मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत - Punjab Kesari
Girl in a jacket

मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत

17 साल पहले 26 नवम्बर, 2008 की काली रात महानगर मुम्बई गोलियों से दहल…

17 साल पहले 26 नवम्बर, 2008 की काली रात महानगर मुम्बई गोलियों से दहल उठा था। पाक प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने एक साथ कई जगहों पर हमला किया। लियो पोर्ल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से शुरू हुआ मौत का तांडव ताजमहल होटल में जाकर खत्म हुआ। यह हमले 4 दिन तक जारी रहे। इन हमलों में लगभग 170 लोगों की मौत हुई। इन हमलों में आतंकवाद निरोधक दस्ते यानि एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, मुम्बई पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त अशोक कामटे और पुलिस इंस्पैक्टर विजय सालस्कर शहीद हुए। शुरू में किसी को अंदाजा ही नहीं था कि मुम्बई में इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ लेकिन धीरे-धीरे हमले के पैमाने आैर संजीदगी का अहसास हुआ। यह एक ऐसी तारीख है जिसे याद करके देशवासियों की आंखें गमगीन हो जाती हैं। दहशत की तस्वीरें आंखों के सामने आ जाती हैं। यह तारीख मुम्बई के पुराने घाव को कुरेदती है। यद्यपि इस हमले में पकड़े गए एकमात्र पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को सजा-ए-मौत दी गई लेकिन इस हमले ने क्रूरता के जो निशान छोड़े वे आज भी मुम्बई में मौजूद हैं। आतंकवादी कसाब को ​िजन्दा पकड़ने वाले सब इंस्पैक्टर तुकाराम को कौन भुला सकता है, जो एक दूसरे आतंकवादी की गो​िलयों का शिकार हो गए थे।

इस हमले का एक मास्टर माइंड तहव्वुर राणा आज भारत के ​िशकंजे में है। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागिरक तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। राणा का शिकंजे में आना भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत है। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। हालांकि राणा ने कई हथकंडे अपनाए लेकिन अमेरिकी अदालतों में उसकी सारी याचिकाएं ठुकरा दी गईं। राणा का प्रत्यर्पण भारत के​ ​िलए बड़ी जीत इसलिए मानी जा रही है ​क्योंकि यह वही शख्स है जो मुम्बई हमले के पीछे की आपराधिक साजिश से जुड़े सभी राज जानता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की यह आज तक की सबसे बड़ी जीत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इसके लिए कूटनीतिक प्रयास करते रहे हैं। 10 जून, 2020 को भारत ने तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी और अमेरिका से उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। तब अमेरिका ने उसे ​गिरफ्तार किया था।

अमेरिकी अदालत ने भले अब तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी हो लेकिन उसने साल 2008 में ही मान लिया था कि भारत विश्व के सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित देशों में से एक है। हालांकि इसके साथ ही अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के अभियान की धीमी प्रक्रिया पर भी चिंता जताते हुए कहा था कि भारत में हुए आतंकी हमले और ऐसी ही अन्य घटनाएं बताती हैं कि आतंकी चंदे की मोटी राशि मिलने के कारण आर्थिक रूप से काफी समृद्ध हैं। अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक ‘कंट्री रिपोर्ट्स आन टेरेरिज्म 2008’ में 26/11 के मुंबई हमलों के अलावा 2008 में भारत में हुए अन्य प्रमुख हमलों का भी उल्लेख था जिनमें जयपुर विस्फोट, काबुल में भारतीय दूतावास के अलावा अहमदाबाद, दिल्ली और असम के विस्फोट भी शामिल थे।

कौन नहीं जानता कि तहव्वुर राणा ने दाऊद सईद गिलानी या​िन डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर हमले की साजिश रची थी। डेविड हेडली ने अपनी पहचान छिपाने के लिए मुम्बई में फर्स्ट वर्ल्ड इमीग्रेशन सर्विसिज के नाम से एक कम्पनी का कार्यालय खोला और खुद को बिजनेसमैन के रूप में पेश किया। धीरे-धीरे उसने फिल्म जगत में नामी-गिरामी हस्तियों से जान-पहचान बढ़ाई। भारत यात्रा के दौरान उसने मुम्बई के उन स्थानों की रेकी की जहां पर हमला किया जाना था। राणा ने ही हेडली की वित्तीय मदद की थी। अमेरिका ने हेडली को भी एक हमले की साजिश में गिरफ्तार किया था। अब सवाल यह है कि अमेरिका ने राणा को तो भारत के हवाले कर दिया लेकिन वह डेविड हेडली के मामले में खामोश है। दरअसल हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है, जो डबल क्रॉस एजैंट बना हुआ था। हेडली ने अमेरिका से डील कर अपनी जान बचाई। उसने लश्कर, आईएसआई और अलकायदा के राज अमेरिका को बताए तब से ही हेडली अमेरिका की सम्पत्ति बन गया है। फिलहाल हेडली का अमेरिका में सुरक्षित रहना बड़े सवाल खड़े करता है। फिलहाल मुम्बई के पीड़ित परिवार आज भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं। राणा को सजा मिलने पर ही 26/11 के घावों पर कुछ मरहम लगेगा क्योंकि मुम्बई आज भी जख्मों का हिसाब मांगती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 × 1 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।