किसी के हाथ में हीरा, किसी के कान में हीरा , मुझे हीरे से मतलब क्या मेरा यार नंबर वन हीरा... - Punjab Kesari
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किसी के हाथ में हीरा, किसी के कान में हीरा , मुझे हीरे से मतलब क्या मेरा यार नंबर वन हीरा…

वास्तव में हीरे की पहचान किसी-किसी को होती है और अगर तुम्हारा यार यानी दोस्त नम्बर वन हीरा

वास्तव में हीरे की पहचान किसी-किसी को होती है और अगर तुम्हारा यार यानी दोस्त नम्बर वन हीरा हो तो जिन्दगी का आनंद ही कुछ और हो जाता है। ये पंक्तियां तो गाई गई थीं दुबई के द यंग हार्ट ग्रुप के सदस्यों द्वारा, परन्तु मुझे इसमें जिन्दगी की सच्चाई नजर आई कि हीरा तो बहुत से लोगों के पास होता है। किसी के हाथ में, किसी के कान में परन्तु असली हीरा आपका सच्चे दोस्त के रूप में होता है। जी हां, मैंने अपना सच्चा दोस्त या यूं कह लो एक प्यारी सी बहन 6 साल पहले दुबई में पाई जब मैं अपने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के 160 सदस्यों और वालंटियरों को लेकर इंडियन काउंसलेट में उनका प्रोग्राम करने गई। 
अपने सदस्यों को हम वहां सैर भी करा रहे थे, प्रसिद्ध स्थानों को दिखा रहे थे। जब हम सबको लेकर वहां के प्रसिद्ध गुरुद्वारा साहिब गए (सभी कहते हैं कि अगर दुबई आकर गुरुद्वारा साहिब न गए तो आपका दुबई जाना व्यर्थ है) तो वहां का सिस्टम देखकर बहुत ही प्रभावित हुए। सबसे बहुत प्यार मिला और एक एंजेल कपल (देवदूत रूपी जोड़ा) ने आगे बढक़र सबकी सेवा की और वो कोई और नहीं था वहां का प्रसिद्ध समाजसेवी जोड़ा सुरेन्द्र कंधारी और बबल कंधारी थे,  जिनके नुराने चेहरे और प्यार भरे बोल उनकी अन्दर की अच्छाई और सच्चाई को बयान कर रहे थे।
 हमने उनको शाम के प्रोग्राम के लिए निमंत्रण दिया। कहते हैं न अच्छे कामों के लिए ईश्वर अच्छे लोगों को मिलाता है और यहां तो वाहे गुरु अपने घर, अपने स्थान पर हमें मिला रहा था।
 गुरु के पवित्र द्वार पर आंगन में मुझे एक दोस्त बहन के रूप में मिली, जो आज तक मुझे बड़ी बहन से ज्यादा प्यार देती है। शायद गुरु के दरबार ने हमें अपने यहां आपस में जोडऩे के लिए बुलाया था। शाम को इंडियन काउंसलेट में प्रोग्राम हुआ और जब मैं अपनी स्पीच देकर बबल जी के साथ आकर बैठी तो वह बड़ी भावुक थी। 
प्रोग्राम देखकर उनकी आंखों में आंसू थे और मुझे कहने लगी शायद ऐसी संस्था की यहां भी बहुत जरूरत है, क्योंकि इस उम्र में अकेलापन तो होता ही है।
 जब मैं दोबारा स्टेज पर गई तो बिना उनसे पूछे मैंने मंच पर घोषणा कर दी कि ऐसी संस्था यहां भी खुलेगी, जिसे बबल कंधारी जी चलाएंगी, क्योंकि तब तक उनके अन्दर की अच्छाई, सेवा भाव, प्यार मैं समझ चुकी थी और उन्होंने उसी समय अपने पति सुरेन्द्र कंधारी जी की तरफ से स्वीकृति लेते हुए हां भरी। 
तभी अगले दिन हम सभी इंडियन काउंसलेट के पास नाश्ते के लिए मिले और बबल जी और हमने निर्णय लिया कि यह स्वतंत्र संस्था होगी, जिसे बबल जी सिर्फ  दुबई के वरिष्ठ नागरिकों  के लिए चलाएगी। इसके नाम में भी फर्क होगा क्योंकि हमें सभी नियम और रेगुलेशन  को फॉलो  करना था। चाहे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब हो या द यंग हार्ट ग्रु, दोनों का मकसद एक ही है कि इस उम्र में बुजुर्गों में विश्वास जगाना, उनके अकेलेपन और अवसाद को दूर करना है इसलिए दोनों संस्थाएं एक-दूसरे की मार्गदर्शक बनेंगी और अपना काम करेंगी ताकि कोई मुश्किल न हो, तब बबल जी ने कहा कि जैसे ही वह सब कुछ सैट कर लेंगी, मुझे ही ओपनिंग के लिए बुलाएंगी।
एक साल के अन्दर-अन्दर बबल जी ने मुझे बुलाया द यंग हार्ट की ओपनिंग के लिए और साथ ही मैंने अपनी कॉफी टेबल बुक का लांच भी इंडियन काउंसलेट में किया। 
