केंद्र सरकार ने दिल्ली में अध्यादेश जारी किया हुआ है, जिसको लेकर दिल्ली सरकार लगातार विरोध कर रही है. जिसको लेकर गुरुवार के दिन सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली अध्यादेश मामले में सुनवाई हुई. जहां सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश का ये पूरा मामला सवैधानिक पीठ को सौंप दिया है. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा की अध्यादेश को लेकर कई सेवाओं पर बात की जायेगी की इसे विधानसभा के दायरे से बाहर करना कितना सही रहेगा और कितना नहीं.
क्या है पुरा मामला ?
दिल्ली सरकार लगातार अपने अधिकारों की मांगे कर रही है. जिसमें सरकारी अफसरों के तबादले से लेकर कई अन्य अधिकार भी शामिल हैं. जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वीई.चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा , मनोज मिश्रा साथ-साथ दिल्ली सरकार द्वारा चुने गए 400 से ज़्यादा सलाहकारों और अफसरों को बर्खास्त करने के एलजी के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की दिल्ली सरकार द्वारा की गयी प्रार्थना पर ही सुनवाई हो रही थी. और इसी कारण ही दिल्ली सरकार बार-बार अध्यादेश के खिलाफ याचिका दायर कर रही थी.
दिल्ली अध्यादेश आखिर है क्या?
दिल्ली अध्यादेश 2023 ये वो कानून है जिसके अंतर्गत दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और चयन का अधिकार उपराजयपाल को दिया गया है. LG ही तय कर सकता है की किसकी नियुक्ति होगी और किसका तबादला होगा. इस अध्यादेश में केंद्र ने खास तौर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन किया था. जिसमें इस अथॉरिटी की ख़ास बात ये थी की ये सिर्फ सरकारी अफसरों और अधिकारियों के नियुक्ति पर ही काम करेगी.