफहमी न पाल कर रखे। किसी विश्वासी वित्तीय सलाहकार से राय लेकर अपनी बचत को सही जगह इन्वेस्टमेंट करे जिससे की उससे उच्चतम आय हो सके। एक बात का विशेष ध्यान रखें की अपने सभी एसेट्स, बैंक खाते, उधार दिए गए रुपये, इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस आदि की पूर्ण जानकारी अपने जीवन साथी या अन्य किसी विश्वासी से जरूर साझा करे। अपनी वसीयत बनाना भी बहुत आवश्यक है। यह सब सावधानियां रखनी ही हैं हमें।
जीवन के इस पड़ाव पर आकर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए कि हम दिखावे से बच कर रहेंगे। देखादेखी में फिजूल खर्च न करें। अगर मन में केवल यह ठान लें कि हम इस पर विचार करेंगे ही नहीं कि लोग क्या कहेंगे तो निश्चित हमारा बोझ काफी हल्का हो जाएगा।
आवश्यकतानुसार अपने रहने के स्थान का भी सही आकलन करना चाहिए। जरूरत न होने पर छोटे आवास पर विचार करना गलत न होगा। और जरूरत न होने पर बड़े शहर में या पॉश एरिया से दूर जाकर रहने पर भी काफी खर्च बचाया जा सकता है।
आज ज्यादातर घरों में पुरुष व महिला दोनों ही काम पर लगे होते हैं। पहले ऐसा कम ही देखने को मिलता था। इस कारण पुरुष को वित्तीय आवश्यकताएं की प्लानिंग अपने लिए व अपनी जीवन साथी के लिए भी करनी होती है। जो जोड़े अकेले रहते हैं उन्हें सबसे अधिक चिंता यही रहती है कि एक के जाने के बाद दूसरे का क्या होगा। संयुक्त परिवार में रहने के कितने लाभ हैं वो जीवन के इस कालखंड में पता चलता है। पर हम निजी स्वार्थ, धैर्य का न होना व ईगो के कारण इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।
कुछ व्यक्ति अपने आवास पर पेईंग गेस्ट रख लेते हैं या अतिरिक्त स्थान को भाड़े पर लगा देते हैं। इससे कुछ आय हो जाती है। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से सावधानी पूरी बरतनी बहुत आवश्यक है। वो जब बुजुर्ग होंगे उस समय की परिस्थितियाें की भविष्यवाणी तो कोई नहीं कर सकता, पर यह निश्चित है कि सभी कुछ बहुत महंगा होगा और उन्हें बढ़ती उम्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्लानिंग आज ही शुरू करनी है।
– विजय मारू