अर्थव्यवस्था की चमक - Punjab Kesari
Girl in a jacket

अर्थव्यवस्था की चमक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार इस बात की गारंटी दे रहे हैं कि भारत दुनिया की 3 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा। भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री की गारंटी के पीछे अंक गणित के हिसाब से प्राप्त हुई उप​ल​ब्धियों का आधार है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने पिछले साल अनुमान व्यक्त किया था कि भारत 2027-28 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। वैश्विक वित्तीय संस्थान मॉर्गन स्टेनली ने भी ऐसी ही भविष्यवाणी की थी। अब जबकि अंतरिम बजट आने वाला है लेकिन इस बार बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वे पेश नहीं किया जाएगा। आर्थिक सर्वे नई सरकार बनने के बाद पेश किए जाने वाले पूर्ण आम बजट से पहले आएगा लेकिन वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश करते हुए रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार के कार्यालय के अधिकारियों द्वारा तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देेश की अर्थव्यवस्था 10 वर्ष में यह पांचवें नम्बर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले तीन साल में देश की अर्थव्यवस्था तीसरे नम्बर पर पहुंच जाएगी और 2030 तक अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन की हो जाएगी। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के आकार का मानक उस देश की जीडीपी होती है और बीते 10 वर्षों में भारत की जीडीपी ने तेज उछाल दर्ज की है। हालांकि को​िवड के दौर में दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं की तरह भारत में भी वृद्धि की जगह गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन तमाम चुनौतियों को पार करते हुए अर्थव्यवस्था 7 फीसदी से अधिक विकास दर से दौड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार 2025-26 में भी 7 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है। घरेलू मांग लगातार बढ़ रही है और इसके साथ-साथ सरकारी निवेश और निजी निवेश भी बढ़ा है। अर्थव्यवस्था के सभी संकेत अच्छे हैं। अगर यही गति बनी रही तो 2047 तक भारत के विकसित देश बनने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
बीते नौ वर्षों में देश के लगभग 24.8 करोड़ लोगों का गरीबी से पीछा छूट गया। नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबी से मुक्ति पाने के मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार ने सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नीति आयोग के दो शीर्ष अधिकारियों की रिसर्च रिपोर्ट में स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, मातृ स्वास्थ्य और बैंक खातों सहित 12 मापदंडों के आधार पर बहुआयामी गरीबी का आकलन किया गया है। इन कसौटियों के आधार पर तय गरीबों की आबादी 2022- 23 में 11.3 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है जो 2019-21 में 15 प्रतिशत और 2013-14 में 29.2 प्रतिशत थी।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया, ‘आने वाले दिनों में दुनिया के कई हिस्सों में टकराव बढ़ने का खतरा ही अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का एकमात्र विषय है।’ चीफ इकनॉमिक अडवाइजर ने लिखा, ‘ग्लोबल इकनॉमी कोविड के बाद अपनी रिकवरी बनाए रखने में जूझ रही है क्योंकि एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। इनमें से सप्लाई चेन में बाधा पड़ने जैसी दिक्कतें 2024 में फिर उभर आईं। अगर ये बनी रहीं तो इससे व्यापार, ढुलाई लागत, आर्थिक उत्पादन और महंगाई के मामले में पूरी दुनिया में असर पड़ेगा। भारत इससे अछूता नहीं रहेगा लेकिन यह इन चुनौतियों से भी निपट लेगा, इसका पूरा भरोसा है।’ साल 2047 तक विकसित देशों की कतार में पहुंचने के लिए जीडीपी ग्रोथ 7 प्रतिशत से ज्यादा बनाए रखनी होगी। इसके लिए पढ़ाई-लिखाई के बेहतर इंतजाम करने होंगे, स्किल डिवेलपमेंट पर जोर बढ़ाना होगा, हर साल वर्कफोर्स में शामिल होने वाले करीब एक करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अधिक मौके बनाने होंगे, ज्यादा जॉब्स देने वाले छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना होगा और तमाम कायदे-कानूनों में कमी लाकर उन्हें सरल बनाना होगा ताकि बिजनेस की सहूलियत बढ़ सके।
भारतीय अर्थव्यवस्ता के चमकदार बनने के अनुमानों के बीच इस बात पर बहस जारी है कि समाज के बड़े तबके को अभी भी पूरी तरह से लाभ नहीं मिल रहा। अभी भी भारतीय श्रम बाजार के ढांचे और अधिक नीतिगत सुधारों की ओर ध्यान देना जरूरी है। आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण इलाकों में रहता है और वहां रोजगार के हालात समग्र मांग पर असर डाल सकते हैं। देश का कृषि सैक्टर मजबूत है लेकिन कृषि कामगारों के जीवन की समस्याएं अब भी बनी हुई हैं। श्रम शक्ति की ओर ज्यादा तवज्जों देने की जरूरत है। जीडीपी देश के आम नागरिकों की समृद्धि का पैमाना नहीं है। जिस पैमाने से देश के आम लोगों की समृद्धि मापी जाती है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। इसमें दिहाड़ीदार मजदूर, कामकाजी लोग, महिलाओं की स्थिति से लेकर औद्योगिक घराने की कमाई तक सब शामिल रहते हैं। बहुत सारे लोग औसत से अधिक कमाते हैं और बहुत सारे लोग कम। देखना यह है कि आम आदमी को कितना लाभ पहुंचता है। उम्मीद है कि निर्मला सीतारमण के अंतरिम बजट से क्या-क्या निकलता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five × four =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।