भारत में सभी धर्म सुरक्षित - Punjab Kesari
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भारत में सभी धर्म सुरक्षित

भारत की संस्कृति में गंगा-जमुनी तहजीब के उदाहरण मिल जाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत के स्वतंत्रता

‘‘इधर है मस्जिद, उधर है शिवालय,
जहां दिल करे वहीं सिर झुका लें।
बाबा विश्वनाथ, संत कबीर, संत रविदास का बनारस,
गंगा-यमुना तहजीब का बनारस।’’
भारत की संस्कृति में गंगा-जमुनी तहजीब के उदाहरण मिल जाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुस्लिम क्रांतिकारियों, कवियों और लेखकों का योगदान काफी रहा है। स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपतियों में तीन, डाक्टर जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद और देश के मिसाइल मैन डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम पद पर रहे। मौलामा अब्दुल कलाम ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। देश में अनेक मुस्लिम नेताओं की राष्ट्रभक्ति पर कोई संदेह नहीं ​रहा। देश को आजाद कराने में अशफाक उल्ला खान की शहादत को कौन भुला सकता है। भारत की संस्कृति में एक विशेषता यह है कि यहां कोई भी आया वो पानी में नमक की तरह घुल गया। 
आज भारत में कई तरह के विवाद खड़े किए जा रहे हैं। वास्तविकता आज भी यही है कि इस देश के विभिन्न मजहबों और मतों के मानने वाले लोग इस भूभाग में जिस कोने में भी रहते हैं सभी भारतीय कहलाए जाते हैं। भारत के राष्ट्रीय सलाहकार अजीत डोभाल ने प्रमुख धार्मिक और सामुदायिक नेताओं और शिक्षाविदों को सम्बोधित करते हुए सऊदी अरब के न्याय मंत्री और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डाक्टर मोहम्मद ​बिन अब्दुल करीम अल ईस्सा की उपस्थिति में कहा कि आतंकवाद किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं है और आध्यात्मिक नेताओं को कट्टरपंथियों का मुकाबला करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में किसी धर्म को कोई खतरा नहीं है। अजीत डोभाल का यह कथन शत-प्रतिशत सत्य पर टिका हुआ है। इस्लामिक सहयोग संगठन के लगभग 57 सदस्य देश हैं। इन देशों की पहचान एक कट्टर मुस्लिम देशों के रूप में होती है। इनमें से कुछ गिने-चुने देशों को यदि छोड़ दें तो ज्यादातर देश आंतरिक कलह, आतंकवाद और भयंकर अपराध के गढ़ बन चुके हैं। मिडिल ईस्ट देशों की बात करें तो सऊदी अरब, ईरान, इराक, सीरिया, तुर्की समेत करीब 18 देश हैं। इनमें से कुछ देश काफी अमीर हैं लेकिन वहां भी अशांति व्याप्त है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। आतंकवाद की खेती करने वाला पाकिस्तान इस समय अनाज के दाने-दाने को मोहताज है और लोगों को भर पेट रोटी भी नसीब नहीं हो रही।
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन की क्रूरता पूरी दुनिया देख रही है। इनके अलावा अफ्रीका में मौजूद मुस्लिम राष्ट्र ज्यादातर भयंकर आतंकवाद, भूखमरी और अपराध से ग्रसित हैं। जबकि भारत में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। भारत में 18 करोड़ के लगभग मुस्लिम रहते हैं। यह ब्रिटेन, स्पेन और इटली की कुल आबादी के बराबर है। यह दुनिया के किसी भी देश में मुसलमानों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। भारत के मुसलमानों में जितनी विविधता देखने को मिलती है वो किसी और देश के मुसलमानों में नहीं दिखती। भारत के मुसलमानों ने खानपान, शायरी, संगीत, मोहब्बत और इबादत का इतिहास बनाया है।
हिन्दू धर्म और इस्लाम की गहरी आध्या​िमक सामग्री ने लोगों को एक साथ लाने का काम किया और एक-दूसरे काे सामाजिक और बौद्धिक समझ लाने में मदद की। एक समावेशी लोकतंत्र के तौर पर भारत अपने सभी नागरिकों को उनकी धार्मिक जातीय या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना स्थान देने में कामयाब रहा।
डोभाल ने कहा कि आधुनिक भारत की इमारत समान अधिकारों, समान अवसरों और समान जिम्मेदारियों के सिद्धांतों पर बनी है। भारत सांस्कृतिक संलयन का एक उत्पाद है, समन्वित चेतना आम लोगों के माध्यम से व्याप्त है। एक गौरवशाली सभ्यतागत देश के रूप में भारत हमारे समय की चुनौतियों से निपटने के लिए सहिष्णुता, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने में विश्वास करता है। यह कोई संयोग नहीं है कि लगभग 20 करोड़ मुसलमानों के बावजूद वैश्विक आतंकवाद में भारतीय नागरिकों की भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सीमाओं के भीतर सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत उग्रवाद, नशीले पदार्थों और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने 1979 में मक्का की ग्रैंड मस्जिद पर हुए हमले का जिक्र कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की जरूरत का जिक्र किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आतंकवाद के मुद्दे पर भी दो टूक संदेश देने में सफल रहे। भारत कई दशकों से आतंकवाद का ​शिकार रहा है। आतंक के खिलाफ युद्ध में गम्भीर उकसावों के बावजूद भी भारत ने दृढ़ता से कानून के शासन, अपने नागरिकों के अधिकारों और मानवीय मूल्यों की सुरक्षा को बरकरार रखा है लेकिन जब आतंकवादियों के पनाहगाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत हुई तो हमने अपने राष्ट्रीय हित में आतंकवाद को नष्ट करने के लिए हर सम्भव प्रयास किया। आतंकवाद किसी धर्म से नहीं जुड़ा है लेकिन धार्मिक और आध्या​त्मिक नेताओं का यह दायित्व है कि वे हिंसा का रास्ता अपनाने वालों के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करें। भारतीय मुस्लिमों को भी सोचना होगा कि मुस्लिम धर्म खतरे में है का डर फैलाकर समुदाय में असुरक्षा की भावना पैदा करना ठीक नहीं है। यह युग आतंकवाद फैलाने या युद्ध का नहीं है। मानवता की भलाई के लिए भविष्य की लड़ाई भूख, गरीबी, अज्ञानता और अभाव के खिलाफ लड़नी होगी। आज की दुनिया में हमारे सामने जटिल भू राजनीतिक चुनौतियों के साथ शांति और सद्भाव का युग शुरू करने के ​लिए धर्म को मानवता के लिए एक प्रेरक प्रकाश बनना होगा और तमाम मतभेदों को पीछे छोड़ना होगा। भारत में रहना मुस्लिमों के लिए गर्व की बात है क्योंकि वे यहां काफी सुरक्षित हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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