विकास का बजट - Punjab Kesari
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विकास का बजट

वित्त मन्त्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 34.96 लाख करोड़ रुपये की प्रप्तियों…

वित्त मन्त्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 34.96 लाख करोड़ रुपये की प्रप्तियों और 50.65 लाख करोड़ रुपये के खर्च का केन्द्रीय बजट लोकसभा में प्रस्तुत किया। यह बजट भी घाटे का ही बजट है मगर यह उपभोक्ता मूलक है। इस बजट का मुख्य आकर्षण निजी आयकर की सीमा को 12 लाख रुपये वार्षिक करना माना जा रहा है। इसका अर्थ है कि जिन लोगों की मासिक आय एक लाख रुपये तक की है उनसे कोई आयकर नहीं लिया जायेगा। नौकरी पेशा लोगों को आयकर में बढ़ी राहत केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। कुल ​िमलाकर यह बजट देश के ​िवकास के लिए बेहतर सा​िबत ​होगा। रुपये की क्रय शक्ति में पिछले कुछ वर्षों से भारी गिरावट दर्ज हो रही है जिसका मूल्यांकन बढ़ती महंगाई दर के सापेक्ष किया जाता है। आयकर सीमा बढ़ जाने की वजह से नागरिकों के हाथ में खर्च करने के लिए पहले से अधिक धन होगा मगर उनकी क्रय क्षमता में बढाैतरी तभी संभव है जब महंगाई न बढ़ने पाये। यदि महंगाई बढ़ती है तो खर्च के लिए प्राप्त धन की कोई महत्ता नहीं रहेगी अतः महंगाई के मोर्चे पर वित्तमन्त्री को बहुत सजग रहना होगा।

महंगाई तब भी बढ़ती है जब लोगों की क्रय क्षमता बढ़ती है। दूसरे सरकार की प्राप्तियों और खर्च में जो अन्तर है उसे किस तरह पूरा किया जायेगा। इस अन्तर को सरकार बाजार से 14 लाख करोड़ से अधिक कर्ज लेकर पूरा करेगी। इससे भारत में ब्याज दरें बढ़ने का खतरा भी मंडराता रहेगा जिसका ध्यान रिजर्व बैंक को रखना होगा। बजट में गरीब, युवा, किसान व नारी के लिए विभिन्न योजनाएं चलाने व इन्हें सशक्त बनाने के लिए कई उपाय करने के दावे किये गये हैं, हमें इन सभी की समीक्षा पिछले वार्षिक बजट के सापेक्ष ही करनी होगी। अक्सर एेसा होता है कि हर साल बजट में नई-नई घोषणाएं की जाती हैं। ये घोषणाएं जमीन पर किस तरह उतरती हैं, हम यह अगला साल आने तक भूल जाते हैं और फिर नई घोषणाएं हो जाती हैं। बाजार मूलक अर्थ व्यवस्था में सरकार की भूमिका उद्योग व व्यापार जगत को एेसी दिशा देने की होती है जिससे महंगाई काबू में रहे और रोजगार बढे़।

भारत में 60 प्रतिशत रोजगार कृषि क्षेत्र ही मुहैया कराता है अतः इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में पूंजी सृजनात्मक उपायों का विशेष महत्व होता है। देखना यह होगा कि वर्तमान बजट में कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए श्रीमती सीतारमण ने जो भी घोषणाएं की हैं उनसे यह क्षेत्र कितना मजबूत होगा। बजट में किसान क्रेडिट कार्ड की धनराशि बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई है। किसान को सस्ता खाद, बीज व बिजली और पानी चाहिए तभी उसकी उपज का मूल्य उसे लाभप्रद भावों पर मिल सकता है। इस क्षेत्र में सरकार ने घोषणा की है कि वह चार नये यूरिया उत्पादन संयन्त्र स्थापित करेगी जिससे किसानों के लिए आवश्यक इस रासायनिक खाद की मांग के अनुरूप आपूर्ति हो सके। वित्तमन्त्री ने पंचायत स्तर पर ही कृषि भंडारण की सुविधाएं सृजित करने की भी घोषणा की है। यह कार्य सरकार निजी व सरकारी क्षेत्र के सहयोग में ही करेगी क्योंकि इस क्षेत्र में पहले से ही एेसे संयुक्त उपक्रम चल रहे हैं। इस बजट में रेलवे का बजट भी समाहित है।

रेलवे के आधुनिकीकरण व इसकी सेवाओं में विस्तार करने की योजना भी वित्तमन्त्री ने बजट में रखी है परन्तु इस देश के गरीब आदमी की रेलवे को लेकर सबसे बड़ी समस्या बढ़ता रेल किराया है। इस मोर्चे पर वित्तमन्त्री चुप रही हैं। बजट की दिशा का इस सूचकांक से पता चलता है कि वह देश में रोजगार कितना बढ़ायेगा। मोटे तौर पर इस बजट को रोजगार मूलक तो कहा जा सकता है परन्तु यह इस बात पर निर्भर करेगा कि निजी क्षेत्र किस प्रकार इसमें सरकार की मदद करता है। भारत में रोजगार प्रदान करने में छोटे व मंझोले उद्यमों की विशिष्ट और महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बजट में इनके कारोबार की धनराशि को बढ़ा दिया गया है जिससे एेसे उद्योग सरकार द्वारा दी जाने वाली रियायतों का लाभ उठा सकें। साथ ही सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक उत्पादन मिशन स्थापित करने की घोषणा भी की है। भारत में स्थापित उद्योगों में अभी भी पूरी उत्पादन क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है। मगर इसका सम्बन्ध बाजार से आने वाली मांग से होता है। नये आयकर ढांचे के तहत बाजार में मांग बढ़ सकती है जिससे उत्पादन में बढ़ाैतरी संभव है। बजट में नई उड़ान नीति के तहत पूरे देश में 120 नये हवाई अड्डे स्थापित किये जाने का वादा किया गया है मगर इस मामले में यह देखना होगा कि इन नये हवाई अड्डों का लाभ तभी हो सकता है जब कम दूसरी के गन्तव्यों का किराया रेलवे के किरायों से बहुत ज्यादा न हो। तीन सौ से लेकर 400 कि.मी. दूरी तक नया हवाई अड्डा स्थापित करने के मामलों में सावधानी बरतनी होगी।

वित्तमन्त्री ने बच्चों के खिलौने बनाने में भारत को वैश्विक केन्द्र बनाने का सपना दिया है। इस मामले में यह ध्यान रखना होगा कि फिलहाल चीन से 90 प्रतिशत खिलौने भारत आयात करता है और ये अपेक्षाकृत सस्ते भी होते हैं। चीन से भारत का आयात लगातार बढ़ रहा है अतः इस क्षेत्र में हमें सीधे उससे ही प्रतियोगिता करनी होगी। इसके साथ ही विज्ञान व टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में शोध व अनुसंधान के लिए भी वित्तमन्त्री ने खासी बड़ी रकम का प्रावधान किया है। इसका सर्वत्र स्वागत होना चाहिए। कुल मिलाकर निर्मला सीतारमण के इस बजट को हम उपभोक्ता मूलक बजट कह सकते हैं मगर शर्त यही है कि महंगाई काबू में रहनी चाहिए।

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