आतंकी पन्नू का हमदर्द अमेरिका - Punjab Kesari
Girl in a jacket

आतंकी पन्नू का हमदर्द अमेरिका

अमेरिका दुनिया का शक्तिशाली देश है। उसके इशारे पर पलभर में समीकरण बनते और बिगड़ते हैं। एक खास बात यह है कि अमेरिकी खुद को सबसे सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। हालांकि अति आत्मविश्वास या घमंड के चलते उन्हें बहुत नुक्सान भी उठाना पड़ रहा है। विडम्बना यह है कि आतंकवाद चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन अमेरिका अपनी सहूलियत के हिसाब से लेता है। क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप भी सुविधा के हिसाब से नहीं हो सकता। इस मामले में भारत ने हमेशा ही अमेरिका सहित कई देशों को आइना दिखाया। आतंकवाद पर अमेरिका ने हमेशा दोहरा रवैया अपनाया। खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कोशिश में न्यूयार्क के दक्षिणी जिले की अमेरिकी जिला कोर्ट ने भारत के राष्ट्रीय सलाहकार अजित डोभाल, पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल को सम्मन भेजा है। इस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। अमेरिकी कोर्ट ने आरोपी दो व्यक्तियों निखिल गुप्ता और विक्रम यादव को भी सम्मन भेजा है। पन्नू हत्या की साजिश के मामले में अमेरिका पहले भी भारत पर कई अनर्गल आरोप लगा चुका है।
क्या अमेरिका आतंकवादी पन्नू का इतिहास नहीं जानता? क्या अमेरिका नहीं जानता कि सिख फॉर जस्टिस संगठन एक गैर कानूनी संगठन है, जिस पर भारत ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। पन्नू भारत की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के मकसद से राष्ट्र विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहता है और भारत के विरुद्ध जहर उगलता रहता है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की तो खालिस्तानियों का समर्थन करने के पीछे सत्ता की मजबूरियां साफ दिखाई देती हैं लेकिन अमेरिका का आतंकवादी पन्नू का हमदर्द हो जाना हैरानी भरा है। अमेरिका भारत को अपना रणनीतिक सहयोगी मानता है लेकिन इसके बावजूद वह भारत पर दबाव बनाने के लिए ऐसी हरकतें करता रहता है। होे सकता है कि अमेरिका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा से पहले भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए कोई चाल चल रहा हो। भारत पहले ही पन्नू की हत्या की साजिश के आरोपों का खंडन कर चुका है, पर सवाल यह उठता है कि जो शख्स भारत के खिलाफ लगातार आग उगल रहा हो, भारत में हुई कई आतंकी कार्रवाई में शामिल रहा हो, भारत के विमान को बम से उड़ाने की धमकी दे रहा हो, भारत में हो रहे क्रिकेट विश्व कप के दौरान बम धमाके की बात कर रहा हो, क्या भारत सरकार को उसकी आरती उतारनी चाहिए? अमेरिका क्यों नहीं समझ रहा है कि हो सकता है कि गुरपतवंत पन्नू भी पाकिस्तानी अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली की तरह अमेरिका में बैठकर खतरनाक आतंकी हमले की प्लानिंग कर रहा हो? क्या जिस तरह अमेरिका डेविड कोलमैन हेडली के मुंबई हमलों को अंजाम देने के बाद हरकत में आया था वैसा ही गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ भी करेगा? क्या केवल अमेरिका को ही अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए किसी भी देश में एक्शन लेने का अधिकार है?
भारत यह कभी भूल नहीं सकता कि जब भारतीय अधिकारी हेडली से पूछताछ करने अमेरिका गए थे तब उन्हें हेडली से मिलने भी नहीं दिया गया था। क्या अमेरिका और कनाडा किसी आतंकवादी की अपने घर में आरती उतारते रहे हैं, इसकी कोई नजीर है? 9/11 के दोषी ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने किस हैसियत से पाकिस्तान में घुसकर मारा था? क्या पाकिस्तान में ओसामा को मारने के लिए अमेरिकी एजेंसियों ने पाक सरकार से परमिशन ली थी? अगर एक आतंकवादी को ठिकाने लगाने के लिए एक देश को दूसरे देश से परमिशन लेनी पड़ेगी तो आतंकवाद से किस तरह लड़ाई लड़ी जा सकेगी?
अमेरिका को आतंकवाद की पीड़ा का अहसास तब हुआ जब उस पर 9/11 का हमला हुआ। अमेरिका कई बार भारत और पाकिस्तान को एक तराजू में तोलता है और कई बार ऐसा लगता है कि उसे भारत के हितों की चिंता नहीं है। अतीत में जाएं तो कश्मीर ​​​निशस्त्रीकरण, जापान, कोरिया, चीन इत्यादि मसलों पर भी अमेरिका का रवैया भारत के दृष्टिकोण के विपरीत रहा है। अब जबकि भारत और अमेरिका के संबंध मित्र देशों जैसे हैं। इसके बावजूद आतंकवाद के मसले पर उसका डबल गेम सवाल तो खड़े करता ही है। पिछले वर्ष भी उसके डबल गेम पर भारत ने कड़ा प्रोटैस्ट जताया था, जब पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत डेविड ब्लोम ने गोपनीय तरीके से पाक अधिकृत कश्मीर का दौरा किया था। अमेरिका को यह समझ लेना चाहिए कि पन्नू के पास भले ही अमेरिका की नागरिकता हो लेकिन वह भारत में डेढ़ दर्जन से अधिक आतंकी मामलों में शामिल है।
मित्र होने के नाते ऐसा नहीं है कि भारत अमेरिकी एजैंडे पर चलने लगेगा। भारत अपने फैसले स्वयं लेता है। हिन्द महासागर में अमेरिका और भारत सहयोग एक-दूसरे की जरूरतों पर आधारित है। भारत अब 90 के दशक वाला भारत नहीं है और आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। अमेरिकी कोर्ट द्वारा भेजे गए सम्मन पूरी तरह से अनुचित हैं। बेहतर होगा कि अमेरिका भारत का सहयोग करे तभी उसे भारत से अपेक्षित सहयोग मिल पाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen + twenty =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।