चौपाल कर रही है ई-रिक्शा से धमाल - Punjab Kesari
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चौपाल कर रही है ई-रिक्शा से धमाल

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स्वदेशी जागरण फाउंडेशन की प्रेरणा से स्वयंसेवी संस्था चौपाल (नॉन प्रोफिट हैकिंग) माननीय मदन दास देवी जी और स्वर्गीय केदारनाथ साहनी, माननीय बजरंग लाल के मार्गदर्शन से अस्तित्व में आई है जो आदरणीय भोलानाथ जी, रवि बंसल, सौरभ नैय्यर, विकेश सेठी, राजकुमार जैन, राजकुमार भाटिया के निर्देशन में चल रही है और मुझे इसकी संरक्षिका बनकर सेवा करने का अवसर प्रदान किया गया है। इसका उद्देश्य जाति, धर्म से ऊपर उठकर आर्थिक दृष्टि से उपेक्षित एवं विभिन्न वर्ग को स्वयं के प्रयासों से सक्षम बनने का अवसर देना है। दूसरे शब्दों में देश के सशक्तिकरण का लक्ष्य सामने रखकर चौपाल द्वारा उपलब्ध सूक्ष्म वित्तीय ऋण सहायता (माइको फाइनेंस) जरूरतमन्द परिवारों की उन महिलाओं को लघु ऋण सहायता प्रदान कर उन्हें आर्थिक स्वावलम्बन के मार्ग पर आगे बढ़ाना है। समय-समय पर बड़ी हस्तियां और संघ के बड़े महानुभाव हमें आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित करते हैं और हमें जोश दिलाते हैं जैसे माननीय बजरंग लाल जी ने कहा कि अब वे 100वें प्रोग्राम में आएंगे तो यह 65वां प्रोग्राम है। हमारी टीम 100 को टच करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। बहुत खुशी होती है कि हरियाणा के प्रभारी डा. अनिल जैन हमारे साथी रहे हैं और दिल्ली के प्रोग्राम में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। प्रेमजी गोयल, कुलभूषण आहूजा जी आशीर्वाद देते हैं।

यही नहीं बहुत से कर्मयोगी महानुभाव अपने पिता या पत्नी की याद में अपनी महत्वपूर्ण आहुतियां योगदान के रूप में इसमें डालते हैं जिसमें बहुत सी हस्तियां देवेन्द्र जैन, डा. मुदगल और इस बार करनाल में एकल के अध्यक्ष जो पिछले साल पानीपत और इस साल करनाल में 550 महिलाओं को सहायता और 71 ई-रिक्शा देने के लिए पं. दीनदयाल जी की अन्त्योदय अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए आगे आए हैं। वाकई युग पुरुषों के विचार युग पुरुषों द्वारा ही पूरे होते हैं। मेरे हिसाब से नरेश जैन और उनकी पत्नी अनुभा जैन भी युग पुरुष से कम नहीं, जो अपने स्व. पिता श्री जेठूराम जैन की याद में उनके सम्मान और सेवा को आगे लेकर चल रहे हैं। उनका पूरा परिवार भी उपस्थित रहेगा। मुझे बहुत ही अच्छा लगा जब माननीय मदन दास देवी जी घर पधारे और उन्होंने मुझे और अश्विनी जी को आशीर्वाद दिया और सितम्बर में होने वाले प्रोग्राम में आने का वायदा भी किया। करनाल में होने वाले कार्यक्रम की विवरणिका हमने सबसे पहले उन्हें भेंट किया और उसी समय उन्हें मोदी जी का उनका हालचाल पूछने के लिए फोन आया जो स्पीकर पर था हम सबने सुना और खुशी हुई कि मोदी जी अपने से बड़ों का बहुत ख्याल रखते हैं और ऐसे भी लग रहा था कि इस शुभ अवसर पर हमें भी अप्रत्यक्ष रूप से आशीर्वाद दे रहे हैं। बेरोजगारी मुक्त भारत के सपने को लेकर चौपाल आगे बढ़ रही है तो अश्विनी जी सारी टीम को हरियाणा में आने की प्रार्थना की। पहले उनकी कंस्टीच्वेंसी में फिर बाकी हरियाणा में। अश्विनी जी ने जब ई-रिक्शा का सुना तो उन्होंने हमें बताया कि उनके बचपन से यह दिमाग में चलता था कि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य को जब ढोता है तो उन्हें कभी भी अच्छा नहीं लगता था।

फिर उन्होंने बचपन की अपनी बात भी सुनाई कि वह बचपन में बहुत शरारती थे और अक्सर शरारत करने के बाद उन्हें पहले मां से पिटाई, फिर चाचा जी से फिर पिता जी से, फिर दादा जी से पिटाई खानी पड़ती थी। वो वह वाक्या कभी नहीं भूलते जब उन्हें एक कुत्ते ने काटा तो पहले तो सबने उनकी पिटाई की कि ‘जरूर तूने कुत्ते को छेड़ा होगा फिर उन्हें सभी बिठाकर एक ही रिक्शा में अस्पताल टीके (इंजैक्शन) लगवाने के लिए ले गए क्योंकि इमरजेंसी थी। सब रिक्शा वाले को कह रहे थे तेज चला, तेज चला। तब वह कुत्ते के काटे की पीड़ा और पिटाई की पीड़ा से जूझ रहे थे परन्तु तब भी उन्हें रिक्शा वाले पर तरस आ रहा था। आज जब उन्होंने 51 ई-रिक्शा पानीपत में बांटे और 71 ई-रिक्शा (जो बैटरी से चलेंगे) बांटने जा रहे हैं तो उन्हें अपने बचपन की पीड़ा और उस रिक्शा वाले का पसीना याद आता है (जो उन्हें ग्लानि से भर देता था कि कैसे वह हांफ-हांफ कर सवारियां ढो रहा था)। यही नहीं वो क्रिकेटर रहे हैं। बचपन में जब उन्हें अध्यापक घर में ट्यूशन पढ़ाने आते थे तो वह प्लेग्राउंड में क्रिकेट खेलने भाग जाते थे तो उनकी मां रिक्शा में बैठकर उन्हें ढूंढने आती थी और पकड़ कर रिक्शा में बिठाकर घर ले जाती और रिक्शा वाले को तेज चलाने को कहती थी कि कहीं अध्यापक चला न जाए।

अब भी अश्विनी जी के मन में मां की पीड़ा और रिक्शा वाले का पसीना नहीं भूलता। यही नहीं वह पूरी चौपाल की टीम के आगे नतमस्तक हो जाते हैं और स्पेशियली नरेश जैन जी जैसे महापुरुष के आगे जिनका इसमें योगदान है और साथ ही वो गडकरी जी को भी साधुवाद देते हैं जिन्होंने इस प्रोजैक्ट को चलाया और जब सब ई-रिक्शा बांटे रहे होते हैं तो उनके चेहरे पर एक पिता की तरह खुशी होती है जो अपने भारत के बच्चों को बेरोजगार मुक्त (साथ में अपने बचपन की पीड़ा से मुक्त होते देख रहा हो) होते देख रहा होता है और हमारी सारी चौपाल टीम का तो खुशी का ठिकाना नहीं होता। इस बार तो हरियाणा के मुख्यमंत्री खुद आकर हमारे साथ बांटेंगे और उनका साथ मृदुला प्रधान नीलम रूडी जी देंगी जो मेरी मित्र हैं और हर समय सेवा करने के लिए तैयार रहती हैं।

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