सबका विकास, सबका विश्वास - Punjab Kesari
Girl in a jacket

सबका विकास, सबका विश्वास

दूसरी बार सत्ता में आई नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के

दूसरी बार सत्ता में आई नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के नारे को सार्थक करने के लिये अगले पांच वर्ष में अल्पसंख्यक समुदाय के 5 करोड़ छात्रों को प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति देने की घोषणा की। सरकार के इस फैसले को हिन्दू-मुस्लिम नजरिये से देखने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा। भारतीय जनता पार्टी को मुस्लिम विरोधी पार्टी के तौर पर देखा जाता है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार यह बात दोहराई है कि पंथ और जाति के आधार पर कोई भी विकास की यात्रा से पीछे नहीं छूटना चाहिये और अब तक अल्पसंख्यकों के साथ छल किया गया है, उसमें छेद करते हुये सबका विकास जीतना है। इसी विश्वास को जीतने की शुरूआत मोदी सरकार ने कर दी है। 
केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मं​त्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा है कि विकास की गाड़ी को हाईवे पर तेजी से दौड़ाना अगले पांच वर्षों में हमारी प्राथमिकता होगी ताकि प्रत्येक जरूरतमंद की आंखों में खुशी लाई जा सके। सरकार ने देशभर में बड़ी संख्या में मदरसों को औपचारिक शिक्षा और मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने का फैसला किया है। अल्पसंख्यक वर्ग की स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों को देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के ब्रिज  कोर्स के जरिए शिक्षा और रोजगार से जोड़ने और शिक्षकों को ट्रेनिंग देने का भी फैसला किया है। 
सरकार ने अगर मदरसों की तस्वीर बदलने का फैसला किया है तो इसमें गलत क्या है। जिन क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थाओं के लिये पर्याप्त ढांचागत सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं, मोदी सरकार ने वहां प्रधानमं​त्री जन विकास कार्यक्रम के तहत पोलिटैक्निक, आईटीआई, होस्टल स्कूल, कालेज गुरुकुल टाइप आवासीय, कॉमन सर्विस सेन्टर का युद्ध स्तर पर निर्माण किया जायेगा। सरकार जानती है कि  पढ़ो और बढ़ो जागरूकता अभियान के अंतर्गत उन सभी दूरदराज के क्षे​त्रों के लोगों में जहां सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ापन है और लोग अपने बच्चों को शिक्षा संस्थानों में नहीं भेज पाते, वहां बच्चों को शिक्षा संस्थानों में भेजने के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा।
 सरकार की योजना नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर पूरे देश में सौ अल्पसंख्यक कल्याण विद्यालय खोलने की है जिनमें हर समुदाय के बच्चे पढ़ सकेंगे। मदरसों को आधुनिक बनाने के फैसले पर कुछ मौलानाओं के विरोधी स्वर भी सुनाई देने लगे हैं। कुछ मौलानाओं ने कहा है कि मदरसे तो पहले ही आधुनिक शिक्षा से जुड़ चुके हैं। सवाल उनमें सुविधायें उपलब्ध कराने का है। सपा सांसद आजम खान भी बोल रहे हैं कि जिस मुल्क में हमारी बेसिक शिक्षा अभी भी पेड़ों के नीचे होती है वहां सरकार अल्पसंख्यकों को क्या सहूलतें देगी। दूसरी ओर काशी के साधु-संत समाज ने एक स्वर से नई मांग रख दी है। अखिल भारतीय संत समाज ने अल्पसंख्यक के नाम पर 5 करोड़ मुसलमानों को स्कॉलरशिप देने के सरकार के फैसले का विरोध किया है। संत समाज ने मांग रखी है कि देश में 8 ऐसे राज्य हैं, जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। इन राज्यों में हिन्दुओं को भी अल्पसंख्यक माना जाये और उन्हें अल्पसंख्यक वाले अधिकार दिये जायें। 
संत समाज ने तो केन्द्र सरकार से अल्पसंख्यक की परिभाषा साफ करने को कहा है। अखिल भारतीय संत समिति के महामन्त्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने प्रधानमं​त्री, गृहमंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय और अन्य को पत्र लिखकर कहा है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही ‘एक जन एक राष्ट्र’ की भावना की बात कही गई है। इसलिये अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा कहीं भी संविधान में नहीं है। दिसम्बर 1992 में कांग्रेस सरकार द्वारा पहली बार अल्संख्यक आयोग का गठन संसद में प्रस्ताव लाकर किया गया और यह संविधान की मूल अवधारणा के विरुद्ध था। विपक्षी पार्टियां सरकार के कदमों को अल्पसंख्यक मतदाताओं को खुश करने वाला मान रही हैं क्योंकि हज यात्रा से सब्सिडी हटाने के बाद से ही अल्पसंख्यक खासकर मुसलमान भाजपा से नाराज हैं। 
लोकतन्त्र में सभी को अपने विचार रखने का हक है। ऐसी बातें वही कर रहे हैं जो धर्म के नाम पर अपनी राजनीति करते रहे हैं या ठेकेदारी करते आ रहे हैं। धर्मगुरुओं ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। मुस्लिमों के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी है। पूर्ववर्ती सरकारों ने मुस्लिमों को सिर्फ वोट के लिये इस्तेमाल किया। मुस्लिमों का युवा वर्ग भी महसूस करता है कि अब धर्म के नाम पर लड़ने का वक्त नहीं है। इसलिये उन्हें आधुनिक समाज से कदम से कदम मिलाकर चलना है तो उनके एक हाथ में कुरान तो दूसरे हाथ में लैपटॉप होना ही चाहिये। मेरा सभी से आग्रह है कि सरकार के अच्छे कदमों को साम्प्रदायिक रंग से नहीं देखें बल्कि सद्भाव की दृष्टि से देखें। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे ने नरेन्द्र मोदी सरकार का मुस्लिमों में भरोसा जगाया है और यह भरोसा कायम रहना चाहिये। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × 2 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।