बीजेपी के तीन विधायकों को दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़ला के साथ बहस करने के बाद पूरे सत्र के लिए मार्शल की मदद से बृहस्पतिवार को बाहर निकाल दिया गया। बिड़ला ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ध्यानाकर्षण नोटिस लेने की उनकी मांग स्वीकार नहीं की, जिसके बाद विधायकों ने उनसे बहस की। भाजपा के तीन विधायकों को मार्शल की मदद से बाहर निकाले जाने के बाद पार्टी के शेष विधायक भी सदन से बहिर्गमन कर गए।
आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने यह दिखाने के लिए सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था कि दिल्ली में भाजपा का कथित ‘ऑपरेशन लोटस’ विफल हो गया है। बिड़ला ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस और मतदान होने तक कोई ध्यानाकर्षण नोटिस नहीं लिया जाएगा। विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि विधानसभा में चर्चा के लिए बहुत सारे मुद्दे हैं – ‘‘पीने के पानी की कमी है, दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है … स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं।’’
भाजपा को जन-केंद्रित मुद्दों की नहीं परवाह
वही, उन्होंने कहा कि यह साबित करने के लिए कोई ‘‘नाटक’’ करने की आवश्यकता नहीं है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके विधायकों का समर्थन हासिल है। बिड़ला ने कहा, ‘‘विपक्ष शासित राज्यों में जो कुछ भी हुआ है’’, उसे देखते हुए अविश्वास प्रस्ताव महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विपक्ष के सभी मुद्दों को उठाया जाएगा।
इसी के बाद जब विपक्षी दल के सदस्य नहीं माने, तो बिड़ला ने आदेश दिया कि भाजपा विधायकों विजेंद्र गुप्ता, अभय वर्मा और मोहन सिंह बिष्ट को मार्शल की मदद से बाहर कर दिया जाए। तुरंत बाद भाजपा के बाकी विधायक विधानसभा से बहिर्गमन कर गए। बिड़ला ने कहा कि विपक्षी सदस्य मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए विधानसभा में आए और उन्हें जन-केंद्रित मुद्दों की परवाह नहीं है। ‘आप’ और भाजपा विधायकों के स्थगन के लिए बार-बार मजबूर करने के कारण विशेष सत्र बुधवार को भी बाधित हुआ था। सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ था।