सीरिया में तख्तापलट - Punjab Kesari
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सीरिया में तख्तापलट

दुनिया ने बड़े-बड़े क्रूर शासकों को देखा और झेला है। तानाशाह और क्रूर शासकों के…

दुनिया ने बड़े-बड़े क्रूर शासकों को देखा और झेला है। तानाशाह और क्रूर शासकों के अंत की भी दुनिया चश्मदीद रही है। सीरिया में बशर अल असद शासन के खातमें के साथ ही इस सुन्नी मुस्लिम बहुल मुल्क पर आधी सदी तक राज करने वाले शिया परिवार का शासन खत्म हो गया है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद अपनी जान बचाकर मास्को में शरण ले चुके हैं। सीरिया का गृह युद्ध अरब स्प्रिंग के अधूरे एजेंडे की तरह था। जो उत्तरी अफ्रीका के ट्यूनीशिया में रोजी-रोटी कमाने के एक साधारण सवाल से शुरू हुआ और पश्चिम एशिया के कई देशों में फैल गया था। ट्यूनीशिया में एक बेरोजगार शिक्षित युवक ने जब फल और सब्जियां बेचनी शुरू की थी तो एक पुलिस कांस्टेबल ने उससे रिश्वत मांगी थी। इसे पीटा गया था और उसका ठेला छीन लिया गया था। पुलिस यातनाओं से पीड़ित उस युवक ने अपने ऊपर पैट्रोल डाल कर आत्मदाह कर लिया था।

इस घटना के बाद इनते जबरदस्त प्रदर्शन हुए कि ट्यूनीशियाई तानाशाह जीन अल की सत्ता का 2011 में अंत हो गया था। सीरिया भी बेरोजगारी और अन्य आर्थिक समस्याओं से जूझता रहा है। जब कोई रोजगार मांगता तो असद सरकार उस पर अत्याचार करती। देश में भ्रष्टाचार में अाकंठ डूबी असद सरकार के खिलाफ 2011 में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसके बाद सीरिया पूरी तरह से गृह युद्ध की आग में जलने लगा था। 13 वर्ष पहले 14 साल के एक लड़के ने एक दीवार पर एक पेंटिंग बनाई थी जिस पर लिखा था ‘ऐजाक एलडोर’ जिसका मतलब था अब तुम्हारी बारी है डाक्टर। यहां डॉक्टर से इशारा सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की तरफ था। इस लड़के को 26 दिन तक पुलिस हिरासत में रखा गया। उसे यातनाएं दी गई। इस लड़के की गिरफ्तारी के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शन हुए।

इस आंदोलन के दौरान सीरिया में फ्री सीरियन आर्मी का उदय हुआ। इस विद्रोह का फायदा चरमपंथी समूहों ने उठाया। 13 वर्ष पहले जो चिंगारी 14 साल के लड़के ने लगाई थी उससे फैली आग की लपटें इतनी व्यापक हो गई कि अंतत: असद को देश छोड़कर भागना पड़ा। बशर अल असद ने आंदोलन को क्रूरता से कुचलने के लिए हर हथकंडा अपनाया। उसने बंदूकों के मुंह खोल ​िदए। अपने ही देश में नागरिकों को मारने के लिए रासायनिक हमले किए। असद शासन ने कुर्दी का दमन ​िकया। हजारों लोगों को जबरन गायब करवा दिया। रूस, ईरान, लेबेनान के हिज्बुल्लाह विद्रोहियों की मदद से असद 13 वर्षों तक विद्रोही गुटों का मुकाबला करते रहे।

इन दिनों रूस यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है। ईरान इजराइल के साथ उलझस हुआ है। हिज्बुल्लाह की कमर टूट चुकी है। ऐसे में युद्ध से थके हुए तीन दोस्त उसकी कैसे मदद करते। दूसरी ओर अमेरिका इजराइल और तुर्किए असद सरकार को सत्ता से हटाने में लगे हुए थे। असद की सेना ताश के पत्तों की तरह ढह गई। गृह युद्ध के चलते 5 लाख लोग मारे जा चुके हैं। विद्रोहियों के अलग-अलग गुटों ने देश के कई हिस्सों में कब्जे कर लिए थे। मौजूदा हालात का फायदा विद्रोहियों ने उठाया और तख्तापलट कर दिया। बशर अल असद को कठोर और दमनकारी सियासत विरासत में मिली थी। उनके पिता हाफिज अल असद ने 29 साल तक सीरिया पर शासन किया था। लोगों की उम्मीद थी कि असद अपने पिता से अलग होंगे लेकिन वे भी अपने पिता की ही तरह क्रूर ​निकले। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विद्रोह का नेतृत्व करने वाले हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) के नेता अबू मोहम्मद अल जुलानी सत्ता संभालेंगे। क्या सीरिया में लोकतांत्रिक सरकार कायम होगी। आगे क्या होगा। क्या शासन के शीर्ष पर खालीपन तो नहीं आ जाएगा? समस्या यह भी है कि एचटीएस की जड़ें अलकायदा से जुड़ी हुई हैं। जिसका अतीत काफी हिंसक रहा है।

यह भी सबसे बड़ा सवाल है कि क्या दुर्दांत आतंकवादी संगठन आईएस फिर से अपनी शक्ति बटोर कर उभर तो नहीं आएगा? गृहयुद्ध में शरणार्थी बने लाखों लोगों का पुनर्वास कैसे होगा। दूसरी तरफ राष्ट्रपति असद के भागने के बाद उनके समर्थकों ने देश छोड़ना शुरू कर दिया है। अगर विद्रोही गुट ने खुद को राष्ट्रवादी ताकत के रूप में पेश नहीं किया तो और अराजकता फैल सकती है। फिलहाल सीरिया में अशांति और अस्थिरता का खतरा बना हुआ है। सीरिया में असद शासन का खात्मा रूस-ईरान को बड़ा झटका है। क्या रूस-ईरान चैन से बैठेंगे। क्या तुर्किए और अमेरिका शांत होकर बैठे रहेंगे। सीरिया विदेशी शक्तियों का पहले से ही अखाड़ा बना हुआ है। सीरिया का घटनाक्रम एक ऐसा सबक है जो यह संकेत देता है कि इससे जिहादी ताकतें बेलगाम हो सकती हैं। देखना होगा सीरिया किस तरफ जाता है।

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