धनतेरस, छोटी दिवाली, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज, पांच दिनों तक लगातार पर्व मनाये जाते हैं। यहां प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व और परंपराएं हैं
हर दिन के पीछे एक विशेष कहानी और आस्था जुड़ी हुई है। चलिए इन सभी सभी त्योहारों का महत्व और इनसे जुड़ी परंपराएं जानते हैं
धनतेरस: धनतेरस पर सोने, चांदी, बर्तन या अन्य वस्तुएं खरीदने का विधान है। मान्यताओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि इसी दिन अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन खरीदारी को शुभ माना जाता है
छोटी दिवाली: धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन का संबंध भगवान श्रीकृष्ण के नरकासुर नामक दानव के वध से है, जिसने 16,000 कन्याओं को बंधक बना रखा था
नरकासुर के वध के बाद श्रीकृष्ण ने उन कन्याओं मुक्त कराया था। इस दिन लोग सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और इसे नरक स्नान कहा जाता है। माा जाता है कि ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है
दिवाली: दिवाली धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है। दीपावली की रात घरों में दीप जलाए जाते हैं और लोग अपने घरों को साफ-सुथरा और सुंदर सजाते हैं, ताकि देवी लक्ष्मी का आगमन हो सके
दिवाली वाले दिन व्यापारी अपने बही-खाते की पूजा करते हैं और नए साल की शुरुआत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और उन घरों में वास करती हैं, जो साफ और सुंदर होते हैं
गोवर्धन पूजा: चौथे दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट मनाया जाता है। यह दिन गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण द्वारा उठाने की कहानी से जुड़ा है
मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने अपने गांववासियों को इंद्रदेव की पूजा करने से रोका और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी
भाई दूज: दीपावली के पांचवें और अंतिम दिन को भाई दूज कहा जाता है। ये दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित होता है। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए पूजा करती हैं और भाइयों को तिलक करती हैं