डीप सीक की एआई में क्रांति - Punjab Kesari
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डीप सीक की एआई में क्रांति

डीप सीक को लांच हुए डेढ़ हफ्ता ही हुआ है कि उसने दुनिया के शक्तिशाली…

डीप सीक को लांच हुए डेढ़ हफ्ता ही हुआ है कि उसने दुनिया के शक्तिशाली देश अमेरिका के पसीने छुड़ा दिए हैं। डीप सीक के कारण ही अमेरिका को अच्छा खासा नुक्सान झेलना पड़ रहा है। डीप सीक के कारण ही अमेरिकी टेक कम्पनियों के शेयर ऐसे लुढ़के कि अमेरिका को करोड़ों का नुक्सान झेलना पड़ गया। आखिर यह डीप सीक है क्या? डीप सीक आर्टिफिशियल इंटेलिजैंसी की दुनिया में एक चीनी एप है। डाऊनलोड के मामले में भी डीप सीक चैट जीपीटी से आगे निकल गया है और इसने दिग्गज कम्पनियों मेटा, ओपन एआई और गूगल जैसे टॉप टैक कम्पनियों के होश उड़ा दिए हैं। एआई के मामले में दुनिया की नजरें हमेशा अमेरिका और यूरोप पर होती हैं लेकिन इस बार चीन ने एक ऐसा दाव चला है ​जिसने टेक्नोलॉजी की दुनिया में हलचल मचा दी है। लियांग वेनफेंग का नाम अब ग्लोबल एआई इंडस्ट्री में तेजी से उभर रहा है। डीप सीक के फाउंडर और सीईओ ​िलयांग वेनफेंग चीन के झानजियांग में एक साधारण परिवार में पैदा हुए। उनके पिता एक प्राइमरी स्कूल टीचर थे लेकिन लियांग का जुनून हमेशा बड़ा था। छोटी उम्र में ही वह मुश्किल समस्याओं को हल करने में रुचि रखते थे। लियांग की शुरूआती पढ़ाई साधारण स्कूलों में हुई लेकिन उनकी काबिलियत ने उन्हें प्रतिष्ठित संस्थानों तक पहुंचा दिया, यहीं से उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में गहरी पकड़ बनाई और इसे अपनी सबसे बड़ी ताकन बना लिया।

लियांग ने अपने करियर की शुरूआत से ही एआई को अपने बिजनेस का सेंटर बनाया। उन्होंने 2013 में हांग्जो याकेबी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट और 2015 में झेजियांग जियुझांग एसेट मैनेजमेंट की स्थापना की। इसके बाद 2019 में उन्होंने हाई-फ्लायर एआई लॉन्च किया जो 10 अरब दुआन से ज्यादा की संपत्ति को मैनेज करने वाला वेंचर था लेकिन असली धमाका 2023 में हुआ, जब उन्होंने डीप सीक की नींव रखी।

लियांग वेनफेंग ने पुराने और सस्ते जीपीयू का इस्तेमाल कर डीप सीक के ट्रेन किया। कम्पनी ने इन्हें तैयार करने के लिए करीब 56 लाख डॉलर खर्च किए। चैट जीटीपी, लामा, ग्रोक, क्लाउड और दूसरे बड़े लैंग्वेज मॉडल तैयार करने में खर्च हुए करोडों डॉलर की तुलना में यह रकम कुछ भी नहीं है। मगर नए एआई का प्रदर्शन इन सभी उत्पादों को टक्कर दे रहा है। दिलचस्प है कि इसे बेहद सस्ते चिप के साथ तैयार किया गया है, जिसकी कीमत चैट जीपीटी बनाने में इस्तेमाल हुए ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) से बहुत कम है। दावा किया जा रहा है कंपनी ने इसके प्रशिक्षण में केवल 2,000 जीपीयू का इस्तेमाल किया था जो चैट जीपीटी में इस्तेमाल हुए जीपीयू की तुलना में बहुत कम हैं।

कंपनी का यह प्रोग्राम आसानी से उपलब्ध एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस वाला ओपन सोर्स कोड है। इसे कोई भी जांच या बदल सकता है और कोई भी प्रोग्रामर इसकी मदद से एप्लिकेशन तैयार कर सकता है। इसे ऑफ द शेल्फ यानी पहले से तैयार कंप्यूटरों पर इंस्टॉल करना और चलाना भी संभव है। बड़े हाइपर स्केलिंग डेटा सेंटर में तो इसे बेहद आसानी से चलाया जा सकता है। ओपन एआई, गूगल, मेटा और दूसरी एआई तैयार करने वाली कंपनियां डीप सीक के कुछ विचार जरूर अपना सकती हैं ताकि अगली पीढ़ी के जेनरेटिव एआई मॉडल बेहतर हो सकें। कोड से पता चलता है कि डीप सीक ने ज्यादा कारगर मैमाेरी मैनेजमेंट सिस्टम तैयार कर लिया है। इससे डीप सीक के लिए कम ताकतवर हार्डवेयर पर प्रशिक्षण और काम के बाद भी अपने प्रतिद्वंद्वियों की टक्कर का प्रदर्शन करना संभव हो जाता है।

संसाधनों की कमी के बीच कम लागत वाला रास्ता निकालने का यह बेजोड़ उदाहरण है। अमेरिका ने चीन को उच्च क्षमता वाले जीपीयू का निर्यात बंद कर दिया जिससे मजबूरी ने डीप सीक ने यह ईजाद कर डाली। ऐसे में डीप सीक की यह उपलब्धि अमेरिकी संरक्षणवाद और उन्नत कंप्यूटिंग संसाधन साझा करने से उसके इन्कार पर सवाल खड़ा कर देती है। इसकी वजह से नवाचार का ऐसा सफर शुरू हुआ जो कम संसाधनों के साथ भी दमदार प्रदर्शन की राह तैयार कर सकता है। ओपन सोर्स अपनाकर और एआई आसानी से उपलब्ध कराकर कंपनी ने अल्गोरिद्म के प्रसार का रास्ता भी साफ कर दिया है। दुनिया भर में प्रोग्राम तैयार करने वाले लोग उन ऐप्लिकेशन की खोज में जुट गए हैं, जो इन मॉडलों का इस्तेमाल करेंगे। लागत कम होने के कारण इससे एआई के लिए होने वाले शोध एवं विकास में भी निवेश बढ़ेगा।

कुल ​मिलाकर चीन के डीप सीक ने अमेरिका को तारे दिखा दिए हैं। अमेरिकी कम्पनियों को भी अब इसका मुकाबला करने के लिए नई रणनीति और नई तकनीक पर विचार करना होगा। भारतीय इंजीनियर और युवा पीढ़ी इस तरह की चीजों में ज्यादा रुचि रखते हैं। कुुछ स्टार्ट अप ने नए गैजेट्स भी दिए हैं। प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है लेकिन जरूरी है ऐसी प्रतिभाओं को प्रोत्साहन दिया जाए। भारत में एआई का विस्तार हो रहा है। सरकार को चाहिए कि एआई योजनाओं को बड़े स्तर पर बढ़ावा दे और भारतीय प्रतिभाएं ऐसे ही किसी नवाचार को खोजें और उसे तैयार करें। एआई के क्षेत्र में प्रतिभाओं के लिए बहुत अवसर मौजूद हैं।

– आकाश चोपड़ा

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