दीप जगमगाते रहें, सबके घर झिलमिलाते रहें। साथ हों सब अपने सब यूं ही मुस्कुराते रहें। यह पंक्तियां मेरे पास आई हमारे ब्रांड एम्बेसडर सरदाना जी द्वारा जो गुडग़ांव ब्रांच के सदस्य हैं। वास्तव में वो एक चहुंमुखी गुणी सदस्य हैं, जिनमें गुण भरे हुए हैं और इस उम्र में खुशियां देते भी हैं, बांटते भी हैं। वो हरमोनियम खुद बजाते हैं और गाते हैं। कोई एक्टिवीटीज हो उसमें हिस्सा भी लेते हैं। पिछले साल मैंने जब उन्हें पूछा कि आप तो एक्टिव हो, हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हो परन्तु आपकी पत्नी क्यों नहीं हिस्सा लेतीं, तो उन्होंने कहा कि वो बहुत शर्मिली है और उन्हें ज्यादा कुछ आता नहीं, तो मैंने उन्हें कहा आप इतने टैलेंटिड हो तो आपका टैलेंट तभी सफल है जब पत्नी साथ हो तो। इस बार मैं हैरान रह गई गुडग़ांव के फंक्शन में उनकी पत्नी ने हर एक्टिविटी में उनका साथ दिया। चाहे डांस, रैम्प वॉक या लघु नाटिका हो। मैंने उन्हें इस बात पर अपनी खुशी जाहिर कि और बधाई दी तो उन्होंने कहा कि मैडम जी आप तो खुश हो, मेरे बच्चे भी बहुत खुश हैं। तब उन्होंने अपने बच्चों की, जो बाहर विदेशों में सैटल हैं कि फोटो सहित उनके मैसेज भेजे। जिन्हें देखकर, पढ़ कर मुझे बहुत खुशी हुई।
यही नहीं हमारे नोएडा के सदस्य रविन्द्र अभ्भी जो हमारे ब्रांड एम्बैसडर हैं, जो शुरू से क्लब से जुड़े हैं। गीत गाने में उनका मुकाबला नहीं, क्या आवाज भगवान ने उन्हें दी है। कभी देशभक्ति के गीत, कभी जोशीले गीत, कभी भांगड़ा गीत, भजन सब में माहिर हैं। वो 80 वर्ष के हो गए हैं। कैंसर जैसी बीमारी से लड़ रहे हैं, परन्तु इस लड़ाई में उनके बच्चे उनके साथ हैं। क्या सेवा कर रहे हैं। यहां तक कि उनको क्लब की एक्टिविटीज में ले आते हैं। बेटा उनको कार में छोडऩे आता है। कभी-कभी कार में बैठकर बाहर इंतजार करता है। उसके अनुसार जब उसके पापा क्लब में आते हैं तो उनकी खुशी से उनकी उम्र बढ़ाती है। अभी सुबह भी मैंने अभ्भी जी को उनका हाल पूछने के लिए फोन किया तो उन्होंने कहा अभी मैं हॉस्पिटल में बेटे के साथ चैकअप के लिए जा रहा हूं और अब मेरी टांगों में कमजोरी है, मैं चल नहीं पाता, तो मेरा बेटा, बहू, पोती, पोता बहुत ख्याल रखते हैं। मेरा बेटा मेरा अक्ष मेरा परिचय है।
वाक्य इस उम्र में अगर बच्चे आपका ख्याल रखें, आपकी खुशी में अपनी खुशी मानें तो आपकी उम्र और खुशियां बढ़ जाती हैं और आजकल अधिकतर मैं अपने सदस्यों से यही सुन रही हूं कि बच्चे उनका ध्यान रखते हैं, सेवा कर रहे हैं। बहुएं भी अच्छी हैं, क्योंकि समय बदल रहा है। विशेषकर वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्यों के लिए क्योंकि सब बच्चों को मालूम है कि मैं अपने सदस्यों का बहुत ख्याल रखती हूं और उनका हालचाल पूछती हूं और उनके लिए लिखती भी हूं। वैसे भी सबके बच्चे पढ़े-लिखे हैं। वो सब जानते हैं कि हिस्ट्री आलवेज रिपीट। आज जमाना बदल रहा है। बीच में कुछ समय आया था कि बच्चे नहीं पूछ रहे। अभी भी कुछ केस मेरे पास आते हैं, परन्तु अधिकतर यही सुनने, समझने में आ रहा है कि बच्चे सेवा करते हैं, पूछते हैं। अपने माता-पिता का आदर करते हैं। हमारी गुजरांवाला शाखा की सदस्य सरोज सेठी जी बड़े गर्व से बताती हैं कि उनके दोनों बेटे-बहुएं उनका बहुत ही ख्याल रखते हैं और उनका बेटा विकेश सेठी बड़े गर्व से कहते है कि मैं अपनी सारी कमाई अपनी मां के हाथ में रखता हूं और मैं उनसे हर हफ्ते पैसे मांग कर खर्च करता हूं। जरा सोचो ऐसी मांओं का कलेजा कितना बड़ा हो जाता होगा। विकेश के अनुसार उनके पिता जी जल्दी स्वर्ग सिधार गए। उसके बाद उन्होंने अपनी मां का ख्याल रखा, यहां तक कि उनकी साड़ी भी सलैक्ट करते हैं कि यह पहनो। मां को वरिष्ठ नागरिक के ट्रिप में बड़ी शान से भेजते हैं, बहुत ही लाड़ लड़ाते हैं। वो कहते हैं घर में से जाने से पहले मां के चरणों को छूकर इजाजत लेकर जाते हैं और घर आकर सबसे पहले मां को मिलते हैं। यहां तक कि पोते-पोतियां भी। विकेश जी कहते हैं मेरी पत्नी बहुत अच्छी और बहुत सेवा करती है, परन्तु फिर भी हंसकर कह देती है कि आप कुछ पैसे अपने पास रख लो, हर समय मां से 2000, 3000 मांगते हो, पर इस मांगने से मुझे आनंद आता है और मां को गर्व महसूस होता है, उसका आनंद ही कुछ और है। भगवान ऐसा बेटा सबको दे। आजकल के जमाने में ऐसे बच्चों पर गर्व है। द्य