ब्रेग्जिट पर घमासान - Punjab Kesari
Girl in a jacket

ब्रेग्जिट पर घमासान

ब्रेग्जिट को लेकर ब्रिटेन की सियासत में घमासान मच गया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के हाथ

ब्रेग्जिट को लेकर ब्रिटेन की सियासत में घमासान मच गया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के हाथ बंधे हुए हैं फिर भी वह ब्रेग्जिट के लिए अड़े हुए हैं। ब्रिटिश सांसदों ने ब्रेग्जिट डील में देरी के लिए वोट डाला है और मजबूरीवश जॉनसन को ब्रेग्जिट डील के लिए यूरोपीय यूनियन को और समय की मांग करने वाला पत्र लिखना पड़ा। पहले पत्र पर तो उन्होंने हस्ताक्षर भी नहीं किये थे लेकिन दूसरे पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर कर दिये। 
संसद में उनका प्रस्ताव पारित नहीं होने के चलते यूरोपीय यूनियन को पत्र लिखकर और समय की मांग करना उनकी विवशता है। दूसरी ओर ब्रिटेन के मंत्री माइकल गोव ने कहा है कि यूरोपीय यूनियन काे पत्र लिखने के बावजूद ब्रिटेन 31 अक्तूबर को यूरोपीय यूनियन से बाहर हो जाएगा। एक अन्य मंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री जॉनसन  पूरी तरह से दृढ़ संकल्पित हैं और सरकार की निर्धारित नीति उसे समय पर पूरा करने की है। ब्रेग्जिट की समय सीमा टलवाने के लिए उनकी सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी में उन्हें विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। 
विपक्ष के सांसद चाहते हैं कि ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से बाहर होने से पहले एक ठोस समझौता करे जिसके लिए पर्याप्त समय चाहिए, इसलिए उन्होंने समय सीमा बढ़ाने के लिए मतदान किया। प्रधानमंत्री जॉनसन कह रहे हैं कि समय सीमा में देरी की बजाय वह ‘एक खाई में मरना’ पसंद करेंगे। अब सवाल यह है कि अब उनके पास विकल्प क्या है। जॉनसन इस माह के मध्य में चुनाव कराना चाहते थे लेकिन इसके लिए उन्होंने संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत थी, जो उन्हें नहीं मिला।

उन्होंने संसद को 5 सप्ताह के लिए निलंबित भी कर दिया था लेकिन अदालत ने ब्रिटिश संसद को  निलंबित रखने के फैसले को भी गैर-कानूनी करार दे दिया था। फिलहाल ब्रिटेन में इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में समझौते की कोई उम्मीद नहीं। यूरोपीय संघ मुख्यत: यूरोप में ​स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें  आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है, जो संघ के सभी राष्ट्रों पर लागू होती है। जब ब्रिटेन ने यूरोपीय यूनियन में शामिल होने का फैसला लिया था तब भी अंग्रेज इसके खिलाफ थे। 
नार्दन आइसलैंड, स्काटलैंड के काफी लोग ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से जुड़ने के खिलाफ थे। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून यूरोपीय यूनियन से जुड़े रहना चाहते थे लेकिन बोरिस जॉनसन इसके पूरी तरह खिलाफ थे। जब ब्रिटेन की प्रगति रुकी, मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग सुस्त पड़ा तो लोगों को घुटन महसूस हुई। ब्रिटेन के लोगों को लगने लगा कि यूरोपीय यूनियन की राजधानी ब्रसेल्स ही ब्रिटेन के अंदरूनी मामलों के सभी फैसले ले रहा है तो यह सोच पैदा हुई कि ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाना चाहिए। 
हजारों साल से ब्रिटेन की विदेश नीति यही रही थी कि यूरोप में जो राजा थे, वे एकत्रित नहीं होने पायें क्योंकि उन्हें डर ​था कि यदि कभी  ये इकट्ठे हो गए तो सब मिलकर उन पर हमला कर देंगे। ब्रिटेन की कोशिश यही रहती थी कि कम से कम दो गुट हर समय यूरोप में मौजूद रहें। 1950 के दशक में यूरोप के एकीकरण का प्रस्ताव आया तो कई देश इससे धड़ाधड़ जुड़ने लगे। ब्रिटेन भी इससे जुड़ा लेकिन यह उसके व्यवहार और स्वभाव के विपरीत था। इसके बाद पूरा मसला आर्थिक कारणों से जुड़ गया। यूरोपीय यूनियन हर छोटी से छोटी बात का फैसला लेने लगा। 
आपको कौन सी डिजाइन की गाड़ी इस्तेमाल करनी है, आपके लिए क्या पर्यावरण नियम है, आपको किन-किन वस्तुओं का उत्पादन करना चाहिए। ब्रिटेन जो वर्षों से लोगों पर राज करता आया था, उसे दबाव में रहना स्वीकार नहीं था। ब्रिटेन में आव्रजकों की संख्या बढ़ती गई, स्थानीय लोगों को अपनी नौकरी की चिंता सताने लगी। लोगों के रहने-खाने के ढंग पर भी दुष्प्रभाव देखा गया। ब्रिटेन के लोग महसूस करते थे कि यूरोपीय यूनियन के देश जितना उससे फायदा उठा रहे हैं, उतना फायदा ब्रिटेन को नहीं मिल रहा। ब्रिटेन के लोग चाहते थे कि यूरोपीय संघ पूर्वी देशों सीरिया और तुर्की के शरणाथियों का ब्रिटेन आना रोक दे परंतु ऐसा होना यूरोपीय संघ की नीतियों के कारण कठिन प्रतीत हो रहा था। 
यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलना ब्रिटेन का अंदरूनी मामला है लेकिन इसका प्रभाव विश्व और भारत पर जरूर पड़ेगा। हाल ही में ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन ने ब्रेग्जिट पर नई डील होने के संकेत दिये थे, इस पर दुनिया ने राहत की सांस ली थी, लेकिन ब्रेग्जिट मसले पर ब्रिटेन इतना उलझ गया है कि कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। देखना होगा कि दो-दो प्रधानमंत्रियों की बलि ले चुका ब्रेग्जिट क्या रंग दिखाता है। यह भी देखना होगा कि राजनीतिक फायदा उठाने के ​लिए प्रधानमंत्री जॉनसन किस हद तक जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 − 13 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।