खून बहाती बंदूक की संस्कृति - Punjab Kesari
Girl in a jacket

खून बहाती बंदूक की संस्कृति

अमेरिका एक बहुत शक्तिशाली देश है। विश्व के मानचित्र पर अमेरिका एक ऐसा देश है जो दुनियाभर के

अमेरिका एक बहुत शक्तिशाली देश है। विश्व के मानचित्र पर अमेरिका एक ऐसा देश है जो दुनियाभर के देशों के भाग्य का फैसला करता है। यह फैसले भी वाशिंगटन और न्यूयार्क में होते रहे हैं। उसके एक इशारे पर दुनिया में शक्ति का संतुलन बिगड़ता भी है और बनता भी है। सामरिक दृष्टि से देखा जाए तो वह क्षण भर में दुनिया के हिस्सों में कहीं भी कहर ढा सकता है। उसने एक के बाद एक कई देशों में विध्वंस का खेल खेला है लेकिन मुझे लगता है कि वह विजयी होकर भी भयभीत है। 
अमेरिका पूरी दुनिया में परमाणु हथियारों की दौड़ और बंदूकों के आतंक को समाप्त करने की बात करता है, लेकिन खुद आइने में झांक कर नहीं देखता। आज अमेरिका गन कल्चर यानी बंदूक की संस्कृति, इस्लामोफोबिया और रंगभेद का बुरी तरह शिकार हो चुका है। लचर कानून और सामर्थ्यवान लोगों के चलते यहां बंदूक की संस्कृति जमकर फलीफूली। अब यही गत संस्कृति अमेरिका को लहूलुहान कर रही है। अमेरिका में गोलीबारी में लोगों के मरने की खबरें आना आम बात है। अमेरिका के जर्सी शहर के ग्रीन विले इलाके में हुई गोलीबारी में पुलिस अधिकारी समेत 6 लोग मारे गए। मारे गए पुलिस अधिकारी जोसेफ जील्स थे। उसने सड़कों से बंदूकों का सफाया करने में अहम भूमिका निभाई थी। 
इससे पहले एक दिसम्बर को ऑरलियंस के एक टूरिस्ट हब में गोलीबारी की घटना में 11 लोग मारे गए थे। इसी वर्ष अगस्त के महीने में ओहायो में गोलीबारी में हमलावर समेत 9 लोग मारे गए थे।अमेरिका में दिल दहलाने वाली वारदातें भी हुई हैं। लासबेगास शहर में म्यूनिक कंसर्ट में आए संगीत प्रेमियों पर फायरिंग की घटना में 59 लोग मारे गए थे तथा 550 लोग घायल हुए थे। कभी कोई सरफिरा फायरिंग कर देता है। स्कूलों में कई बच्चे मारे जा चुके हैं। अमेरिका में सभी को बंदूक रखने की अनुमति है। लोगों को इसके लिए  रजिस्ट्रेशन भी नहीं करानी पड़ती। सरकार ने न तो हथियार रखने पर प्रतिबंध लगाया है और न ही उनकी कोई सीमा तय की है। 
अमेरिका में हथियारों पर प्रतिबंध लगाने या कठोर कानून लाने की मांग उठती रही है लेकिन हथियार लाॅबी के काफी मजबूत होने के कारण इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। सच तो यह है कि अधिकतर अमेरिकी बंदूक रखना अपनी शान समझते हैं और उन्होंने इसे जीवनशैली का हिस्सा बना लिया है। 1776 की अमेरिकी क्रांति के दौर में जब अमेरिका ने ब्रिटेन के खिलाफ मोर्चा खोला तब से अमेरिकियों को बंदूकों से लगाव हो गया। अपनी सुरक्षा के नाम पर अमेरिकी दनादन बंदूकें खरीदते हैं। अमेरिका में गन संस्कृति को बढ़ावा देने में नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) को जिम्मेदार माना जाता है। 
एनआरए बंदूकों के पक्ष में हैं और यह जमीनी स्तर पर काफी प्रभावशाली है। यह एसोसिएशन अमेरिका में मतदान को प्रभावित करती है। अमेरिका में रंगभेद नस्लभेद कोई नई बात नहीं। अनेक भारतीय मूल के सिख नस्ली हिंसा का शिकार हो चुके हैं। भारतीय अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को अपमानित होना पड़ा है।दरअसल गन कल्चर एक सांस्कृतिक संकट है। अंधाधुंध गोलीबारी के लिए सिर्फ बंदूकों की आसान उपलब्धता को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। वहां जिस तरह का कल्चर रहा है, परिवारों में संबंध न्यूनतम हो चुके हैं, बच्चे कम उम्र में ही स्वतंत्र रहने व अपने निर्णय खुद लेने लगते हैं, उससे आत्मकेन्द्रित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा सामाजिक विषमाताएं एवं अमीरी-गरीबी की खाई, बेरोजगारी के चलते गन संस्कृति को बढ़ावा मिल  रहा है। 
गोलीबारी की घटनाएं अमेरिका के लोगों के लिए  चिंता की बात है। लोगों को सोचना होगा कि कहीं वह बंदूक की संस्कृति के गुलाम तो नहीं होते जा रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या अमेरिका का समाज असहिष्णु होता जा रहा है, क्या अमेरिका के लोगों में दूसरों के प्रति घृणा बढ़ रही है। अमेरिका सरकार ने यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो बंदूक की संस्कृति लगातार खून बहाती रहेगी।भारत में अवैध हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए शस्त्र कानून में संशोधन किया गया है। अब हर गोली पर सीरियल नम्बर होगा। यानी कहीं भी गोली चलने पर पता चल जाएगा कि गोली ​िकसकी बंदूक से चली है।
अब एक लाइसेंस पर दो हथियार ही रखे जा सकते हैं। अवैध हथियारों  के ​निर्माण पर उम्रकैद की सजा दी जाएगी। हर्ष फायरिंग पर भी कठोर सजा दी जाएगी। समाज में हथियारों पर प्रतिबंध तो होना ही चाहिए। अगर समाज में हर किसी के पास हथियार होें तो ​फिर उनका इस्तेमाल कहीं न कहीं जरूर होगा। अमेरिका सत्य को पहचाने और अमेरिका को शांति स्थापित करने के लिए अपने भीतर ही जंग लड़नी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

6 + 18 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।