क्षेत्रीय भाषाओं में अदालत - Punjab Kesari
Girl in a jacket

क्षेत्रीय भाषाओं में अदालत

सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर न्यायाधीशों के अखिल भारतीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को गम्भीर चिंता का विषय बताते हुए जिला न्यायालय के न्यायाधीशों से अपील की कि वह इन मामलों का शीघ्र निपटारा करें ताकि विशेष रूप से महिलाओं और पूरे समाज में सुरक्षा की भावना पैदा हो सके। नया भारत यानि सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत में हमारी न्यायपालिका इस विजन का एक मजबूत स्तम्भ है। भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है। इन कानूनों की भावना है नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंसाफ जल्दी मिलना चाहिए तभी समाज का न्यायपालिका पर भरोसा बना रहेगा। इसी सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चन्द्रचूड़ ने क्षेत्रीय भाषाओं में कानून की शिक्षा देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होगा तो नागरिकों को उनकी समझ में आने वाली भाषा में कानूनी समझ होगी। अगर हर क्षेत्रीय भाषा में कानूनी शिक्षा होगी तो हम वकीलों के नए ग्रुप तैयार कर सकेंगे जो अदालतों के सामने बहस करने और न्याय को बढ़ावा देने के​ लिए अपनी भाषा में अच्छी तरह से पक्ष रख सकें।

सीजीआई ने बहुत महत्वपूर्ण बात कही है। देश के नागरिक अभी भी कानूनों को भलीभांति नहीं समझ पाते क्योंकि उच्च अदालतों में सारा कामकाज अंग्रेजी भाषा में होता है। एक तो लोगों में जागरूकता की कमी है और दूसरा वे वकीलों का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। जिला अदालतें न्यायपालिका की रीढ़ की तरह हैं। मुख्य न्यायाधीश पहले भी क्षेत्रीय भाषाओं में कानून की पढ़ाई की वकालत कर चुके हैं। उदाहरण के ​लिए यदि कोई व्यक्ति भूमि से सम्बन्धित समस्या को लेकर कानूनी सहायता केन्द्र में आता है तब कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र खसरा और खतौनी जैसे शब्दों को नहीं समझते तो वह क्या ​किसी की मदद कर पाएंगे। न्याय प्रक्रिया को आम लोगों के लिए अधिक सरल बनाने के लिए अंग्रेजी में ​दिए गए फैसलों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। भारत में क्षेत्रीय भाषाओं का बहुत महत्व है। कई देशों ने क्षेत्रीय भाषाओं को आधिकारिक रूप से मान्यता दी है। भारत विविधताओं वाला देश है। कुछ भाषा के आधार पर, कुछ क्षेत्र के आधार पर, कुछ राज्य में ही कई-कई बो​लियां हैं। लखनऊ में लाेग हिन्दी बोलते हैं जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में भोजपुरी बोली जाती है। इससे सवाल उठता है कि न्याय और संविधान के मूल्यों को लोगों तक कैसे पहुंचाया जाए।

लेकिन अभी तक पठन-पाठन में अंग्रेजी का वर्चस्व बना हुआ है। पिछले साल भी प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि विधि विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आयोजित कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) को केवल अंग्रेजी में आयोजित करना ग्रामीण और वंचित लोगों के विरुद्ध पक्षपातपूर्ण है। उनके कथन कानून के पेशे में सेवा हासिल करने तथा उसके समावेशी होने से संबंधित समस्या को इंगित करते हैं। कानून की पढ़ाई में अंग्रेजी का वर्चस्व है तो दस्तावेज भी अंग्रेजी में होते हैं, सुनवाई में भी अंग्रेजी का ही बोलबाला रहता है। फैसले भी आमतौर पर अंग्रेजी में ही लिखे जाते हैं। निचली अदालतों में स्थानीय भाषाओं के लिए कुछ गुंजाइश रहती है, पर सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों, विशेष न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों में अंग्रेजी ही चलती है। कुछ दिन पहले उन्होंने न्यायाधीशों को सलाह दी थी कि वे सरल भाषा में निर्णय लिखें, जिसे समझने में सबके लिए आसानी हो। कई देशों में कानून की पढ़ाई और अदालती प्रक्रिया में क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल होता है। ऐसी व्यवस्था से न्यायिक प्रक्रिया तक नागरिकों की पहुंच आसान होती है तथा उन्हें इस पेशे में आने के लिए भी प्रोत्साहन मिलता है। प्रधान न्यायाधीश ने यह भी कहा है कि यदि कानून के मुख्य सिद्धांतों को छात्र अपनी मूल भाषा और संदर्भ में पढ़ेंगे तो वे सामाजिक रूप से अधिक जिम्मेदार वकील बनेंगे तथा अपने समुदायों से उनका जुड़ाव भी पुख्ता होगा।

न्यायालय में तकनीक को अपनाने पर जोर दिया गया है। शिक्षा में क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों को भी एक क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में अपनाना चाहिए। विश्वविद्यालयों में भी क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े कानूनों को भी पढ़ाया जाना चाहिए। हाल ही के वर्षों में मेडिकल प्रबंधन आदि कुछ पेशेवर पाठ्यक्रमों को हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की गई है, पर इसके विस्तार की गति बहुत धीमी है। न्याय जल्द और सहज सुलभ होना चाहिए। अगर क्षेत्रीय भाषाओं में नई भारतीय न्याय संहिता की शिक्षा दी जाए तो लोगों को सस्ता और आसानी से न्याय सुलभ हो सकेगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।