पश्चिम बंगाल से बांग्ला : जंग जारी है - Punjab Kesari
Girl in a jacket

पश्चिम बंगाल से बांग्ला : जंग जारी है

पश्चिम बंगाल इन दिनों सियासत का केन्द्रबिन्दु बना हुआ है। राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही।

पश्चिम बंगाल इन दिनों सियासत का केन्द्रबिन्दु बना हुआ है। राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। कटमनी को लेकर बहुत बवाल मचा हुआ है। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के शव पेड़ से लटकते मिल रहे हैं। जय श्रीराम के उद्घोष को लेकर टकराव हो जाता है। इस सबके बीच तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेन्दु शेखर राय ने राज्यसभा महासचिव को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की मांग कर दी है। उन्होंने बंगाल के लोगों की वास्तविक पहचान को बहाल करने के लिए राज्य का नाम बांग्ला करने की मांग की है। 
वैसे तो लोग कहते हैं-भाई नाम में क्या रखा है लेकिन सुखेन्दु शेखर राय की मांग में बहुत कुछ महत्वपूर्ण है। 1947 में बंगाल का विभाजन हुआ। रेड क्लिफ आयोग ने धर्म के आधार पर बंटवारा किया और बंगाल के पूर्वी जिलों को मिलाकर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया तो बाद में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र देश बन गया जबकि अन्य क्षेत्रों को पश्चिम बंगाल का नाम दे दिया गया जबकि पश्चिम से उसका कोई सम्बन्ध ही नहीं। उनका कहना है कि बांग्ला शब्द सम्भवतः द्रविड़ कबीले बंगा से बना है जो क्षेत्र में एक हजार बीसीई से रहते आए हैं। भौगोलिक दृष्टि से भी पश्चिम बंगाल का पश्चिम से कोई लेना-देना ही नहीं।
वर्तमान दौर में शहरों के नाम बदले जाते रहे हैं। इनका सम्बन्ध वहां के निवासियों की भावनाओं का सम्मान करने, वहां के इतिहास की पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने से ही है। 1967 में जब तमिलनाडु में द्रमुक सत्ता में आई थी तो उसने मद्रास का नाम तमिलनाडु कर दिया था। फिर उड़ीसा का नाम ओडिशा रखा गया। जब उत्तराखंड को अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चला तो वह उत्तरांचल आंदोलन के नाम से चर्चित हुआ। बाद में राज्य का नाम उत्तराखंड रखा गया। इसी तरह कई शहरों के नाम बदले गए। नाम बदलने को सियासत से भी जोड़कर देखा जाता है। पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल विधानसभा ने एक विधेयक पारित कर पश्चिम शब्द को हटाने का फैसला किया था। 
पश्चिम शब्द को हटाना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बड़ा कदम माना जा रहा था। राज्य के लोगों ने भी कई बार सवाल उठाया था कि जब अब पूर्वी बंगाल है ही नहीं तो पश्चिम शब्द का उपयोग उचित नहीं है। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने विधेयक पारित कर नाम बदलने की केन्द्र से मंजूरी मांगी थी लेकिन केन्द्र ने अब तक इसकी मंजूरी नहीं दी है। 2016 में भी राज्य ने तीन नाम केन्द्र को भेजे थे। अंग्रेजी में बंगाल, बंगाली भाषा में बांग्ला आैर ​हिन्दी में बंगाल लेकिन केन्द्र  सिर्फ एक नाम की सिफारिश चाहता था।
2011 में भी केन्द्र सरकार ने ममता बनर्जी सरकार के पश्चिम बंगाल का नाम पश्चिम बंगो करने के प्रस्ताव काे ठुकरा दिया था। किसी भी राज्य के नामकरण की प्रक्रिया के तहत जब गृह मंत्रालय के पास प्रस्ताव आता है तो यह संविधान की अनुसूची एक में संशोधन के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल के लिए एक नोट तैयार करता है। उसके बाद राष्ट्रपति को इसकी सहमति देने से पहले इस संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पेश किया जाता है और बहुमत से इसकी स्वीकृति ली जाती है। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने ‘बांग्ला’ पर मोहर लगाई थी तो यह भी कहा जा रहा था कि इसके पीछे ममता दीदी का उद्देश्य आगे बढ़ना है। 
कम से कम राज्यों के वर्णानुक्रम में पश्चिम बंगाल का नाम सूची में आखिर में दिखाई देता है, वह अब दूसरे नम्बर पर दिखाई देगा। अनेक बुद्धिजीवियों का मानना है कि पश्चिम बंगाल को विभाजन के संदर्भ में देखा जाता है। यह प्रवासन की दर्दनाक यादाश्त को फिर से उत्तेजित करता है। राज्य के निवासी अपने बचपन से ही इस भूमि को बांग्ला के रूप में जानते हैं। विभाजन के बाद इसे पश्चिम बंगाल का नाम देना पूरी तरह से अनौपचारिक था।
स्पष्ट रूप से राज्य का नाम पश्चिम बंगाल से बांग्ला करना बंगाली बोलने वाले लोगों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है। यह बात अलग है कि शेक्सपीयर से लेकर अनेक भारतीय कवियों  तक नामाें को लेकर कोई वैचारिक तब्दीली नहीं आई है। शेक्सपीयर कहते हैं नाम कोई भी रहे, गुलाब खुशबू ही देगा जबकि मुनव्वर राणा कहते हैंः-

दूध की नहर मुझसे नहीं निकलने वाली,
नाम चाहे मेरा फरहाद भी रखा जाए।
गृह विभाग ने राज्य सरकार का नाम बदलने का प्रस्ताव विदेश मंत्रालय को भेजा था क्योंकि इसका नाम बांग्ला पड़ोसी देश बांग्लादेश से मिलता-जुलता है। केन्द्र ने ममता सरकार को सलाह-मशविरा करने की सलाह दी थी ताकि बाद में किसी को कोई आपत्ति न हो। फिलहाल नाम बदलने की मांग फिर उठी है यानी बंग-जंग जारी है। नाम परिवर्तन से अगर राजनीतिक हिंसा, भ्रष्टाचार, तृष्टीकरण खत्म होता है तो परिवर्तन हो जाना चाहिए लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसा होगा?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × four =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।