खुशियां छीनता 'ब्लू व्हेल' - Punjab Kesari
Girl in a jacket

खुशियां छीनता ‘ब्लू व्हेल’

NULL

ऑनलाइन गेम ‘ब्लू व्हेल’ मासूमों और युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। रोजाना किसी न किसी शहर से ‘ब्लू व्हेल’ के कारण आत्महत्याओं की खबरें आ रही हैं। इस खूनी खेल पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बन्ध में केन्द्र को नोटिस जारी किया है। ब्लू व्हेल चैलेंज में यूजर्स को सोशल मीडिया के जरिये 50 दिन में कुछ चैलेंज दिए जाते हैं जिसमें अन्तिम टास्क में यूजर्स को सुसाइड जैसे चैलेंज भी दिए जाते हैं। यह जानते हुए भी कि यह खेल जानलेवा है फिर भी स्कूली छात्रों से लेकर कालेज छात्र-छात्राएं इस गेम में फंसकर अपनी जान गंवा रहे हैं।

स्मार्ट फोनों में बचपन गुम होता जा रहा है। स्मार्ट फोन जीवन को आसान बनाने के लिए हंै लेकिन इनकी लत लगना काफी खतरनाक होता जा रहा है। लोगों का मिलना, खाना पकाना और एक साथ भोजन करना, व्यायाम करना या फिर घूमना-फिरना, ये आदतें इन्सान को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखती हैं लेकिन स्मार्ट फोन और ऑनलाइन गेमों की लत लग जाए तो इन्सान यह सब करने की बजाय कीड़े की तरह फोन में घुसा रहता है। स्मार्ट फोन और ऑनलाइन गेमें और सोशल मीडिया की दुनिया अवसाद का कारण भी बन रही हैं। स्मार्ट फोन पर ज्यादा समय बिताने वालों पर मानसिक अवसाद का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। क्या ब्लू व्हेल गेम का शिकार बच्चे अवसाद के चलते आत्महत्याएं कर रहे हैं या फिर महज रोमांच के कारण ऐसा हो रहा है? अगर यह पूरी तरह अवसाद के कारण है तो फिर समाज-परिवारों को गहन विश्लेषण करना होगा कि आखिर अवसाद की बीमारी क्यों फैलती जा रही है।

अजीबो-गरीब मामले सामने आ रहे हैं। शिमला के मासूम अमित की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि कहीं ब्लू व्हेल की पहेली को नहीं सुलझा पाने पर उसने अपनी जान तो नहीं दे दी। अमित के लिखे सुसाइड नोट में दो पहेलियां दी गई हैं, जिनमें से एक को सुलझाने से संभवत: वह चूक गया था। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पहेलियां अमित के पास कैसे पहुंचीं? आखिर वह कौन सी वजह है कि पहेलियां नहीं सुलझाने पर मासूम खुद को मौत की सजा देने के लिए मजबूर हो गया? सुलझाने में नाकाम होने पर खुद को मार लेने के आदेश क्या गेम के संचालक के हैं? जिन तक पहुंचना पुलिस के लिए चुनौती है। सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि ”मम्मी मुझे देखना है तो स्टोर रूम जाना पर उससे पहले यह सुनो- मुझे कोई प्यार नहीं करता।” इस पंक्ति से जाहिर है कि वह पहले ही अवसाद का शिकार हो चुका था। ब्लू व्हेल के कारण छात्राएं घर से भाग रही हैं। आगरा की दो छात्राएं तो लौट आईं परन्तु अभी कई बच्चे इस गेम के जाल में फंसे हुए हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस ने हाल ही में नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा के 30 स्कूली बच्चों को जानलेवा ब्लू व्हेल गेम की जकड़ से छुड़ाया है।

स्कूली छात्रों ने धारदार चीजों से अपनी बाजू पर व्हेल की शेप के डिजाइन बनवाए थे। प्राचार्य की शिकायत पर पुलिस ने जांच-पड़ताल की तो पता चला कि छात्र ब्लू व्हेल का स्थानीय वर्जन खेल रहे हैं। बच्चों का कहना था कि इससे उनकी निजी मुश्किलें हल हो सकती हैं। फिलहाल बच्चों को काउंसलिंग के लिए भेज दिया गया है। दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्र में जहां मोबाइल नेटवर्क बड़ी मुश्किल से मिलता है, उस क्षेत्र में ब्लू व्हेल का लिंक किसने भेजा, यानी एडमिन कौन है। बालोद क्षेत्र में जिन बच्चों के मोबाइल फोन लेकर जांच की गई तो पता चला कि ब्लू व्हेल गेम का लिंक ही गायब है। ब्लू व्हेल गेम एक ऐसे शख्स का आविष्कार है जो कुछ लोगों को दुनिया में एक बोझ मानता है और चाहता है कि ऐसे लोग मर जाएं। यह एक किस्म का मानसिक पागलपन है। अब यह गेम शहरी क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपना असर दिखाने लगा है। दुनियाभर में अब तक इस गेम में लगभग 150 जानें जा चुकी हैं।

समाज में एकल परिवारों की बढ़ती तादाद भी इसकी एक बड़ी वजह है। कामकाजी दम्पति अपनी कमी पाटने के लिए कम उम्र के बच्चों के हाथों में स्मार्ट फोन पकड़वा देते हैं। यह देखने की फुर्सत किसे है कि बच्चा इंटरनेट पर क्या कर रहा है। इस गेम में ज्यादातर 8 से 14 वर्ष के बच्चे फंस रहे हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं। बच्चा अकेला गुमसुम रहता है या अचानक खुद को कमरे में बन्द कर लेता है तो उसके साथ बैठकर समय बिताएं। बच्चों को स्नेह दें, बच्चों के दोस्त बनें, उनकी जिन्दगी का हिस्सा बनें। उनके मन की बात जानें। अगले वर्ष तक भारत में 14-15 करोड़ बच्चे इंटरनेट पर सक्रिय हो जाएंगे तो ऐसे खतरनाक खेल विध्वंसक रूप ले सकते हैं। माता-पिता बच्चों के लिए समय निकालें तो बच्चों को इससे बचाया जा सकता है। फिलहाल तो परिवारों की खुशियां छीन रहा है ब्लू व्हेल।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × two =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।