सबरीमला में परंपरा, श्रद्धालुओं की भावनाओं का होना चाहिए सम्मान : श्री श्री - Punjab Kesari
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सबरीमला में परंपरा, श्रद्धालुओं की भावनाओं का होना चाहिए सम्मान : श्री श्री

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर ने गुरुवार को कहा कि सबरीमला में हर उम्र की महिलाओं के

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर ने गुरुवार को कहा कि सबरीमला में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर परंपरा और श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और लैंगिक समानता को भगवान अय्यप्पा मंदिर से संबंधित मामलों में लागू करने की जरूरत नहीं है।

केरल सरकार ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश को मानने के लिये बाध्य है। इसके बाद राज्य में व्यापक प्रदर्शन हुए हैं। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मंदिर के अंदर 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लागू सदियों पुराना प्रतिबंध हट गया।

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श्री श्री ने कहा कि धर्म और मान्यता से संबंधित मामलों में किसी तरह का बदलाव आध्यात्मिक गुरुओं से विचार-विमर्श के बाद किया जाना चाहिए।

देश में भगवान अयप्पा को समर्पित कई मंदिर हैं और केरल के मंदिर को छोड़कर किसी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं है। श्री श्री रविशंकर ने  कहा, ‘‘यह तो एक परंपरा है…और इसमें लोगों की भावनाएं भी शामिल हैं… हमें उनका सम्मान करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यहां इस मंदिर में यह कोई लैंगिक असमानता का मामला नहीं है। वास्तव में भारतीय संस्कृति में महिलाओं के प्रति बेहद सम्मान का भाव है… सही मायने में समानता यह है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो, कॅरियर में उन्हें समान अवसर मिले और हर लड़की को बेहतर शिक्षा मिले।’’

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