यह सच है कि टेक्नोलॉजी के अपने बहुत फायदे हैं लेकिन जब टेक्नोलॉजी बहुत आम हो जाती है तो अपराधी सक्रिय हो जाते हैं। मोबाइल के जरिये आज हर कोई एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। देश से विदेश तक हर कोई हर किसी से कनेक्टिड है लेकिन यह भी सच है कि साइबर क्राइम बहुत तेजी से बढ़ा है और यह जितनी तेजी से भारत में जगह बना रहा है कि सरकार की एडवाइजरी और सख्तियों के बावजूद अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। इसी कड़ी में हैकर्स और अन्य साइबर क्रिमिनल भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं। लूटपाट डिजिटल अरेस्ट और लोगों के लाखों रुपयों की ठगी की खबरें तो अब आम बात हैं लेकिन हमें खुद को अगर सुरक्षित रखना है तो आने वाली कॉल को नजरंदाज करने का मंत्र सीखना होगा।
पिछले हफ्ते दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर साइबर क्रिमिनलों ने छह घटनाओं में लगभग 70 लाख, 50 लाख, 55 लाख, 40 लाख और 32 लाख की ठगी की। दूसरे का डाटा ये लोग कहां से निकालते हैं और कैसे अपराध को अंजाम देते हैं इस बारे में यद्यपि आरबीआई लोगों को सावधान करता है और किसी भी पैसे के इधर-उधर ट्रांसफर होने के मामले में कई हैल्पलाइन नंबर भी प्रदान करता है लेकिन लोगों का तकनीकी ज्ञान बहुत कम है और वे शिकायत बहुत देरी से करते हैं। ईनाम निकलने का झांसा देकर या फिर आपके खाते में पैसे आएं हैं ऐसी सूचना देने वाले कॉलरों की कोई कमी नहीं लेकिन आदमी फोन उठा लेता है और उनका शिकार बन जाता है क्योंकि लुटेरों के गैंग बने हुए हैं। बड़ी चतुराई से ये लोग किसी के भी मोबाइल पर मैसेज भेज देते हैं।
मैसेज में कहा जाता है कि आपका कोई पार्सल आया है, आपका घर का पता वैरीफाई करना है, उसके बाद अपना मोबाइल नंबर दे देते हैं और बताते हैं कि पांच मिनट में कॉल करो। दोबारा कॉल करने पर आपका नंबर हैक कर लेते हैं और सारा डाटा निकालकर बैंक से जुड़कर रकम उड़ा देते हैं। हैकरों ने पूरे योजनाबद्ध तरीके से इस तकनीक को इजाद कर रखा है और सालभर पहले एम्स तक के सारे डाटा हैक कर लिये थे। अमरीका और ब्रिटेन के कुछ शहरों में कई एयरवेज का डाटा हैकरों ने उड़ा दिया था। अब कल तक तो लोगों को मैसेज के जाल में फंसा कर लूटा जाता था परंतु अब एक नई ट्रीक सामने आई है। एक उद्योगपति के पास किसी ने मैसेज किया कि आपके खाते में गलती से एक लाख रुपया ट्रांसफर हो गया है कृपया चैक कीजिए। उद्योग पति ने ऑनलाइन चैक किया, बात सही थी। कॉलर ने कहा कृपया वो वापिस बैंक में भेज दीजिए या हमें अपना अकाउंट नंबर बता दीजिए हम अपने बैंक से ट्रांसफर करवा लेते हैं और मैं बैंक में ही बैठा हूं। उद्योगपति ने भरोसा कर लिया और अपने 70 लाख रुपये गंवा दिये। 10 मिनट में इतनी बड़ी रकम गायब हो गयी। साइबर क्राइम की घटनाएं जिस तेजी से बढ़ रही हैं उतनी ही तेजी से लूटपाट के तरीके भी बदल रहे हैं।
आजकल एआई तकनीक सक्रिय है। किसी की भी आवाज बदलकर फोन किया जा सकता है। बड़े से बड़े विभागों के हेड या फिर पुलिसवर्दी पहने लोगों की डीपी लगाकर फोन किये जाते हैं। मेरी कई साइबर एक्सपर्ट से बातचीत हुई है, उनका एक ही मशविरा है कि कृपया अाईंदा कॉलर का फोन मत उठाएं और स्पेम हुए नंबर को तुरंत ब्लॉक कर दें। साइबर शिकार होने से आप तभी बच सकते हैं अगर आप मोबाइल पर उनका नंबर ही ना उठाएं। मोबाइल कंपनियों का नाम लेकर आपका सिम नंबर पूछने की कोशिश करने वाले साइबर क्रिमिनल हो सकते हैं, उनसे भी बातचीत करने से बचें। बैंकों के नाम पर आने वाले कॉल आपको सावधान करते हैं कि किसी भी अंजान फोन को जिसमें पैसा या अकाउंट नंबर की बात हो वह कॉल ना उठाएं लेकिन चतुर अपराधियों ने बैंकों के नाम पर भी डीपी बना रखी है। यह कदम-कदम पर संभलने का वक्त है। डिजिटल और साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है। आपकी सजगता ही आपको बचा सकती है। सरकार से गुजारिश है कि वह लोगों को इस मामले में न सिर्फ जागरूक बनाएं बल्कि क्रिमिनल का पता लगाने के बाद उन पर जो एक्शन हुआ है उसकी जानकारी व्यापक स्तर पर दें। इस बारे में भी एक व्यापक अभियान चलाएं ताकि आगे से कोई और साइबर अपराधी गुनाह करने की न सोचें।