पश्चिमी दिल्ली : प्रेम नगर इलाके में सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए उतरे दो मजदूरों की दम घुटने से दर्दनाक मौत हो गई, जबकि तीन बेहोश हो गया। उनकी अस्पताल में हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिये हैं। बुधवार को शवों का पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा। पुलिस ने मकान मालिक के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी के मुताबिक, मृतक मजदूरों की पहचान गणेश शाह (35) और लंबू उर्फ दीपक (20) के रूप में हुई है।
जबकि घायलों की पहचान बब्लू (40) शेर सिंह (40) और रणवीर सिंह (33) के रूप में हुई है। मृतक दोनों मजदूर भाग्य विहार के रहने वाले थे। सभी दिहाड़ी पर काम कर रहे थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे पीसीआर का प्रेम नगर भाग्य विहार एम-ब्लॉक, में निर्माणाधीन मकान के सेप्टिक टैंक साफ करते हुए पांच मजदूरों को गंभीर हालत में संजय गांधी अस्पताल लाने की सूचना मिली। पुलिस मौके पर पहुंची। डॉक्टरों ने दो मजदूरों को मृत घोषित कर दिया। जबकि तीन की हालत नाजुक बताई है। तीनों मजूदरों को आईसीयू वार्ड में रखा गया है। मृतक मजदूरों की पहचान गणेश और लंबू के रूप में हुई थी।
पुलिस ने परिवार वालों को हादसे की सूचना दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया करीब 32 गज के मकान का मालिक मुस्तफा है। जोकि पिछले पन्द्रह बीस दिन से मकान बनवा रहा था। ग्राउंड और पहली मंजिल पर काम चल रहा था। इस मकान में कई साल पुराना सेप्टिक टैंक बना हुआ था। जो करीब दस फुट गहरा है। जिसकी कभी भी सफाई नहीं हुई थी। मंगलवार दोपहर गणेश सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए सीढ़ी से टैंक में उतरा था। उसके पास सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं थे। ऊपर उसका साथी लंबू व अन्य तीन साथी काम कर रहे थे। गणेश कुछ मिनट तक जब वापस ऊपर नहीं आया और न ही उसने कोई आवाज दी।
लंबू ने उससे संपर्क करने के लिए उसको आवाज दी। गणेश की कोई आवाज नहीं आने पर लंबू भी साथियों को बताकर टैंक में उतर गया। जिसमें काफी किचड़ पड़ी थी। लंबू की भी आवाज नहीं आने पर उसके तीन अन्य साथी एक के बाद एक टैंक में अपने साथियों को बचाने के लिए उतर गए। जब पांचों टैंक से नहीं निकले। उनके अन्य साथियों ने मकान मालिक और राज मिस्त्रियों को मामले की जानकारी दी। मौके पर आसपास के लोग भी जमा हो गए। पुलिस ने दमकल की सहायता से मौके पर पहुंचकर।
पांचों को बाहर निकालकर पास के संजय गांधी अस्पताल में दाखिल कराया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि टैंक काफी सालों से नहीं खुला था। जिससे उसमें जहरीली गैस चेम्बर बन गया था। इस बारे में मजदूरों को भी पता था कि टैंक में इस तरह का खतरा रहता है। इसके बावजूद टैंक में लकड़ी की सीढ़ी लगाकर एक के बाद एक मजूदर अपने साथियों को बचाने के लिए उसमें उतरते चले गए।