अमेरिका का शक्तिशाली लोकतंत्र - Punjab Kesari
Girl in a jacket

अमेरिका का शक्तिशाली लोकतंत्र

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आवास पर अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने 13 घंटे तक छापेमारी कर

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आवास पर अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने 13 घंटे तक छापेमारी कर 6 और खुफिया फाइलें जब्त की हैं। इनमें से कुछ फाइलें तो उस समय की हैं जब बाइडेन सीनेटर हुआ करते थे। कुछ फाइलें तब की हैं जब वो उपराष्ट्रपति थे। पिछले वर्ष नवम्बर के महीने में जो बाइडेन के निजी घर और निजी दफ्तर से 20 खुफिया फाइलों के सैट मिले थे जो उनके पुराने कार्यकाल से जुड़े थे। राष्ट्रपति के घर पर छापेमारी इस बात का प्रमाण है कि अमेरिका में लोकतंत्र कितना ताकतवर है। ऐसा नहीं है​ कि अमेरिकी लोकतंत्र दागदार नहीं हुआ है। लेकिन अमेरिका में लोकतांत्रिक प्रतिष्ठान और अन्य संस्थाएं इतनी मजबूत हैं कि वह राष्ट्रपति पर भी हाथ डालने से परहेज नहीं करते। अमेरिका में कार्यकाल खत्म होने के बाद इस तरह के गोपनीय दस्तावेजों को अपने पास रखना गैरकानूनी माना जाता है।
खुफिया फाइलें गैरकानूनी तरीके से अपने पास रखने के आरोप में विपक्ष बाइडेन पर हमलावर है और इससे बाइडेन की परेशानी बढ़ सकती है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के फ्लोरिडा वाले घर से 100 खुफिया फाइल और  11000 सामान्य दस्तावेज जब्त किए गए थे। जब्त खुफिया फाइलों में वह फाइल भी शामिल थी जिन्हें सबसे ज्यादा संवेदनशील स्तर के तहत रखा गया था। एफबीआई ने यह कार्रवाई अमेरिका के न्याय विभाग के आदेश पर की थी। ट्रम्प अभी भी 6 जांचों का सामना कर रहे हैं। जिनमें खुफिया फाइलों की जांच, कैपिटल दंगा मामले में अमेरिकी न्याय विभाग के नेतृत्व वाली आपराधिक जांच, जार्जिया के चुनाव नतीजों की जांच, सलेक्ट कमेटी की जांच और न्यूयार्क एवं वेस्ट चेस्टर गोल्फ क्लब में उनकी व्यावसायिक कार्य प्रणाली के खिलाफ आपराधिक और  नागरिक छानबीन शामिल है। डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी लोकतंत्र को कई बार तार-तार किया और  विधायिका और कार्यपालिका के बीच लड़ाई भी हुई लेकिन अमेरिकी संस्थाओं ने लोकतंत्र को बचा लिया। अमेरिका के संविधान में कार्यकारी विशेषाधिकारों की धारा पर बहस होती रही है और पूर्व राष्ट्रपति के विशेषाधिकारों को लेकर भी चर्चा होती रही है।
ऐतिहासिक उदाहरण निक्सन बनाम सामान्य सेवाओं के प्रशासक का मामला है जिसमें अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने दस्तावेजों को राष्ट्रीय अभिलेखाकार से साझा करने से रोकने की राष्ट्रपति निक्सन की कोशिशों को खारिज कर दिया था। बाइडेन के घर से मिली खुफिया फाइलों के साथ कुछ नोट्स भी मिले हैं। राष्ट्रपति बाइडेन का कहना है कि इन फाइलों में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिलेगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि इन फाइलों में यूक्रेन, ईरान और  ब्रिटेन से जुड़ी कुछ खुफिया जानकारियां हो सकती हैं। एक खबरिया चैनल ने तो यह भी दावा किया है कि इन फाइलों में 2015 में बाइडेन के बेटे की मौत की जानकारियां भी शामिल हैं। अमेरिकी सरकार में रोजमर्रा के कामों के लिए वहां की नौकरशाही जिम्मेदार है। सिर्फ एक्सक्यूटिव ब्रांच में 5000 से ज्यादा अधिकारी काम करते हैं जो रोजमर्रा के काम के साथ-साथ जब सरकारें बदलती हैं तो सत्ता से जाने वाले नेताओं से दस्तावेज लेकर उन्हें संबंधित विभाग के संग्रह में रखते हैं। अब यह जांच का विषय है कि इन फाइलों को आखिरी बार किसने हैंडल किया था। क्योंकि अमेरिका के क्रिमिनल कोड मेें खुफिया फाइलों को अपने पास रखना अपराध समझा जाता है लेकिन बाइडेन के घर से मिली फाइलों के मामले में सजा पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि जांच एजैंसियों को यह साबित करना होगा कि आरोपी ने यह फाइलें जानबूझ कर अपने पास रखी थी।
जांच पूरी होने के बाद ही बाइडेन के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है लेकिन जस्टिस डिपार्टमेंट स्टैंडिंग पॉलिसी के तहत उन पर आपराधिक केस दर्ज करने पर रोक भी लगाई जा सकती है। बाइडेन के लिए यह मामला राजनीतिक ज्यादा है। अमेरिका में 1804 में चुनावों की शुरुआत हुई। इसलिए  अमेरिका को विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र माना जाता है जबकि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है। समय के साथ-साथ अमेरिका के लोकतंत्र में भी कई तरह की विकृतियां देखी गईं। 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल्स पर हुई हिंसा ने अमेरिका को शर्मसार किया था जब डोनाल्ड ट्रम्प के स​मर्थक अराजक और हिंसक भीड़ में तब्दील हो गए थे। ट्रम्प ने राष्ट्रपति चुनाव के जनादेश को झुठलाने और जबरन पलटने की हर संभव कोशिश की लेकिन अमेरिका की स्वतंत्र न्याय​पालिका, मीडिया, विधायिका और प्रशासनतंत्र ने वही किया जो लोकतंत्र, न्याय और  संविधान सम्मत था। अमेरिकी संस्थाओं ने लोकतंत्र को बनाए रखा। इससे उन देशों को सोचने की जरूरत है कि उनके देशों में लोकतांत्रिक संस्थाएं कितनी मजबूत हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।