सुप्रीम कोर्ट ने लाल किले पर दावा जताने वाली याचिका खारिज की - Punjab Kesari
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सुप्रीम कोर्ट ने लाल किले पर दावा जताने वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने लाल किले पर दावे को कहा ‘अनोखा’

सुप्रीम कोर्ट ने सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने लाल किले पर दावा किया था। सीजेआई संजीव खन्ना ने याचिका को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि सिर्फ लाल किला ही क्यों, फतेहपुर सीकरी और ताजमहल भी क्यों नहीं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया था।

मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुल्ताना बेगम ने खुद को कथित तौर पर बहादुर शाह जफर (द्वितीय) का कानूनी उत्तराधिकारी होने का दावा किया था। याचिका में सुल्ताना बेगम ने मांग की थी कि राजधानी दिल्ली में मौजूद लालकिले पर उन्हें कब्जा दिया जाए। इसके पहले सुल्ताना बेगम की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. हाईकोर्ट के फैसले को सुल्ताना बेगम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लालकिले पर कब्जा देने की मांग वाली याचिका पर सीजेआई संजीव खन्ना पहले हंसे और फिर याचिका खारिज कर दी।

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सीजेआई खन्ना का बयान

सीजेआई खन्ना ने कहा कि सिर्फ लाल किला क्यों मांग रहे हैं, फतेहपुर सीकरी, ताजमहल आदि क्यों नहीं मांगते। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि आप इस पर बहस करना चाहते हैं। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम की याचिका को गलत बताते हुए सीजेआई की बेंच ने सुनवाई से इन्कार कर दिया। दरअसल, सुल्ताना बेगम ने कथित तौर पर खुद को बहादुर शाह जफर (द्वितीय) की कानूनी वारिस बताया है। याचिका में राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किले पर उन्हें कब्जा देने की मांग की गई थी।

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2021 में हाईकोर्ट मे याचिका दायर

कलकत्ता के पास हावड़ा में रहने वाली बेगम ने सबसे पहले 2021 में हाईकोर्ट मे याचिका दायर की थी। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी और ध्यान देगी और आर्थिक मदद करेंगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से पहले देश के राष्ट्रीय स्मारकों में से एक लाल किले पर अपना मालिकाना हक होने की अनोखी याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी। सुल्ताना बेगम ने अपनी याचिका में कहा था कि 1857 में ढाई सौं एकड़ में उनके, पुरखों के बनवाए लाल किले पर ब्रिटिश ईस्ट, इंडिया कंपनी ने जबरन कब्जा कर लिया था।

कंपनी ने उनके दादा ससुर और आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को अरेस्ट करके रंगून जेल भेज दिया था इसके बाद लालकिले पर ब्रिटिश सरकार का कब्जा रहा और आजादी के बाद से लालकिला भारत सरकार के पास है।

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