अन्ततः दिल्ली की ‘आप’ सरकार ने अधिकारों के लिए लम्बे संघर्ष के बाद अपनी महत्वाकांक्षी 40 सेवाओं की डोर स्टेप डिलीवरी यानी सेवा सीधे जनता के द्वार परियोजना शुरू कर दी है। अब इन सेवाओं के लिए जनता काे सरकारी विभाग या दफ्तरों के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे। सरकार खुद आवेदक के घर आकर उसको सेवा देगी। आप सरकार का दावा है कि दुनिया में ऐसी परियोजना पहली बार लागू की जा चुकी है। इस दृष्टि से देखा जाए तो आप सरकार ने देश की राजधानी में नई इबारत लिख दी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम डिजिटल इंडिया की शुरूआत के बाद काफी बदलाव आया है। जब संचार क्रांति ने कम्प्यूटर और इंटरनेट की शक्ल में अमेरिका से बाहर फैलना शुरू किया तो भारतीयों के लिए यह सब किसी आश्चर्य से कम नहीं था। आज भारत आई.टी. इंडस्ट्री में बहुत आगे बढ़ चुका है। आज शहर हो या गांव, हर जगह लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, ऑनलाइन खरीदारी से लेकर रेल आरक्षण, विमान टिकट तक इंटरनेट के जिरये घर बैठे काफी सुविधाएं हासिल कर रहे हैं। नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल जनता के कल्याण के लिए हो तो इससे रोजमर्रा की जिन्दगी काफी सुखद हो जाती है।
दिल्ली सरकार ने नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल घर-घर जाकर जनता से जुड़े कार्यों के लिए करने का फैसला किया है तो इस कदम की सराहना ही की जानी चाहिए। आज की दुनिया में हमारा संवाद बेहद आसान हुआ है। हमें इन माध्यमों का इस्तेमाल मानवीय कल्याण के लिए करना होगा। समस्याओं के हल के लिए सिर्फ संस्थाएं बनाने से बात नहीं बनेगी। सरकार को जनता के बीच स्वस्थ सांझेदारी विकिसत करनी होगी। हमने राशन कार्ड बनवाने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें देखी हैं, राशन कार्ड बनवाने के फार्म पर विधायकों और नगर प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर कराने के लिए उनके आवासों पर भीड़ देखी है। रेल आरक्षण के लिए लोगों को मुंह अंधेरे उठते और रेल आरक्षण केन्द्रों के बाहर कतारों में खड़े होते देखा है। बैंकिंग सेवाओं का काफी बुरा हाल हमने देखा है। पैसे जमा कराने हों या निकलवाने के लिए आधा-आधा दिन खराब हो जाता था। बिक्रीकर जमा कराना तो आफत बन चुका था। सेलटैक्स जमा भी हो गया तो कार्यालय में चालान जमा कराने के लिए चपरासी को दो-तीन सौ रुपए की रिश्वत देनी पड़ती थी। वर्तमान में हर किसी की जिन्दगी कितनी सहज आैर सरल हो चुकी है। कुछ वरिष्ठ लोग समाज पर सुविधाभोगी होने का आरोप लगा देते हैं लेकिन मौजूदा समय में अगर घंटों का काम मिनटों में हो रहा है तो फिर देशवासी प्रौद्योगिकी से दूर क्यों रहें?
जिन लम्बी कतारों को हमने झेला है, उसके आसपास भ्रष्टाचार पनपता था। कम समय में काम कराने के लिए दलाल आसपास मंडराते रहते थे। लोग तब भी फार्म जमा कराने, बिजली के बिल जमा कराने के लिए उन्हें पैसे देते थे। लाइन कितनी ही लम्बी हो, दलाल ऑफिस में पीछे से घुसते आैर पांच मिनट में ही प्राप्ति की रसीद ले आते। ऐसी व्यवस्था ने ही देश को भ्रष्टाचार की चंगुल में ऐसा फंसाया कि वह आज तक बाहर निकलने को छटपटा रहा है। अब ढेरों सुविधाएं घर पर ही मिल जाती हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपने कर्मचारियों को ‘वर्क फ्रॉम होम’ की सुविधा दे रही हैं। अनेक सरकारी विभागाें ने बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। आयकर रिटर्न भी ऑनलाइन भरी जा रही है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं की होम डिलीवरी करने का ऐलान तो नवम्बर 2017 में ही कर दिया था लेकिन सरकार की कार्यशैली और अधिकारों की जंग को लेकर सवाल उठते रहे।
उपराज्यपाल ने भी बार-बार आपत्ति की लेकिन अन्ततः केजरीवाल सरकार ने इसका आगाज कर ही दिया। अब जाति प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पेंशन के फार्म, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, शादी का प्रमाण पत्र आदि सेवाओं के लिए ऑफिसों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकारी प्रतिनिधि आपके द्वार पर आएंगे और आपके दस्तावेजों को टेबलेट्स में दर्ज करेंगे। बस आपको एक काल सेेंटर पर फोन करके बताना होगा कि आपको कौन सा प्रमाण पत्र बनवाना है। इससे कामकाज में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार काफी हद तक कम होगा। लोगों को केवल तय शुल्क देना होगा।
सरकार योजनाएं तो बनाती है लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर नाकाम साबित होती है। देखना यह है कि आप सरकार इस योजना को किस तरह से लागू कर इसे सफल बनाती है। किसी भी तरह की ढील, कर्मचारियों की लापरवाही या निठल्लापन योजना को विफल बना देगा। योजना सफल हुई तो भारतीय राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरे अरविन्द केजरीवाल की चमक इससे और बढ़ेगी। दिल्ली सरकार की यह योजना सफल हुई तो यह बाकी राज्यों के लिए नजीर पेश करेगी।