सीडीएस : नियमों में बदलाव - Punjab Kesari
Girl in a jacket

सीडीएस : नियमों में बदलाव

चीफ ऑफ डिफैंस स्टाफ (सीडीएस) भारतीय सशस्त्र सेनाओं की स्टाफ कमेटी के प्रमुखों का सैन्य प्रमुख होता है।

चीफ ऑफ डिफैंस स्टाफ (सीडीएस) भारतीय सशस्त्र सेनाओं की स्टाफ कमेटी के प्रमुखों का सैन्य प्रमुख होता है।  यह रक्षा मंत्री के प्रधान कर्मचारी अधिकारी और मुख्य सलाहकार भी है और यह प्रधानमंत्री के सलाहकार भी होते हैं। सीडीएस की नियुक्ति के लिए मानदंड तय है। तीनों सेनाओं थलसेना, वायुुसेना और  नौसेना का कोई भी कमांडिंग अधिकारी यानी सेना प्रमुख चीफ ऑफ डिफैंस स्टाफ के पद के लिए पात्र होता है।
जनरल विपिन रावत काे 31 दिसम्बर 2019 को भारत का  पहला चीफ ऑफ डिफैंस नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1जनवरी, 2020 से 8 दिसम्बर 2021 तक अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक यह पद सम्भाला। तमिलनाडु के सुलूर से वेिलंगटन में डिफैंस सर्विसेज स्टाफ कालेज में व्याख्यान देने जाते वक्त एक अप्रत्याशित हैलीकाप्टर हादसे में उनका अपनी पत्नी और अन्य फौजी  साथियों के साथ निधन हो गया था। सेना की सबसे टॉप पोस्ट 6 माह से खाली पड़ी है। जनरल विपिन रावत सेना प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे और  फिर उन्हें भारत के पहले सीडीएस के पद पर पदोन्नत किया गया था। पिछले कुछ दिनों में इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि  गला सीडीएस कौन होगा?
पहली बार सीडीएस की पोस्ट सृजित करने के बाद जो मानक बनाए गए थे उस पर अधिकारी खरे नहीं उतर रहे थे। सीडीएस पद के लिए  सेना का अच्छा खासा अनुभव, योग्यता और युद्ध कौशल में परिपक्व अधिकारी की जरूरत होती है। सभी बातों पर गहन विचार मंथन के बाद रक्षा मंत्रालय ने चीफ ऑफ डिफैंस पद के लिए बड़ा बदलाव किया। इसके लिए तीनों सेनाओं के सर्विस एक्ट में बदलाव किया गया। अब सरकार उन अधिकारियों पर विचार-विमर्श कर सकती है जो लेफ्टिनेंट जनरल या जनरल या समकक्ष रैंक से सेना  निवृत्त हुए हैं लेकिन नियुक्ति की तारीख को 62 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है। यानी केन्द्र सरकार जब चाहे तब लैफ्टिनेंट जनरल या जनरल रैंक से रिटायर सैन्य अधिकारी को सीडीएस बनाने का फैसला ले सकती है। 62 वर्ष की उम्र सीमा डालने की वजह से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के रिटायर्ड प्रमुख सीडीएस नहीं बन सकते क्योंकि तीनों सेननो के प्रमुखों का रिटायरमैंट 62 वर्ष की उम्र में होता है। जो अधिकारी सेवारत हैं और  62 उम्र की सीमा पार नहीं की है वो सीडीएस बन सकते हैं। नियमों में संशोधन तीनों सेनाओं के दूसरे सबसे बड़े सक्रिय रैंक के अधिकारियों के लिए  दरवाजे खोलता है। यानि अब वे संभवत: अपने वरिष्ठों थलसेना, वायुसेना या नौसेना प्रमुख को पीछे छोड़ते हुए चीफ ऑफ डिफैंस नियुक्त हो सकता है। नए पात्रता मानदंड में एक और बदलाव यह है कि हाल ही में रिटायर्ड सेवा प्रमुख और उपप्रमुख इस पद के लिए पात्र होंगे। इससे भी कइयों को मौका मिलेगा। नए ​नियमों का मतलब यही है कि सभी लैफ्टिनैंट जनरल और नौसेना और वायुसेना में समकक्ष अधिकारी जो 2020 के बाद रिटायर हुए हैं सीडीएस पद के लिए पात्र होंगे।
सेना  प्रमुख जनरल एमएम नरवणे जिन्हें सीडीएस की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था जो अप्रैल में 62 साल के होने पर सेना प्रमुख के रूप में रिटायर हुए थे, उनके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा एडमिरल कर्मवीर सिंह और एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया भी रेस से बाहर हो चुके हैं। केन्द्र सरकार ने योग्य अधिकारियों के दायरे को विस्तृत करने के उदेशय से ही नियमों में बदलाव किया है। 
1999 में कारगिल युद्ध के समय सीडीएस पद की जरूरत महसूस हुई थी जब हमें अपनी ही जमीन पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से युद्ध लड़ना पड़ा था। इसमें पाकिस्तान की जबर्दस्त हार हुई थी लेकिन भारत को भी काफी नुक्सान उठाना पड़ा था। युद्ध खत्म होने के बाद साल 2001 में कारगिल युद्ध की समीक्षा करने के लिए तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण अडवानी की अध्यक्षता में एक मंत्रियों की समिति बनाई गई थी जिसमें चीफ ऑफ डिफैंस स्टाफ पद की सिफारिश की थी। कारगिल युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी देखी गई थी। समिति का यह कहना था कि सीडीएस ऐसा पद होगा जो तीनों सेनाओं के अध्यक्षों से बातचीत कर सके और सेना और सरकार के बीच एक सेतु के रूप में काम कर सके। अब जबकि युद्धों का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है इसलिए चीफ ऑफ स्टाफ की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। सीडीएस न केवल सैनिक मामलों के ​विभाग के प्रमुख होते हैं बल्कि तीनों सैन्य सेवाओं के लिए  प्रशासनिक कार्य भी देखते हैं। साथ ही देश के सभी सुरक्षा संगठनों और साइबर कार्यों की कमान सीडीएस के हाथ में होती है। स्वर्गीय जनरल विपिन रावत जिस तरह से तीनों सेनाओं में तालमेल बनाए हुए थे और  वह सेना और सरकार के बीच एक पुल का काम कर रहे थे। नए सीडीएस को भी उसी तरह काम करना होगा और नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना को तैयार करना होगा। पात्रता मानदंड में इस बदलाव  से सेवानिवृत्त सेवा प्रमुख और उपप्रमुख भी पद के लिए पात्र होंगे, इससे कइयों को मौका मिलेगा। 
आदित्य नारायण चोपड़ा 
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।