सेम हाल था, परन्तु इस बार बबल जी की संस्था द यंग हार्ट का प्रोग्राम था। बबल जी मुझे बार-बार कह रही थीं यह हमारा पहला कार्यक्रम है, पता नहीं किरण जी आपको कैसा लगेगा। पता नहीं हमारे सदस्य कैसा प्रोग्राम करेंगे और मैं उनको हौंसला दे रही थी कि शुरूआत कैसी भी हो अच्छी ही होगी। 
धीरे-धीरे आप पिकअप कर जाओगे। इस उम्र में स्टेज पर आना और प्रोग्राम करना ही बड़ी बात है, परन्तु यह नया प्रोग्राम जैसे ही शुरू हुआ तो मैं हैरान रह गई। बहुत ही अच्छा प्रोग्राम था। बहुत ही अच्छा प्रबंध था। बबल जी और उनके साथियों की मेहनत झलक रही थी। बहुत ही आकर्षक और प्रेरणादायक प्रोग्राम था। फैशन शो करते उनकी एक 92 वर्षीय सदस्य डगमगाई और कैसे उन्होंने अपने आप को सम्भाला देखने योग्य था।
बबल जी खुद कम्पेयर कर रही थीं। बबल जी 16 कलां संपूर्ण हैं, एक बिजनेस वूमैन  हैं, समाज सेविका हैं, लेखिका हैं, कवि हैं। खुद अपनी कविताएं गाती हैं और दुबई सरकार का उनको पूरा सहयोग है और वह  सभी नियमों और संकल्प का पालन करती हैं, उनकी जिन्दगी में हर पल सच्चाई है।
अभी जब हमारी सारी ब्रांच वरिष्ठ नागरिक के फेसबुक पेज पर हर संडे 3 से 4 बजे तक प्रोग्राम दे रही हैं तो मैंने बबल जी से प्रार्थना की कि मैं चाहती हूं आपकी यंग हार्ट आर्गेनाइजेशन का भी प्रोग्राम हो तो उन्होंने कहा क्यों नहीं, यह पौधा आपका ही लगाया हुआ है।
 फिर उनका फोन आया कि मैं प्रोग्राम दे रही हूं, परन्तु पता नहीं आपको कैसा लगेगा। फिर वही बात, वह फिर अपने प्रोग्राम में फस्र्ट ही आ रही थीं। 
नाम था फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन। वाकई उन्होंने हर तरह के दुबई के फूलों से प्रोग्राम को सजाया था। शुरूआत भी बहुत अच्छी थी जो उन्होंने अपनी लिखी कविता से की, मन जीते जग जीते जिसे उनकी यंग वालंटियर (एंजेल) शोभना ने बहुत सुन्दर तरीके से गाया।
 मुझे इस गीत से बड़ा हौसला मिला, क्योंकि अश्विनी जी के बाद अपने आप को बहुत सम्भालने की कोशिश करती हूं, परन्तु गिरती हूं, उठती हूं बहुत मुश्किल लगती है, परन्तु बबल जी की इस कविता में इतना अर्थ छिपा था कि मुझे लगता है यह मेरा आने वाले समय में साहस बनेगी कि मन जीतना है कि अब मैं हारूंगी नहीं, मन और जग जीतने के लिए योग, प्राणायाम, प्रभु का सिमरन करूंगी। 
शायद सम्भल जाऊंगी, जीत जाऊंगी। क्लब के सदस्यों ने शबद गाया कोई बोले राम-राम कोई खुदाये। सुधा राओ जी ने जवां है मुहब्बत गीत गाकर क्लब के कामों को समझाया, अपनी धरती को याद करते वंदेमातरम् सुनाया। सुरेन्द्र सिंह और रम्बी सिंह जी ने कजरा मोहब्बत गाया, ज्योति कपूर ने पहले दिन जुड़े होने से आज तक की एक्टिविटी सुनाई। 
अरुणा जी ने भी कोरोना के समय अंताक्षरी और विंगो के बारे में बताया। खुशी कुमार जी ने बबल जी की तारीफ  करते हुए सुनाया कि हम आपके कायल हैं और हमें जिन्दगी का सफर आपके साथ तय करना है। गुड्डू चड्ढा कपल ने बहुत अच्छी रेस्पी बताई। 
मीरा जी ने शुगर को कंट्रोल करने का देसी ईलाज बताया। चंदा जी ने भी सेहत के बारे बताया। बोबिता सिंह जी ने आकर्षक तरीके से एक्सरसाइज करनी बताई। प्रकाश कौर और बलबीर सिंह कोहली जी ने बबल जी के प्यार की बातें बताईं। एक सिंधी कपल ने 18 भाषाओं में प्यार के तरीके बताए। 
कुल मिलाकर बबल जी ने दुबई के सारे हाई क्लास हीरे एक मंच पर पूरे टैलेंट के साथ इकट्ठे किए, जिनमें यंग हार्ट है। और सभी बबल जी को बहुत दिल से प्यार करते हैं। इतने वर्षों से काम करते मैंने यही जाना है अगर कोई भी संस्था के सदस्य अपने हैड को प्यार करते हैं, इज्जत देते हैं तो वह उनकी सच्ची लगन और मेहनत का नतीजा होता है।

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