सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न कांड की जांच के लिये नया जांच दल गठित करने के सीबीआई के विशेष निदेशक को दिए गए पटना हाई कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित इस बालिका गृह में लड़कियों और महिलाओं के कथित बलात्कार और यौन शोषण की घटनाओं की जांच के लिए 29 अग्रस्त को जांच ब्यूरो के विशेष निदेशक को नया जांच दल गठित करने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पटना हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि सीबीआई के जांच दल को इस समय बदलना जांच के लिए नुकसानदेह होगा। अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि इस कांड की जांच कर रहे जांच दल का गठन सीबीआई के निदेशक ने 30 जुलाई को किया था। पीठ ने कहा, ‘‘हमें ऐसी कोई वजह नजर नहीं आती कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की जांच कर रहे मौजूदा जांच दल को इस समय बदला जाना चाहिए।’’
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सरकार की आर्थिक मदद से चलने वाले इस गैर सरकारी संगठन में 30 से अधिक लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार हुआ था। इस गैर सरकारी संगठन का संचालक बृजेश ठाकुर है। बालिका गृह में लड़कियों के कथित बलात्कार और यौन शोषण की घटनायें राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग को टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (टिस) की ओर से सौंपी गयी रिपोर्ट में सामने आयीं थीं।
शीर्ष अदालत ने पटना हाई कोर्ट में पहले दाखिल की गयी जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का भी सीबीआई को निर्देश दिया। न्यायालय इस मामले में अब 20 सितंबर को आगे की सुनवाई करेगा। यह मामला सुर्खियों में आने के बाद बृजेश ठाकुर सहित 11 व्यक्तियों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।